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Bageshwar News: पहाड़ की मेथी बनेगी देशभर में उन्नत खेती की ताकत

संवाद न्यूज एजेंसी, बागेश्वर Updated Fri, 19 Dec 2025 11:35 PM IST
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The power of advanced farming in the Methi Mosque of the mountains
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बागेश्वर। हिमालयी क्षेत्रों के खेतों में पीढ़ियों से उगाई जा रही पारंपरिक मेथी अब देशभर में उन्नत खेती की नई पहचान बनने जा रही है। सीएसआईआर-सीमैप अनुसंधान केंद्र, पुरड़ा के वैज्ञानिकों ने दो वर्षों के गहन अध्ययन के बाद मेथी के चार ऐसे श्रेष्ठ जीनोटाइप चिन्हित किए हैं। इनसे बेहतर गुणवत्ता और अधिक उपज देने वाली नई किस्में विकसित की जा सकेंगी। इन जीनोटाइप को देश के विभिन्न हिस्सों में चलने वाले हाइब्रिडाइजेशन कार्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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शोध के तहत वैज्ञानिकों ने बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल जिलों से मेथी के 30 नमूने एकत्र किए। ये सभी नमूने ग्रामीणों की ओर से पारंपरिक रूप से उगाई जा रही मेथी के थे। इनमें कोई भी उन्नत या संकर किस्म शामिल नहीं थी। सभी नमूनों को समान परिस्थितियों में उगाकर पौधों की वृद्धि, पत्तियों और जड़ों की संरचना, फूल आने का समय, हरियाली और बीज उत्पादन जैसे प्रमुख कृषि गुणों का क्रमबद्ध और तुलनात्मक मूल्यांकन किया गया।
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आंकड़ों के गहन विश्लेषण के बाद वैज्ञानिकों ने उच्च उपज, बेहतर हरियाली और जल्दी तैयार होने वाली मेथी के चार श्रेष्ठ जीनोटाइप की पहचान की। खास बात यह रही कि ये सभी श्रेष्ठ जीनोटाइप बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और नैनीताल जिलों से प्राप्त मेथी के बीजों से ही सामने आए।

अध्ययन से यह साफ हो गया है कि पहाड़ी क्षेत्रों की मेथी में मौजूद समृद्ध आनुवंशिक विविधता का उपयोग कर भविष्य में नई, टिकाऊ और उन्नत किस्में विकसित की जा सकती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह शोध आने वाले समय में किसानों, फसल प्रजनकों और नीति-निर्माताओं के लिए एक ठोस मार्गदर्शक साबित होगा।



बहुउपयोगी है मेथी



मेथी का उपयोग औषधीय, मसाले और सब्जी तीनों रूपों में व्यापक स्तर पर किया जाता है। इसकी ताजी और सूखी पत्तियां सब्जी के रूप में, दाने मसाले के तौर पर और मेथी से प्राप्त तेल विभिन्न दवाओं के निर्माण में काम आता है। बहुउपयोगी स्वरूप के कारण मेथी को देश की प्रमुख नकदी और औषधीय फसलों में गिना जाता है।



प्रदेश के सातों पहाड़ी जिलों में पीढ़ियों से मेथी की खेती की जाती है। यहां की कई किस्में बेहद उत्कृष्ट हैं। इस नए अध्ययन के बाद पारंपरिक मेथी सिर्फ स्थानीय खेती की पहचान नहीं रहेगी, बल्कि भविष्य में टिकाऊ और उन्नत कृषि की मजबूत आधारशिला बनेगी। -प्रवल पीएस वर्मा, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, सीमैप पुरड़ा, बागेश्वर
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