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शिक्षा की मार: चुनाव से पहले ही हार गया वनराजियों का गांव, एक भी महिला आठवीं पास नहीं; ठप हुआ पंचायत चुनाव
दीपक चंद्र कापड़ी
Published by: हीरा मेहरा
Updated Thu, 20 Nov 2025 02:14 PM IST
सार
पिथौरागढ़ जिले के वनराजि बहुल गांव खेतार कन्याल में प्रधान पद के लिए महिला आरक्षण के कारण पंचायत चुनाव रोकना पड़ा, क्योंकि पूरे गांव में एक भी आठवीं पास महिला नहीं मिली।
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सांकेतिक तस्वीर।
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विस्तार
पिथौरागढ़ जिले के वनराजि बहुल गांव खेतार कन्याल में शिक्षा की ऐसी कड़वी हकीकत सामने आई जिसने पंचायत चुनाव को ही रोक दिया। यहां प्रधान पद की सीट महिला आरक्षित थी, लेकिन गांव में एक भी महिला आठवीं पास नहीं मिली। हालात इतने गंभीर हैं कि सर्वे में 162 वनराजियों में से सिर्फ 15 पुरुष ही आठवीं पास मिले और एक वनराजी पुरुष इंटर पास।
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डीडीहाट विकासखंड के वनराजी बहुल गांव खेतार कन्याल में प्रधान का पद अनुसूचित जनजाति महिला के लिए आरक्षित किया गया र था। वनराजियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त है। प्रधान पर पर सामान्य जाति के प्रत्याशी के लिए शैक्षिक योग्यताहाईस्कूल जबकि महिला व आरक्षित वर्ग के लिए आठवीं पास निर्धारित है। उत्तराखंड में बीती जुलाई में पंचायत चुनाव हुए तो किसी भी महिला के आठवीं पास न मिलने से खेतार कन्याल में प्रधान का चुनाव नहीं हो सका था।
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अब बीते दिनों उपचुनाव के नामांकन से पहले यहां एसटी वर्ग के पुरुष के लिए सीट आरक्षित करने की संभावना को देखते हुए पंचायत राज विभाग ने वनराजी पुरुषों की शिक्षा के संबंध में सर्वे कराया तो इसमें चौंकाने वाली बात सामने आई है। यहां सिर्फ 15 पुरुष ही आठवीं पास मिले हैं। सिर्फ एक वनराजी पुरुष ने इंटरमीडिएट तक की शिक्षा ग्रहण की है। एक भी महिला वनराजी आठवीं तक पढ़ी-लिखी नहीं है। वनराजियों के विकास के लिए हर साल लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं। इसके बाद भी गांव में सिर्फ 10 फीसदी पुरुषों का आठवीं पास मिलना सरकारी दावों और योजनाओं की हकीकत बयां कर रहा है।
खेतार कन्याल गांव की अन्य जातियों के लोगों समेत कुल आबादी 1095 है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक गांव में 162 वनराजी हैं। हालांकि इन 14 वषों में इनकी आबादी 10 से 15 उपचुनाव के बाद भी इस गांव को प्रधान नहीं मिल सका है। पंचायत राज विभाग के मुताबिक, अब यहां प्रधान के चुनाव के लिए आरक्षण में बदलाव ही एकमात्र विकल्प है। यदि एसटी महिला की जगह एसटी पुरुष सीट होगी तो वनराजियों को गांव के प्रतिनिधित्व का पहला मौका मिल सकेगा।