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Uttarakhand: कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी कोमा में, जानें नियुक्ति नहीं होने के कारण?
अमर उजाला नेटवर्क, हल्द्वानी
Updated Fri, 05 Dec 2025 10:51 AM IST
सार
डॉ. सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में पिछले तीन साल से प्लास्टिक सर्जन नहीं है। इसके चलते आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को इलाज के लिए निजी अस्पताल या ऋषिकेश एम्स के लिए रुख करना पड़ता है।
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प्रतीकात्मक।
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विस्तार
कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल डॉ. सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में पिछले तीन साल से प्लास्टिक सर्जन नहीं है। इसके चलते आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को इलाज के लिए निजी अस्पताल या ऋषिकेश एम्स के लिए रुख करना पड़ता है। कई बार साक्षात्कार होने के बाद चिकित्सक अस्पताल की पॉलिसी को देख सेवाएं देने से मना कर रहे हैं। बीते 27 नवंबर को लोमड़ी ने गदरपुर निवासी महिला की नाक को बुरी तरह से नोच दिया। सर्जन नहीं होने के कारण उसे एसटीएच से ऋषिकेश एम्स रेफर करन पड़ा।
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विशेषज्ञ कमी से मरीज हो रहे हैं परेशान
तीन साल पहले प्लास्टिक सर्जन होने पर अस्पताल में रोजाना करीब 60 से 70 की ओपीडी होती थी। हफ्ते भर करीब चार से पांच मरीजों की सर्जरी की जाती थी। बीते एक माह में करीब 10-15 मरीज प्लास्टिक सर्जरी के लिए पहुंचे थे लेकिन विशेषज्ञ नहीं होने के कारण इन्हें निजी अस्पताल या एम्स का रुख करना पड़ा।
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नियुक्ति होने पर मिलेंगा दूसरे राज्य को भी लाभ
एसटीएच में प्लास्टिक सर्जन की नियुक्ति होने पर कुमाऊं के साथ ही राज्य की सीमा से लगे यूपी के जिलों के लोगों को भी इसका लाभ ललेगा।
इन मामलों में होती है प्लास्टिक सर्जन की जरूरत
- जलने के गंभीर मामलों में
-सड़क दुर्घटना में जख्मी घायल के लिए
- जन्मजात कटे होंठों और तालू को ठीक करने के लिए
- कैंसर सर्जरी के बाद शरीर के को सामान्य रूप देने के लिए
नियुक्ति नहीं होने के कारण
- डॉक्टर को योग्यता से कम वेतन मिलना
- मौजूद सुविधाओं की कमी होना
- पद पर स्थायी नियुक्ति नहीं होना
अस्पताल में मौजूद खाली पदों में स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर की नियुक्ति के लिए लगातार इंटरव्यू किए जा रहे हैं। साथ प्रशासन से पत्राचार भी किया जा रहा है। जल्द ही सर्जन विशेषज्ञ की नियुक्ति की जायेगी। - जीएस तितियाल, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज