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UK News: बागेश्वर के अंतिम गांव बोरबलड़ा गांव का अंधेरा होगा दूर, 18 किमी बिछ रही बिजली लाइन; काम शुरू
अमर उजाला नेटवर्क, बागेश्वर
Published by: हीरा मेहरा
Updated Fri, 21 Nov 2025 11:23 AM IST
सार
बोरबलड़ा गांव में अब अंधेरे का युग खत्म होने जा रहा है। लगभग 400 की आबादी वाले इस क्षेत्र में पहली बार नियमित बिजली पहुंचाने के लिए 2.89 करोड़ रुपये की लागत से 18 किमी लंबी लाइन बिछाने काम शुरू हो गया है।
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बागेश्वर के बोरबलड़ा गांव के लिए बन रही बिजली लाइन के खंभे गाड़ते श्रमिक।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बागेश्वर जिले के कपकोट विकासखंड में अंतिम छोर पर बसे बोरबलड़ा गांव में अब अंधेरे का युग खत्म होने जा रहा है। लगभग 400 की आबादी वाले इस क्षेत्र में पहली बार नियमित बिजली पहुंचाने के लिए 2.89 करोड़ रुपये की लागत से 18 किमी लंबी लाइन बिछाने काम शुरू हो गया है। अब तक बोरबलड़ा उत्तराखंड नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (उरेडा) की वैकल्पिक ऊर्जा की सीमित सप्लाई और सौर ऊर्जा उपकरणों के भरोसे है।बोरबलड़ा गांव अब तक उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) की बिजली सप्लाई व्यवस्था से नहीं जुड़ सका है।
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लंबे समय से लोग यूपीसीएल के माध्यम से बिजली देने की मांग कर रहे थे। विभाग ने काम शुरू कर दिया है और इसे पूरा करने की समय सीमा 31 मार्च 2026 तय की गई है। उम्मीद है कि नए साल की पहली तिमाही के अंत तक गांव तक बिजली दौड़ने लगेगी। एसडीओ एसएस भंडारी ने बताया कि बदियाकोट से गांव तक 306 एचटी और 150 एलटी के पोल लगाए जा रहे हैं। अब तक करीब 100 पोल लग चुके हैं। सब कुछ सही रहा तो अगले साल तय समय 31 मार्च तक गांव तक बिजली दौड़ने लगेगी।
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ग्राम प्रधान पूजा दानू ने बताया कि बोरबलड़ा गांव समडर, बोरबलड़ा और भराकांडे तीन तोक से मिलकर बना है। गांव में 65 परिवार और करीब 400 की आबादी रहती है। उरेडा की माइक्रो हाइडिल योजना से रात के समय बिजली मिलती है। पूर्व में शाम को छह बजे से रात के 11 बजे तक और सुबह चार से छह बजे तक बिजली मिलती थी। विगत एक महीने से शाम छह से सुबह छह बजे तक बिजली मिल रही है। हालांकि दिन के समय बिजली नहीं मिलती है।