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जंगल उदास है: पटरी से उतर गई गजराज की जिंदगी की ट्रेन, चार दिन पहले रेलगाड़ी से टकराकर घायल हुए हाथी की मौत
अमर उजाला नेटवर्क, ऊधम सिंह नगर
Updated Wed, 05 Nov 2025 12:46 PM IST
सार
चार दिन पहले रेलगाड़ी से टकराकर घायल हुआ जंगल का रखवाला गजराज आखिरकार जिंदगी की जंग हार गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उसे को बचाया नहीं जा सका। चिकित्सकों के अनुसार उसका नर्व सिस्टम खराब होने के कारण शरीर के पिछले हिस्से में पैरालिसिस हो गया था।
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ट्रेन की चपेट में आया हाथी घायल
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
गूलरभोज में तराई के जंगलों में मंगलवार को अजीब खामोशी पसर गई। चार दिन पहले रेलगाड़ी से टकराकर घायल हुआ जंगल का रखवाला गजराज आखिरकार जिंदगी की जंग हार गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उसे को बचाया नहीं जा सका। चिकित्सकों के अनुसार उसका नर्व सिस्टम खराब होने के कारण शरीर के पिछले हिस्से में पैरालिसिस हो गया था।
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शुक्रवार रात की वह दर्दनाक घटना किसी बुरे सपने जैसी थी। गूलरभोज–लालकुआं रेलवे ट्रैक पर निरीक्षण करती स्पेशल ट्रेन ओएमएस (ऑसिलेशन मॉनिटरिंग सिस्टम) से टकराकर हाथी घायल होकर पानी से भरे गढ्ढे में गिर पड़ा। 15 घंटे तक वह असहाय और निढाल पड़ा रहा। उसकी कराहें जंगल की हवा को चीरती रहीं। धरती को थर्रा देने वाले उसके पैर हिल भी नहीं पा रहे थे। आखिरकार जेसीबी मशीन की मदद से उसे बाहर निकाला गया। उसके पैरों में गहरी चोटें थीं। बायां दांत टूट चुका था। उसकी डबडबाई आंखों में दर्द और बेबसी घर कर गई थी।
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चार दिन तक 24 घंटे लगातार वनकर्मी और अनुभवी चिकित्सकों की टीम उसकी सेवा में लगी रही। लेजर थेरेपी, इंजेक्शन, ड्रिप…सारी कोशिशें चल रही थीं। एक्स-रे में हड्डी तो टूटी नहीं मिली लेकिन उसके नर्व सिस्टम ने जवाब दिया था। पिछला हिस्सा पूरी तरह सुन्न हो चुका था। वह आहार भी नहीं ले पा रहा था। सिर्फ पानी और फ्लूड थेरेपी के सहारे किसी तरह जिंदगी की उम्मीद टिकी रही।
आखिरकार मंगलवार दोपहर 11:15 बजे उम्मीद की डोर टूट गई। वह आखिरी बार हिला…और फिर सब थम गया। जंगल का पहरेदार इंसानी दुनिया की लापरवाही की भेंट चढ़ गया। मायूसी भरे माहौल में मथुरा एसओएस वाइल्ड लाइफ के डॉ. ललित ने उसे मृत घोषित किया। अधिकारियों के निर्देश पर डॉ. ललित और डॉ. राहुल सती ने हाथी का पोस्टमार्टम किया। फिर उसे जंगल की गोद में सौंप दिया गया। उसी तराई की जमीन में वह सदा के लिए सो गया, जिसका वह रक्षक था।
दवाएं, दुआएं दर्द पर बेअसर रहीं
चिकित्सकों ने नर्व सिस्टम डैमेज होना गजराज की मौत का कारण बताया है। दवाएं भी चलीं, दुआएं भी हुईं... मगर कोई उस पीड़ा को कम नहीं कर पाया। पीपल पड़ाव के वन क्षेत्राधिकारी पीसी जोशी ने बताया कि उसका पिछला हिस्सा पूरा सुन्न हो गया था। जीभ और मुंह में जख्म होने के कारण कुछ खा भी नहीं पा रहा था।
घायल हाथी की मौत हो चुकी है। ट्रेन के लोको पायलट के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। हाथी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी। - यूसी तिवारी, डीएफओ, तराई केंद्रीय वन प्रभाग