{"_id":"69306c3bd0511567ed0c4fa0","slug":"strangers-in-their-own-homes-15000-people-living-in-uncertainty-pithoragarh-news-c-8-hld1045-681859-2025-12-03","type":"story","status":"publish","title_hn":"Pithoragarh News: अपने घर में अजनबी.. अनिश्चितता के साए में 15 हजार लोग","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Pithoragarh News: अपने घर में अजनबी.. अनिश्चितता के साए में 15 हजार लोग
संवाद न्यूज एजेंसी, पिथौरागढ़
Updated Wed, 03 Dec 2025 10:28 PM IST
विज्ञापन
कभी चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध बेड़ीनाग अब ले चुका शहर का रूप। संवाद
विज्ञापन
बेड़ीनाग। कभी अंग्रेजों के जमाने में चाय की मीठी खुशबू और हरी भरी पहाड़ियों से महकता बेड़ीनाग आज तेजी से बसते शहर का रूप ले चुका है। 80 के दशक में चाय उद्योग के दम तोड़ने के बाद हजारों लोगों ने बागान की जमीन बाॅन्ड पर खरीद कर अपने आशियाने बना लिए लेकिन इन लोगों के दिलों में एक टीस है। जिस पर उन्होंने अपने सपनों के घर बनाए वह आज भी उनकी नहीं है।
आजादी के बाद भी बेड़ीनाग को टी-स्टेट का दर्जा मिला। इस जमीन को कानूनन बेचा नहीं जा सकता था। ऐसे में लोग बस बांड पर जमीन लेकर मकान तो बना बैठे। किसी ने अपनी उम्रभर की कमाई झोंकी। किसी ने उधार लेकर घर बनाया लेकिन मालिकाना हक का मुद्दा आज भी अटका पड़ा है। इस अस्थिरता ने यहां के लोगों की नींद, सुरक्षा और भविष्य सबको अनिश्चितता की धुंध से ढक दिया है। वर्तमान में यहां करीब 300 हेक्टेयर जमीन पर लगभग 1500 मकान बने हैं। इनमें तकरीबन 15000 की आबादी रहती है लेकिन कोई भी यह नहीं कह सकता कि यह जमीन उसकी है। राजनीतिक दल हर चुनाव में इस मसले को मुद्दा बनाकर वादों की बारिश करते हैं। लोकसभा से लेकर निकाय चुनाव तक वादों की बरसात झूठी तसल्ली का कीचड़ बनकर रह जाती है।
सीलिंग का डर, अदालत से आस
बेड़ीनाग नगर को पालिका का दर्जा मिल चुका है। मकानों के अलावा कई होटल और सरकारी संस्थान भी स्थापित हो चुके हैं। यहां के लोग हमेशा डर के साए में जीते हैं। कभी प्रशासन की कार्रवाई, कभी नापजोख, कभी सीलिंग, तो कभी अदालत के चक्कर। जीवन एक संघर्ष बन चुका है। प्रदेश सरकार के आदेश पर यहां सीलिंग की कार्रवाई शुरू की गई थी। सभी मकानों की नापजोख के बाद राजस्व विभाग ने रिकॉर्ड तैयार किया। भू-स्वामियों की आपत्ति के बाद यह मामला अदालत में विचाराधीन है। अब पूरा शहर फैसले के इंतनार में उम्मीदों की टकटकी लगाए हुए है। संवाद
-- -- -- -- -- -- -- -- -- -
बोले लोग
भूमि का मालिकाना हक बेड़ीनाग के निवासियों की सबसे प्रमुख मांग है। लोगों ने जिंदगी भर की खून पसीने की कमाई से बेड़ीनाग में अपने आशियाने बनाए हैं। बावजूद इसके कोई भी सुविधा नहीं मिल पा रही। स्थाई निवास प्रमाणपत्र नहीं बन रहा है। अब जो नए मकान बने हैं उन्हें बिजली और पानी का कनेक्शन भी नहीं मिल पा रहा है। -डीएल शाह, व्यवसायी
-- -- -- -- -- -- -- -
भूमि के दस्तावेज नहीं होने से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बैंक से भी रोजगार की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। युवाओं का लगातार पलायन हो रहा है। सरकार को बेड़ीनाग के लोगों को उनकी जमीन का मालिकाना हक देना चाहिए। -अमित पाठक, व्यवसायी
-- -- -- -- -- -- -- --
