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Champawat News: बिन बारिश फीकी पड़ी रैनबो ट्राउट मछली की रंगीन दुनिया
संवाद न्यूज एजेंसी, चम्पावत
Updated Sat, 20 Dec 2025 10:39 PM IST
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रैनबो ट्राउट मछली। संवाद
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पंकज पाठक
चंपावत। आमतौर पर बारिश का इंतजार किसान करते हैं लेकिन इस बार चंपावत में रंग-बिरंगी रैनबो ट्राउट मछलियां भी आसमान की ओर टकटकी लगाए हैं। बरसात की कमी ने इन ठंडे पानी की मछलियों की प्राकृतिक लय को थाम दिया है जिससे उनकी ब्रीडिंग प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
शीत जल मात्स्यिकी अनुसंधान केंद्र के प्रायोगिक केंद्र मुड़ियानी में रैनबो ट्राउट की ब्रीडिंग अब तक 20 दिन पीछे खिसक चुकी है। ठंडे, बहते और ऑक्सीजन से भरपूर पानी में पनपने वाली यह मछली बारिश के बिना सहज रूप से प्रजनन नहीं कर पा रही। हालात यह हैं कि बारिश न होने से नर ट्राउट मादाओं के साथ ब्रीडिंग की प्रक्रिया में कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं।
प्रायोगिक केंद्र में नर-मादा समेत करीब एक हजार रैनबो ट्राउट मौजूद हैं। एक किलो वजन की मादा ट्राउट एक बार में एक हजार से लेकर 1500 तक अंडे देने की क्षमता रखती है, लेकिन मौसम की बेरुखी ने इस पूरी प्रक्रिया को रोक दिया है। अंडे देने की क्षमता मछली के वजन और अनुकूल जलवायु पर निर्भर करती है जो फिलहाल अनुकूल नहीं है। संवाद
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पोषण से भरपूर होती है ट्राउट
रैनबो ट्राउट सिर्फ रंगों में ही नहीं, पोषण में भी समृद्ध होती है। इसमें प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये सेहत के लिए लाभकारी माने जाते हैं। इसका स्वाद हल्का, नाजुक और थोड़ा अखरोट जैसा होता है। यह मछली मूल रूप से साफ, ठंडे और बहते पानी में रहना पसंद करती है जबकि रुका हुआ पानी इसके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
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आमतौर पर बारिश होने पर नवंबर के अंत से ट्राउट की ब्रीडिंग शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार बारिश न होने से प्रक्रिया अटकी हुई है। यदि जल्द बरसात नहीं हुई तो ब्रीडिंग में और समय लग सकता है। -डॉ. पंकज कुमार, केंद्र प्रभारी, चंपावत
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शीत जल मात्स्यिकी अनुसंधान केंद्र के प्रायोगिक केंद्र मुड़ियानी में रैनबो ट्राउट की ब्रीडिंग अब तक 20 दिन पीछे खिसक चुकी है। ठंडे, बहते और ऑक्सीजन से भरपूर पानी में पनपने वाली यह मछली बारिश के बिना सहज रूप से प्रजनन नहीं कर पा रही। हालात यह हैं कि बारिश न होने से नर ट्राउट मादाओं के साथ ब्रीडिंग की प्रक्रिया में कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं।
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प्रायोगिक केंद्र में नर-मादा समेत करीब एक हजार रैनबो ट्राउट मौजूद हैं। एक किलो वजन की मादा ट्राउट एक बार में एक हजार से लेकर 1500 तक अंडे देने की क्षमता रखती है, लेकिन मौसम की बेरुखी ने इस पूरी प्रक्रिया को रोक दिया है। अंडे देने की क्षमता मछली के वजन और अनुकूल जलवायु पर निर्भर करती है जो फिलहाल अनुकूल नहीं है। संवाद
पोषण से भरपूर होती है ट्राउट
रैनबो ट्राउट सिर्फ रंगों में ही नहीं, पोषण में भी समृद्ध होती है। इसमें प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये सेहत के लिए लाभकारी माने जाते हैं। इसका स्वाद हल्का, नाजुक और थोड़ा अखरोट जैसा होता है। यह मछली मूल रूप से साफ, ठंडे और बहते पानी में रहना पसंद करती है जबकि रुका हुआ पानी इसके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
आमतौर पर बारिश होने पर नवंबर के अंत से ट्राउट की ब्रीडिंग शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार बारिश न होने से प्रक्रिया अटकी हुई है। यदि जल्द बरसात नहीं हुई तो ब्रीडिंग में और समय लग सकता है। -डॉ. पंकज कुमार, केंद्र प्रभारी, चंपावत

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