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Pithoragarh News: बदहाल सिस्टम... जोखिम भरा है गर्भवतियों का जीवन
संवाद न्यूज एजेंसी, पिथौरागढ़
Updated Thu, 20 Nov 2025 10:55 PM IST
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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, डीडीहाट।
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डीडीहाट (पिथौरागढ़)। राज्य के पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। गर्भवतियों को समुचित इलाज नहीं मिलने और समय पर जरूरी जांचें नहीं होने से कहना मुश्किल है कि इस धरती पर जन्म लेने वाला बच्चा स्वस्थ होगा या नहीं।
जिले के स्वास्थ्य केंद्रों की बानगी देखिए कहीं भी गर्भवतियों की प्राथमिक जांचें तक नहीं हो पाती हैं। उन्हें हर तरह की जांच के लिए जिला अस्पताल पर निर्भर रहना पड़ता है। जोखिम के इन दिनों में उन्हें अल्ट्रासाउंड समेत जरूरी जांचों के लिए हजारों रुपये खर्च कर 50 से 100 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। आर्थिक तंगी के कारण कई गर्भवतियां तो जांच कराने के लिए पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय भी नहीं जा पातीं। उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या घर पर ही प्रसव कराना पड़ता है।
कुछ इसी तरह का हाल डीडीहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। यहां अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीन दो साल से धूल फांक रही है और गर्भवतियां जांच के लिए 50 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय जाने के लिए मजबूर हैं। यहां भी एक ही दिन में इनका अल्ट्रासाउंड होना संभव नहीं है। ऐसे में क्षेत्र की गर्भवतियां अल्ट्रासाउंड कराने के लिए कई चक्कर काटने के लिए मजबूर हैं।
आंदोलन के बाद डीडीहाट सीएचसी में वर्ष 2022 में अल्ट्रासाउंड मशीन लगी। शुरुआती छह महीने तक जिला अस्पताल पिथौरागढ़ के रेडियोलॉजिस्ट ने रोस्टर के आधार पर माह में दो दिन स्थानीय स्तर पर अल्ट्रासाउंड किया। इससे गर्भवतियों को खासी राहत मिली। धीरे-धीरे यह रोस्टर माह में एक दिन और उसके बाद तीन माह में एक दिन पर आ गया। साल 2024 से रोस्टर व्यवस्था बंद होने के साथ ही अल्ट्रासाउंड भी बंद हो गए। गर्भवतियां अल्ट्रासाउंड के लिए पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय स्थित महिला अस्पताल में सप्ताह में दो दिन लगने वाले शिविर या जिला अस्पताल जाकर अल्ट्रासाउंड कराने के लिए मजबूर हैं।
इन अस्पतालों में भी भीड़ अधिक होने से अल्ट्रासाउंड के लिए गर्भवतियों को दो से तीन दिन का इंतजार करना पड़ता है। इन हालातों में गर्भवतियां बैरंग लौटने या होटलों, रिश्तेदारों के यहां ठहरने के लिए मजबूर हैं। सीएचसी में रोस्टर के हिसाब से अल्ट्रासाउंड न होने से क्षेत्र की गर्भवतियों में नाराजगी है।
बोलीं महिलाएं
लाखों की मशीन लगाने के बाद भी अल्ट्रासाउंड कराने के लिए गर्भवतियों पिथौरागढ़ जाना पड़ रहा है। यह अत्यंत तकलीफदेह है। स्थानीय स्तर पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। - तुलसी कन्याल, डीडीहाट
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लंबे आंदोलन के बाद सीएचसी में लगाई गई अल्ट्रासाउंड मशीन दो साल से कमरे में बंद है। यह पहाड़ की स्वास्थ्य व्यवस्था की असल हकीकत को बयां कर रही है। - पुष्पा जोशी, डीडीहाट
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पहाड़ पर स्वास्थ्य सुविधाएं दम तोड़ रही हैं। इसकी मार गर्भवतियां और आम मरीज सह रहे हैं। गर्भवतियों को अल्ट्रासाउंड के लिए 50 किमी दूर जिला मुख्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। - नंदी देवी, खेतार, डीडीहाट
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पहाड़ के अस्पतालों में अब मरीज नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि जांच के नाम पर इन अस्पतालों में कुछ भी सुविधा नहीं है। डीडीहाट सीएचसी भी इन्हीं अस्पतालों में शामिल है। - भगवती वर्मा, डीडीहाट
