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पीएसपी परियोजना से यूपी-दिल्ली को पूर्ववत मिलता रहेगा पानी : मुख्य महाप्रबंधक
संवाद न्यूज एजेंसी, टिहरी
Updated Mon, 24 Nov 2025 06:59 PM IST
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टिहरी में पत्रकार वार्ता करते टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के मुख्य महाप्रबंधक एमके सिंह। संवाद
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नई टिहरी। टिहरी बांध की 1000 मेगावाट क्षमता वाली वेरिएबल पंप स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) परियोजना निर्माण के अंतिम चरण में पहुंच गई है। लगभग 8 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना की अंतिम 250 मेगावाट यूनिट से उत्पादन जनवरी 2026 में शुरू करने की तैयारी है। वर्तमान में दो यूनिटों से प्रतिदिन करीब एक-एक करोड़ रुपये की बिजली उत्पन्न की जा रही है, जबकि तीसरी यूनिट अगले 15 दिनों में शुरू होने की संभावना है।
यह जानकारी टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के मुख्य महाप्रबंधक एम.के. सिंह ने पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पीएसपी परियोजना का किसी भी पेयजल या सिंचाई योजना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि प्लांट अतिरिक्त पानी का उपयोग नहीं करता बल्कि रिसाइकल पानी से ही संचालित होता है। टिहरी बांध से उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित अन्य राज्यों को पानी की आपूर्ति पहले की तरह ही जारी रहेगी।
एम.के. सिंह ने बताया कि परियोजना पूरी तरह सुरंगों के भीतर निर्मित है और किसी भी परिवार का विस्थापन नहीं हुआ। यह तकनीक देश के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे कोयले पर निर्भरता कम होगी और कार्बन उत्सर्जन घटेगा। पीएसपी ऊपरी और निचले जलाशयों के बीच समान मात्रा में पानी स्थानांतरित कर बिजली उत्पादन और पुनः पंपिंग की प्रक्रिया पर आधारित है, जिसमें प्राकृतिक जल संसाधन खर्च नहीं होते।
पत्रकार वार्ता में महाप्रबंधक एस.के. साहू, डीजीएम मोहन सिंह श्रीस्वाल, डीजीएम आशीष ममगाईं, प्रबंधक मनवीर सिंह नेगी और दीपक उनियाल भी उपस्थित रहे।
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यह जानकारी टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के मुख्य महाप्रबंधक एम.के. सिंह ने पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पीएसपी परियोजना का किसी भी पेयजल या सिंचाई योजना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि प्लांट अतिरिक्त पानी का उपयोग नहीं करता बल्कि रिसाइकल पानी से ही संचालित होता है। टिहरी बांध से उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित अन्य राज्यों को पानी की आपूर्ति पहले की तरह ही जारी रहेगी।
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एम.के. सिंह ने बताया कि परियोजना पूरी तरह सुरंगों के भीतर निर्मित है और किसी भी परिवार का विस्थापन नहीं हुआ। यह तकनीक देश के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे कोयले पर निर्भरता कम होगी और कार्बन उत्सर्जन घटेगा। पीएसपी ऊपरी और निचले जलाशयों के बीच समान मात्रा में पानी स्थानांतरित कर बिजली उत्पादन और पुनः पंपिंग की प्रक्रिया पर आधारित है, जिसमें प्राकृतिक जल संसाधन खर्च नहीं होते।
पत्रकार वार्ता में महाप्रबंधक एस.के. साहू, डीजीएम मोहन सिंह श्रीस्वाल, डीजीएम आशीष ममगाईं, प्रबंधक मनवीर सिंह नेगी और दीपक उनियाल भी उपस्थित रहे।