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Pithoragarh News: बागेश्वर का संतरा पिथौरागढ़ में घोल रहा मिठास
संवाद न्यूज एजेंसी, पिथौरागढ़
Updated Sun, 28 Dec 2025 10:26 PM IST
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नाचनी बाजार में बिक रहा बागेश्वर के महरगाड़ घाटी का रसीला संतरा। संवाद
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नाचनी (पिथौरागढ़)। बागेश्वर जिले के महरगाड़ घाटी का रसीला संतरा पिथौरागढ़ जिले में भी अपनी मिठास घोल रहा है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि मांग अधिक होने से अब तक महरगाड़ के काश्तकारों ने पिथौरागढ़ जिले के नाचनी बाजार में 12 लाख रुपये के संतरे बेचे हैं। लोग इन संतरों को खूब पसंद कर रहे हैं। मांग अधिक होने से काश्तकारों को भी इनका उचित बाजार मिला है।
नाचनी बाजार संतरे बेचने पहुंचे काश्तकार धरम सिंह कोश्यारी, बाजो सिंह कोश्यारी, लच्छम सिंह कोरंगा ने बताया कि आकार के आधार पर संतरे का दाम तय किया गया हे। पहले ग्रेड का संतरा 130, दूसरे ग्रेड का 100 जबकि तीसरे ग्रेड का संतरा 80 रुपये दर्जन बिक रहा है। पिथौरागढ़ और थल से थोक व्यापारी संतरे खरीदने महरगाड़ घाटी के गांवों में पहुंच रहे हैं। किसमिला गांव के धरम सिंह ने बताया कि उन्होंने अब तक 90, लछम सिंह ने 60, मंगल सिंह कोरंगा ने 55 हजार, जबाजो सिंह ने 50 हजार के संतरे बेचे हैं। घाटी के 15 हजार से अधिक काश्तकारों ने अब तक संतरे का 12 लाख रुपये का कारोबार किया है।
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सिंचाई सुविधा के अभाव में दो-तीन साल में सूख रहे हैं पेड़
महरगाड़ के काश्तकारों के चेहरे पर जहां संतरे का उचित बाजार मिलने की खुशी है वहीं सूख रहे पेड़ों ने इनकी चिंता भी बढ़ा दी है। सुरेंद्र सिंह, चंद्र सिंह, भूपाल सिंह, जगत सिंह सहित अन्य काश्तकारों ने बताया कि सिंचाई की सुविधा न होने से दिक्कत है। संतरे की पैदावार तो अच्छी हो रही है लेकिन सिंचाई की सुविधा न होने से पेड़ दो या तीन साल तक फल देने के बाद सूख रहे हैं। कहा कि यदि उद्यान विभाग सिंचाई की आधुनिक ड्रिप तकनीक की व्यवस्था करता तो गुणवत्ता के साथ पैदावार और पेड़ों की उम्र भी बढ़ती। कहा कि वे लंबे समय से सिंचाई के लिए लिफ्ट योजना की मांग भी कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
कोट
ड्रिप इरिगेशन के लिए पर्याप्त बजट है। शीघ्र ही शामा मोबाइल टीम के प्रभारी को महरगाड़ घाटी में भेजा जाएगा। काश्तकारों की हर समस्या का समाधान होगा। - हरीश चंद्र आर्या, मुख्य उद्यान अधिकारी, बागेश्वर
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नाचनी बाजार संतरे बेचने पहुंचे काश्तकार धरम सिंह कोश्यारी, बाजो सिंह कोश्यारी, लच्छम सिंह कोरंगा ने बताया कि आकार के आधार पर संतरे का दाम तय किया गया हे। पहले ग्रेड का संतरा 130, दूसरे ग्रेड का 100 जबकि तीसरे ग्रेड का संतरा 80 रुपये दर्जन बिक रहा है। पिथौरागढ़ और थल से थोक व्यापारी संतरे खरीदने महरगाड़ घाटी के गांवों में पहुंच रहे हैं। किसमिला गांव के धरम सिंह ने बताया कि उन्होंने अब तक 90, लछम सिंह ने 60, मंगल सिंह कोरंगा ने 55 हजार, जबाजो सिंह ने 50 हजार के संतरे बेचे हैं। घाटी के 15 हजार से अधिक काश्तकारों ने अब तक संतरे का 12 लाख रुपये का कारोबार किया है।
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सिंचाई सुविधा के अभाव में दो-तीन साल में सूख रहे हैं पेड़
महरगाड़ के काश्तकारों के चेहरे पर जहां संतरे का उचित बाजार मिलने की खुशी है वहीं सूख रहे पेड़ों ने इनकी चिंता भी बढ़ा दी है। सुरेंद्र सिंह, चंद्र सिंह, भूपाल सिंह, जगत सिंह सहित अन्य काश्तकारों ने बताया कि सिंचाई की सुविधा न होने से दिक्कत है। संतरे की पैदावार तो अच्छी हो रही है लेकिन सिंचाई की सुविधा न होने से पेड़ दो या तीन साल तक फल देने के बाद सूख रहे हैं। कहा कि यदि उद्यान विभाग सिंचाई की आधुनिक ड्रिप तकनीक की व्यवस्था करता तो गुणवत्ता के साथ पैदावार और पेड़ों की उम्र भी बढ़ती। कहा कि वे लंबे समय से सिंचाई के लिए लिफ्ट योजना की मांग भी कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
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ड्रिप इरिगेशन के लिए पर्याप्त बजट है। शीघ्र ही शामा मोबाइल टीम के प्रभारी को महरगाड़ घाटी में भेजा जाएगा। काश्तकारों की हर समस्या का समाधान होगा। - हरीश चंद्र आर्या, मुख्य उद्यान अधिकारी, बागेश्वर

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