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कोट
सीएचसी में अल्ट्रासाउंड सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। फिलहाल रेडियोलाॅजिस्ट की कमी से यहां अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहे हैं। रोस्टर के हिसाब से अल्ट्रासाउंड कराने का आग्रह उच्चाधिकारियों से किया गया है। -डाॅ. सरबरी, प्रभारी चिकित्साधिकारी, सीएचसी, डीडीहाट
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जिले के स्वास्थ्य केंद्रों की बानगी देखिए कहीं भी गर्भवतियों की प्राथमिक जांचें तक नहीं हो पाती हैं। उन्हें हर तरह की जांच के लिए जिला अस्पताल पर निर्भर रहना पड़ता है। जोखिम के इन दिनों में उन्हें अल्ट्रासाउंड समेत जरूरी जांचों के लिए हजारों रुपये खर्च कर 50 से 100 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। आर्थिक तंगी के कारण कई गर्भवतियां तो जांच कराने के लिए पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय भी नहीं जा पातीं। उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या घर पर ही प्रसव कराना पड़ता है।
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कुछ इसी तरह का हाल डीडीहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। यहां अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीन दो साल से धूल फांक रही है और गर्भवतियां जांच के लिए 50 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय जाने के लिए मजबूर हैं। यहां भी एक ही दिन में इनका अल्ट्रासाउंड होना संभव नहीं है। ऐसे में क्षेत्र की गर्भवतियां अल्ट्रासाउंड कराने के लिए कई चक्कर काटने के लिए मजबूर हैं।
आंदोलन के बाद डीडीहाट सीएचसी में वर्ष 2022 में अल्ट्रासाउंड मशीन लगी। शुरुआती छह महीने तक जिला अस्पताल पिथौरागढ़ के रेडियोलॉजिस्ट ने रोस्टर के आधार पर माह में दो दिन स्थानीय स्तर पर अल्ट्रासाउंड किया। इससे गर्भवतियों को खासी राहत मिली। धीरे-धीरे यह रोस्टर माह में एक दिन और उसके बाद तीन माह में एक दिन पर आ गया। साल 2024 से रोस्टर व्यवस्था बंद होने के साथ ही अल्ट्रासाउंड भी बंद हो गए। गर्भवतियां अल्ट्रासाउंड के लिए पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय स्थित महिला अस्पताल में सप्ताह में दो दिन लगने वाले शिविर या जिला अस्पताल जाकर अल्ट्रासाउंड कराने के लिए मजबूर हैं।
इन अस्पतालों में भी भीड़ अधिक होने से अल्ट्रासाउंड के लिए गर्भवतियों को दो से तीन दिन का इंतजार करना पड़ता है। इन हालातों में गर्भवतियां बैरंग लौटने या होटलों, रिश्तेदारों के यहां ठहरने के लिए मजबूर हैं। सीएचसी में रोस्टर के हिसाब से अल्ट्रासाउंड न होने से क्षेत्र की गर्भवतियों में नाराजगी है।
बोलीं महिलाएं
लाखों की मशीन लगाने के बाद भी अल्ट्रासाउंड कराने के लिए गर्भवतियों पिथौरागढ़ जाना पड़ रहा है। यह अत्यंत तकलीफदेह है। स्थानीय स्तर पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। - तुलसी कन्याल, डीडीहाट
लंबे आंदोलन के बाद सीएचसी में लगाई गई अल्ट्रासाउंड मशीन दो साल से कमरे में बंद है। यह पहाड़ की स्वास्थ्य व्यवस्था की असल हकीकत को बयां कर रही है। - पुष्पा जोशी, डीडीहाट
पहाड़ पर स्वास्थ्य सुविधाएं दम तोड़ रही हैं। इसकी मार गर्भवतियां और आम मरीज सह रहे हैं। गर्भवतियों को अल्ट्रासाउंड के लिए 50 किमी दूर जिला मुख्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। - नंदी देवी, खेतार, डीडीहाट
पहाड़ के अस्पतालों में अब मरीज नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि जांच के नाम पर इन अस्पतालों में कुछ भी सुविधा नहीं है। डीडीहाट सीएचसी भी इन्हीं अस्पतालों में शामिल है। - भगवती वर्मा, डीडीहाट
कोट
सीएचसी में अल्ट्रासाउंड सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। फिलहाल रेडियोलाॅजिस्ट की कमी से यहां अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहे हैं। रोस्टर के हिसाब से अल्ट्रासाउंड कराने का आग्रह उच्चाधिकारियों से किया गया है। -डाॅ. सरबरी, प्रभारी चिकित्साधिकारी, सीएचसी, डीडीहाट