ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए दिवाली बेहद खास हो सकती है। सरकार जल्द ही पैसेंजर व्हीकल (कार) और टू-व्हीलर्स पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को 28% से घटाकर 18% करने का ऐलान कर सकती है। इससे आम लोगों के लिए गाड़ियां खरीदना आसान हो जाएगा।फिलहाल कितना टैक्स लगता है? अभी सभी पैसेंजर व्हीकल्स पर 28% जीएसटी के साथ 1% से 22% तक सेस लगता है। इससे कुल टैक्स बोझ 50% तक पहुंच जाता है। वहीं, इलेक्ट्रिक कारों पर सिर्फ 5% जीएसटी है और कोई सेस नहीं लगता। टू-व्हीलर्स पर 28% जीएसटी है। 350cc तक की बाइक पर सेस शून्य है जबकि 350cc से ज्यादा इंजन वाली बाइक्स पर 3% सेस देना पड़ता है।सरकार की तैयारी
पीटीआई के मुताबिक, इस हफ्ते जीएसटी काउंसिल की तीन मंत्रियों की समिति टैक्स स्ट्रक्चर की समीक्षा करेगी। प्रस्ताव में 5% और 18% स्लैब रखने और 12% व 28% स्लैब हटाने की बात है। हालांकि, लग्जरी कारों पर टैक्स 40% तक हो सकता है।स्वतंत्रता दिवस के भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि "इस दिवाली, देशवासियों को बड़ा तोहफा मिलेगा। हम जीएसटी रिफॉर्म्स का अगला चरण ला रहे हैं, जिससे आम आदमी पर टैक्स बोझ कम होगा और एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा।"क्यों जरूरी है यह कदम?
पिछले कुछ समय से एंट्री-लेवल कारों और टू-व्हीलर्स की बिक्री सुस्त है। बढ़ती ब्याज दरें, ऊंची लागत और सेफ्टी-एमिशन नियमों ने गाड़ियों की कीमतें बढ़ा दी हैं। मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर.सी. भार्गव और हीरो मोटोकॉर्प के पवन मुंजाल पहले भी छोटे वाहनों पर टैक्स घटाने की मांग कर चुके हैं।
क्या कहते हैं बिक्री के आंकड़े?
SIAM के अनुसार, FY24 में छोटी कारों की बिक्री 14,47,060 यूनिट थी, जो FY25 में घटकर 12,79,467 यूनिट रह गई यानी इसमें 11.58% की गिरावट दर्ज की गई है। 110cc तक की मोटरसाइकिलों की बिक्री FY25 में 56,57,125 यूनिट पर लगभग स्थिर रही।अगर जीएसटी 28% से घटकर 18% हुआ तो एंट्री-लेवल गाड़ियों की कीमतें सीधे घटेंगी। इससे डिमांड बढ़ेगी और बिक्री में सुधार होगा। छोटी कारों की घटती बिक्री की मुख्य वजह इनकी बढ़ती कीमतों को बताया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सेक्टर को नई रफ्तार देगा।सरकार जीएसटी की दरों को फिर से तय करने की तैयारी में है, जिससे गाड़ियों की टैक्स वर्गीकरण (क्लासिफिकेशन) को लेकर चल रहे विवाद खत्म हो जाएंगे। अभी तक इंजन की क्षमता और गाड़ी के साइज के आधार पर टैक्स तय होता है। लेकिन नए सिस्टम से यह झंझट खत्म हो जाएगा। ऑटोमोबाइल वर्तमान में जीएसटी व्यवस्था के सबसे ऊंचे कर दायरे में हैं, और इस कदम से सरकार का लक्ष्य आम लोगों को लाभ पहुंचाना है।अभी कितना टैक्स लगता है
फिलहाल भारत में ऑटोमोबाइल्स पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है, जो सबसे ऊंचे टैक्स स्लैब में आता है। इसके ऊपर अलग-अलग गाड़ियों पर 1 प्रतिशत से लेकर 22 प्रतिशत तक का कम्पनसेशन सेस भी लगाया जाता है। इस वजह से कार खरीदना और महंगा पड़ता है। इंजन और साइज के हिसाब से देखें तो छोटी पेट्रोल कार पर टैक्स करीब 29 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। जबकि एसयूवी पर यह बोझ लगभग 50 प्रतिशत तक हो सकता है। वहीं, इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर फिलहाल सिर्फ 5 प्रतिशत टैक्स है।
नए सिस्टम में क्या होगा
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार जीएसटी स्ट्रक्चर को दो मुख्य स्लैब- 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत में बदलने पर विचार कर रही है। चुनिंदा उत्पादों पर 40 प्रतिशत टैक्स का भी प्रस्ताव है। ऐसे में ऑटोमोबाइल्स को 18 प्रतिशत वाले स्लैब में डालने की योजना है। इसका सीधा फायदा यह होगा कि अभी 28 प्रतिशत जीएसटी भरने वाली गाड़ियों पर टैक्स घटकर 18 प्रतिशत रह जाएगा।इस कदम से कारें सस्ती होंगी और उनकी बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। खासकर हैचबैक और छोटी कारें, जो भारतीय कार बाजार की रीढ़ मानी जाती हैं, पर इसका सबसे बड़ा असर दिखेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, टैक्स घटने से मांग और खपत बढ़ेगी। जो इस जीएसटी सुधार का मुख्य मकसद भी है। केंद्र का यह प्रस्ताव, जिसमें 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत वाले जीएसटी स्लैब हटाने की बात है, 21 अगस्त को जीओएम (ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स) की बैठक में चर्चा के लिए रखा जाएगा। इसके बाद सितंबर में जीएसटी काउंसिल की बैठक होगी, जिसमें केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्री मिलकर नए टैक्स स्ट्रक्चर पर अंतिम मुहर लगाएंगे।
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