बेड़ीनाग की सबसे मूलभूत समस्या भूमि का मालिकाना हक है। इसको लेकर अब तक की सरकारों ने सिर्फ आश्वासन देकर ठगने का काम किया है। व्यापार संघ लगातार मालिकाना हक देने की मांग कर रहा है। -राजेश रावत, व्यापार संघ अध्यक्ष, बेड़ीनाग
-- -- -- --
बोले विधायक
बेड़ीनाग में भूमि के मालिकाना हक को लेकर सरकार बहुत गंभीर है। यहां सीलिंग की कार्रवाई की गई जिसमें मकानों की नापजोख हो चुकी है। जमीन के पूर्व भू-स्वामियों ने अदालत से स्टे ले लिया है। सरकार की तरफ से मामले की पैरवी की जा रही है। उम्मीद है कि जल्द लोगों के पक्ष में फैसला आएगा। -फकीर राम टम्टा, विधायक, गंगोलीहाट
Trending Videos
आजादी के बाद भी बेड़ीनाग को टी-स्टेट का दर्जा मिला। इस जमीन को कानूनन बेचा नहीं जा सकता था। ऐसे में लोग बस बांड पर जमीन लेकर मकान तो बना बैठे। किसी ने अपनी उम्रभर की कमाई झोंकी। किसी ने उधार लेकर घर बनाया लेकिन मालिकाना हक का मुद्दा आज भी अटका पड़ा है। इस अस्थिरता ने यहां के लोगों की नींद, सुरक्षा और भविष्य सबको अनिश्चितता की धुंध से ढक दिया है। वर्तमान में यहां करीब 300 हेक्टेयर जमीन पर लगभग 1500 मकान बने हैं। इनमें तकरीबन 15000 की आबादी रहती है लेकिन कोई भी यह नहीं कह सकता कि यह जमीन उसकी है। राजनीतिक दल हर चुनाव में इस मसले को मुद्दा बनाकर वादों की बारिश करते हैं। लोकसभा से लेकर निकाय चुनाव तक वादों की बरसात झूठी तसल्ली का कीचड़ बनकर रह जाती है।
विज्ञापन
विज्ञापन
सीलिंग का डर, अदालत से आस
बेड़ीनाग नगर को पालिका का दर्जा मिल चुका है। मकानों के अलावा कई होटल और सरकारी संस्थान भी स्थापित हो चुके हैं। यहां के लोग हमेशा डर के साए में जीते हैं। कभी प्रशासन की कार्रवाई, कभी नापजोख, कभी सीलिंग, तो कभी अदालत के चक्कर। जीवन एक संघर्ष बन चुका है। प्रदेश सरकार के आदेश पर यहां सीलिंग की कार्रवाई शुरू की गई थी। सभी मकानों की नापजोख के बाद राजस्व विभाग ने रिकॉर्ड तैयार किया। भू-स्वामियों की आपत्ति के बाद यह मामला अदालत में विचाराधीन है। अब पूरा शहर फैसले के इंतनार में उम्मीदों की टकटकी लगाए हुए है। संवाद
बोले लोग
भूमि का मालिकाना हक बेड़ीनाग के निवासियों की सबसे प्रमुख मांग है। लोगों ने जिंदगी भर की खून पसीने की कमाई से बेड़ीनाग में अपने आशियाने बनाए हैं। बावजूद इसके कोई भी सुविधा नहीं मिल पा रही। स्थाई निवास प्रमाणपत्र नहीं बन रहा है। अब जो नए मकान बने हैं उन्हें बिजली और पानी का कनेक्शन भी नहीं मिल पा रहा है। -डीएल शाह, व्यवसायी
भूमि के दस्तावेज नहीं होने से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बैंक से भी रोजगार की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। युवाओं का लगातार पलायन हो रहा है। सरकार को बेड़ीनाग के लोगों को उनकी जमीन का मालिकाना हक देना चाहिए। -अमित पाठक, व्यवसायी
बेड़ीनाग की सबसे मूलभूत समस्या भूमि का मालिकाना हक है। इसको लेकर अब तक की सरकारों ने सिर्फ आश्वासन देकर ठगने का काम किया है। व्यापार संघ लगातार मालिकाना हक देने की मांग कर रहा है। -राजेश रावत, व्यापार संघ अध्यक्ष, बेड़ीनाग
बोले विधायक
बेड़ीनाग में भूमि के मालिकाना हक को लेकर सरकार बहुत गंभीर है। यहां सीलिंग की कार्रवाई की गई जिसमें मकानों की नापजोख हो चुकी है। जमीन के पूर्व भू-स्वामियों ने अदालत से स्टे ले लिया है। सरकार की तरफ से मामले की पैरवी की जा रही है। उम्मीद है कि जल्द लोगों के पक्ष में फैसला आएगा। -फकीर राम टम्टा, विधायक, गंगोलीहाट

कमेंट
कमेंट X