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UK News: कभी न हारने का जज्बा...सुनने और बोलने की चुनौती को पछाड़, विनीता जोशी ने स्पोर्ट्स में बनाई पहचान

अमित गंगोला Published by: हल्द्वानी ब्यूरो Updated Fri, 05 Dec 2025 02:17 PM IST
सार

विनीता सात दिसंबर को देहरादून में होने उत्तराखंड स्टेट गेम ऑफ द डीफ में दौड़ स्पर्धा में गोल्ड जीतने का सपना लिए दौड़ेगी। विनीता की कहानी उन लोगों के लिए मिसाल है जो शारीरिक अक्षमता को जिदंगी की राह में ब्रेकर मानकर हार मान लेते हैं

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Haldwani resident Vinita will represent Nainital district in the athletics competition
विनीता जोशी। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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विनीता के अदर न सिर्फ हाथों का जादू बल्कि खिलाड़यों में होने वाला कभी न हारने का जज्बा है। कलाकार और खिलाड़ी के रूप में पहचान बनाने वाली शहर निवासी यह युवती सात दिसंबर को देहरादून में होने उत्तराखंड स्टेट गेम ऑफ द डीफ में दौड़ स्पर्धा में गोल्ड जीतने का सपना लिए दौड़ेगी। विनीता की कहानी उन लोगों के लिए मिसाल है जो शारीरिक अक्षमता को जिदंगी की राह में ब्रेकर मानकर हार मान लेते हैं।

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कमलुवागांजा निवासी 19 वर्षीय विनीता जोशी का जन्म माह छह माह में हो गया। जन्म के कुछ माह बाद मां को बेटी की सुनने की अक्षमता और चार साल की उम्र में बोलने में परेशानी का पता चला। इलाज में काफी खर्च के बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ। उम्र के साथ विनीता का पेटिंग और खेलों के प्रति लगाव बढ़ता गया। शिक्षिका तनुजा चुफाल ने बताया कि विनीता ने स्पेशल ओलंपिक भारत (राष्ट्रीय खेल महासंघ) में बैडमिंटन स्पर्धा का आयोजन किया था। इसमें विनीता ने उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर दूसरा स्थान हासिल किया। उत्तराखंड डीफ सोसायटी की ओर से पंजाब में हुई क्रिकेट प्रतियोगिता में वह टीम का हिस्सा रह चुकी है। सितंबर में योगासन पैरा नेशनल स्पर्धा में विनीता ने भारत में नौवां स्थान प्राप्त कर राज्य का गौरव बढ़ाया था।
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चित्रकारी से जीवन में भर रहीं रंग
विनीता को कलर और पेंसिल आर्ट बनाना पसंद है। घर पर समय मिलने पर वह अपने इस हुनर में हाथ आजमाती हैं। कमरे की दीवारों पर की गई प्रकृति, कार्टून और भगवानों की चित्रकारी हर किसी को आकर्षित करती है। वह शिक्षिका बनकर बच्चों के जीवन में रंग भरना चाहती हैं। विनीता की केक और मिठाई सहित विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने में भी रुचि है।

पिता को था बेटी पर अभिमान
मूल रूप से डीडीहाट निवासी विनीता माता-पिता की इकलौती संतान है। पिता रमेश चन्द्र जोशी को बेटी पर बहुत अभिमान था। पांच साल पहले सड़क हादसे में पिता का साया छीनने के बाद विनीता को बहुत झटका लगा। तब मां विमला जोशी और दादा कृष्णानंद जोशी ने किसी तरह विनीता को संभाला।

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