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Nainital News: आधुनिक युग के गुरु द्रोणाचार्य गढ़ रहे बाल अर्जुन
संवाद न्यूज एजेंसी, नैनीताल
Updated Wed, 05 Nov 2025 02:45 AM IST
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हल्द्वानी। पहाड़ों की ऊबड़-खाबड़ जमीन और संसाधनों के अभाव में नैनीताल जनपद के दुर्गम क्षेत्र के सरकारी विद्यालय के बच्चे राष्ट्रीय स्तर के धनुर्धरों को चुनौती देते नजर आएंगे। यह संभव हुआ है प्रशिक्षक हिमांशु शर्मा के जुनून और जज्बे से जो ग्रामीण बच्चों के लिए गुरु द्रोणाचार्य बन चुके हैं। ओखलकांडा ब्लॉक के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कैड़ागांव में धनुर्विद्या के गुर सिखा रहे हैं। सीमित बजट में उन्होंने तीरंदाजी का सामान विद्यालय तक पहुंचाया।
स्कूल के पीटीआई शिक्षक हिमांशु ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज अभिषेक वर्मा के साथ उन्होंने दिल्ली विवि में तीरंदाजी का प्रशिक्षण लिया। फिर विद्यालय में मई 2024 से बच्चों को रोजाना छह से आठ घंटे अभ्यास देना शुरू किया। विद्यालय को खेल बजट से केवल 25,000 के अंशदान के साथ उन्होंने 20,000 रुपए का योगदान दिया। ग्रामीण दिनेश भट्ट ने अपने खेत को अभ्यास स्थल के रूप में उन्हें उपलब्ध कराया। परिणाम यह हुआ कि जून में नैनीताल के ज्योलीकोट में 6वीं राज्य स्तरीय तीरंदाजी स्पर्धा में उनके शिष्य ललित मोहन सिंह देऊपा ने रजत और कांस्य पदक जीते। ओपन वर्ग में उन्होंने खुद भी प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल किया। उन्होंने बताया कि जिला खेल समन्वयक संजय वर्मा और राहुल पंवार ने मुख्य शिक्षा अधिकारी के माध्यम से प्रस्ताव भेजकर विद्यालय की टीम को खेल निदेशालय से तीरंदाजी के लिए अनुमोदन दिलाया। अब स्कूल के दसवीं के ललित देउपा, सातवीं के उज्ज्वल बर्थीलिया और नौवीं कक्षा के दीपांशु नेगी राष्ट्रीय तीरंदाजी में उत्तराखंड की ओर से हिस्सा लेंगे। संवाद
तीन नेशनल स्पर्धाओं में लक्ष्य भेदेंगे विद्यालयी छात्र
उत्तराखंड में सरकारी विद्यालय की टीम पहली बार स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजीएफआई) के राष्ट्रीय स्कूल की तीरंदाजी प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही है। हिमांशु ने बताया कि 18 नवंबर को वाराणसी, दिसंबर में रांची और जनवरी में मणिपुर होने वाली स्पर्धा में स्कूली बच्चे हिस्सा लेंगे जो राज्य के लिए ऐतिहासिक अवसर है।
संसाधनों के अभाव में नेशनल स्तर के खिलाड़ियों को देंगे चुनौती
हिमांशु शर्मा ने बताया कि शुरुआत में समतल जमीन न होने के चलते बच्चों को टेबल पर खड़ा करके अभ्यास कराया। विद्यालय में धनुष, टारगेट, स्टैंड और तीर की कमी है। इसके चलते खिलाड़ी उपकरण साझा कर अभ्यास कर रहे हैं।
चार परीक्षाओं में पाई सफलता
नैनीताल के ओखलकांडा ब्लॉक के बबियाड गांव के हिमांशु योग, मल्लखंभ और जिमनास्टिक के नेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं। दिल्ली में ऑल इंडिया सिविल सर्विसेज योगासन स्पर्धा में उन्होंने पांच स्वर्ण पदक अर्जित किए थे। हिमांशु ने फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर (पीटीआई) के लिए राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुनस्यारी स्थित जातीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय कर्नाटक की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 2022 में शिक्षक परीक्षा में आवेदन कर वह सफल हुए।
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तीन नेशनल स्पर्धाओं में लक्ष्य भेदेंगे विद्यालयी छात्र
उत्तराखंड में सरकारी विद्यालय की टीम पहली बार स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजीएफआई) के राष्ट्रीय स्कूल की तीरंदाजी प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही है। हिमांशु ने बताया कि 18 नवंबर को वाराणसी, दिसंबर में रांची और जनवरी में मणिपुर होने वाली स्पर्धा में स्कूली बच्चे हिस्सा लेंगे जो राज्य के लिए ऐतिहासिक अवसर है।
संसाधनों के अभाव में नेशनल स्तर के खिलाड़ियों को देंगे चुनौती
हिमांशु शर्मा ने बताया कि शुरुआत में समतल जमीन न होने के चलते बच्चों को टेबल पर खड़ा करके अभ्यास कराया। विद्यालय में धनुष, टारगेट, स्टैंड और तीर की कमी है। इसके चलते खिलाड़ी उपकरण साझा कर अभ्यास कर रहे हैं।
चार परीक्षाओं में पाई सफलता
नैनीताल के ओखलकांडा ब्लॉक के बबियाड गांव के हिमांशु योग, मल्लखंभ और जिमनास्टिक के नेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं। दिल्ली में ऑल इंडिया सिविल सर्विसेज योगासन स्पर्धा में उन्होंने पांच स्वर्ण पदक अर्जित किए थे। हिमांशु ने फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर (पीटीआई) के लिए राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुनस्यारी स्थित जातीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय कर्नाटक की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 2022 में शिक्षक परीक्षा में आवेदन कर वह सफल हुए।