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Chamoli News: पुरस्कार वितरण के साथ मेले का समापन
संवाद न्यूज एजेंसी, चमोली
Updated Thu, 20 Nov 2025 07:22 PM IST
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गौचर मेले के अंतिम दिन महिलाओं को सम्मानित करते विधायक और उपजिलाधिकारी। स्रोत: मेला कमेटी
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फोटो-
गौचर। सात दिवसीय राजकीय औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेले का समापन हो गया है। मेले में विभिन्न प्रतियोगिताओं के प्रतिभागियों और विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया गया। इस दौरान बदरीनाथ विधायक लखपत बुटोला ने कहा कि मेले सांस्कृतिक विकास एवं परंपराओं प्रचार-प्रसार में सहायक साबित होते हैं। गौचर मेला प्रदेश का प्रसिद्ध मेला है। इस अवसर पर नंदानगर के कलाकारों ने ढोल दमाऊं एवं भंकोरों के साथ परंपरागत पांडवनृत्य की प्रस्तुति दी। स्कूली बच्चों ने भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दीं। समापन समारोह में विभिन्न विभागों के स्टालों को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कांग्रेस नेता मुकेश नेगी, ईश्वरी मैखुरी, पूर्व प्रमुख कमल सिंह रावत, वीरेंद्र मिंगवाल, स्वागत समिति के विजय प्रसाद डिमरी, अजय किशोर भंडारी, हरीश चौहान, एसडीएम सोहन सिंह रांगड़, तहसीलदार सुधा डोभाल आदि मौजूद थे। संवाद
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कानुचेंदी सोनू की बाला गौला पैरलि मोत्यूं की माला...
दर्शन फस्र्वाण, इंदर आर्य के नाम रही गौचर मेले की आखिरी सांस्कृतिक संध्या
गौचर। 73वें औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेला की आखिरी सांस्कृतिक संध्या लोकगायक दर्शन फर्स्वाण और इंदर आर्य के नाम रही। कानुचेंदी सोनू की बाला गौला पैरलि मोत्यूं की माला... मैं जो चला जाऊंगा वापस न आऊंगा ये तेरी गलियां छोड़ के... कांछी रे कांछी रे... मोहनी हरिया साड़ी लाल विलोज भलु लागौ छुमा रे छुम... गीतों की मधुर धुनों ने दर्शकों का मनोरंजन किया।
दर्शन फर्स्वाण ने जब अपने सुंदर अंदाज में आफु खांदी पान सुपारी मैं पिलोंदी बीड़ी, बेडुपाको बारामासा गीत गाया तो सभी झूमने लगे। गौचर मेले की आखिरी संध्या में विभिन्न सांस्कृतिक टीमों के कलाकारों ने पांडव नृत्य, जीतू बगड्वाल लोकगाथा, मुखौटा नृत्य ने यादगार बना दिया। उत्तराखंड सांस्कृतिक कला मंच गौचर, ज्योतिर्मठ सांस्कृतिक कला मंच जोशीमठ आदि संस्थाओं ने कई सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। बारह ऐन बग्वाली माधोसिंग, साट्यूं की लवै मंडै लगी जागी रे, खेला पांसो पंडों खेला पांसो, के गंवा की होली या बांद, पोस्तू की छूमा म्येरी भग्यानी बौ... आदि लोकगीतों की प्रस्तुति दी। हिमालयन कल्चर समिति बांक मुन्दोली के कलाकार किशन दानू और उनकी टीम ने चल बैजंती घूमि औला हिंवाला का डांडा डांडी कांठ्यूं मां भगवती दर्शन होंदा रोज की प्रस्तुति दी।
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गौचर। 73वें औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेला की आखिरी सांस्कृतिक संध्या लोकगायक दर्शन फर्स्वाण और इंदर आर्य के नाम रही। कानुचेंदी सोनू की बाला गौला पैरलि मोत्यूं की माला... मैं जो चला जाऊंगा वापस न आऊंगा ये तेरी गलियां छोड़ के... कांछी रे कांछी रे... मोहनी हरिया साड़ी लाल विलोज भलु लागौ छुमा रे छुम... गीतों की मधुर धुनों ने दर्शकों का मनोरंजन किया।
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दर्शन फर्स्वाण ने जब अपने सुंदर अंदाज में आफु खांदी पान सुपारी मैं पिलोंदी बीड़ी, बेडुपाको बारामासा गीत गाया तो सभी झूमने लगे। गौचर मेले की आखिरी संध्या में विभिन्न सांस्कृतिक टीमों के कलाकारों ने पांडव नृत्य, जीतू बगड्वाल लोकगाथा, मुखौटा नृत्य ने यादगार बना दिया। उत्तराखंड सांस्कृतिक कला मंच गौचर, ज्योतिर्मठ सांस्कृतिक कला मंच जोशीमठ आदि संस्थाओं ने कई सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। बारह ऐन बग्वाली माधोसिंग, साट्यूं की लवै मंडै लगी जागी रे, खेला पांसो पंडों खेला पांसो, के गंवा की होली या बांद, पोस्तू की छूमा म्येरी भग्यानी बौ... आदि लोकगीतों की प्रस्तुति दी। हिमालयन कल्चर समिति बांक मुन्दोली के कलाकार किशन दानू और उनकी टीम ने चल बैजंती घूमि औला हिंवाला का डांडा डांडी कांठ्यूं मां भगवती दर्शन होंदा रोज की प्रस्तुति दी।