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Uttarakhand: क्या डिपो के गेट से ही हो रही थी लकड़ी की अनदेखी? आठ लाख का सागौन बरामद, वन निगम की जांच शुरू
अमर उजाला नेटवर्क, कालाढूंगी
Published by: हीरा मेहरा
Updated Mon, 24 Nov 2025 11:12 AM IST
सार
कालाढूंगी स्थित वन निगम डिपो से एक बड़ा घपला पकड़ा गया। रवन्ने से अधिक मात्रा में सागौन की लकड़ी एक ट्रक में लादकर डिपो गेट से निकाली जा रही थी। मुखबिर की सूचना पर वन विभाग की कार्रवाई में ट्रक से करीब आठ लाख रुपये मूल्य की अतिरिक्त लकड़ी बरामद हुई।
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घोटाला। सांकेतिक तस्वीर।
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
कालाढूंगी वन निगम डिपो के रवन्ने में बड़े घपले का मामला रविवार को वन विभाग ने पकड़ा है। रवन्ने में दर्ज संख्या से अधिक लकड़ी वाहन में डालकर उसे निगम गेट से निकाल दिया गया। मुखबिर की सटीक सूचना के बाद जब वन विभाग ने जांच की तो पता चला कि करीब आठ लाख रुपये मूल्य की अतिरिक्त लकड़ी ले जाई जा रही थी। घटना के बाद निगम के डिपो की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग गए हैं।
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विभाग को सूचना मिली कि कालाढूंगी के पास वन निगम के डिपो से तय रवन्ने से अधिक सागौन की लकड़ी बाहर ले जाई जा रही है। तुरंत हरकत में आई कालाढूंगी रेंज की टीम ने ट्रक में अवैध रूप से ले जाई जा रही सागौन की लकड़ी की बड़ी खेप बरामद कर ली। ट्रक से सागौन के 38 गिल्टे अतिरिक्त बरामद हुए जबकि रवन्ना इससे काफी कम लकड़ी का बना था।
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वन विभाग की तौल के मुताबिक 17 घनमीटर के स्थान पर 22 घनमीटर लकड़ी की डिपो से निकासी की गई। डीएफओ रामनगर ध्रुव सिंह मर्तोलिया ने बताया कि दर्ज रवन्ने से अधिक मात्रा में सागौन चोरी कर ट्रक (यूके 04 सीसी 9453) में जाया जा रहा था। सूचना पर नयागांव बैरियर पर ट्रक को रोककर जांच की गई। संदेह होने पर ट्रक को कालाढूंगी रेंज परिसर में खड़ा कर लकड़ी की नाप-जोख कराई गई। वन विभाग ने ट्रक को सीज कर दिया है और मामले की जांच जारी है। डीएफओ ने सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखते हुए उसे पांच हजार रुपये इनाम देने की घोषणा भी की है।
मामला संज्ञान में है। लकड़ी की नापजोख की जाएगी। तय रवन्ने से ज्यादा सागौन मिला तो जांच के बाद दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। सावित्री गिरी, प्रभागीय विक्रय प्रबंधक, वन निगम रामनगर
सवाल : कब से चल रहा था घपला
वन विभाग के मुताबिक वन निगम में रवन्ने में दर्ज संख्या के आधार पर लकड़ी लोड की जाती है। रवन्ना देखने के बाद निगम के गोदाम में डिपो अधिकारी, स्केलर और ठेकेदार की मौजूदगी में लकड़ी वाहन में डाली जाती है। इसके बाद डिपो के बाहर गेट पर ही चेक करने के बाद वाहन को आगे बढ़ाया जाता है। यहां बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि तय रवन्ने से ज्यादा सागौन के आठ लाख रुपये कीमत के 38 गिल्टे आखिर कैसे और क्यों लोड हुए। निगम में अधिकारी की मौजूदगी में ऐसे अगर हुआ है तो यह किसी बड़े घपले की तरफ इशारा कर रहा है। बड़ा सवाल यह कि यह खेल कब से चल रहा होगा।