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Bihar Election Results 2025: Owaisi becomes the new face of Muslim politics, RJD's MY equation breaks.
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Bihar Election Results 2025: मुस्लिम सियासत का नया चेहरा बने ओवैसी, टूटा RJD का MY समीकरण।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Sat, 15 Nov 2025 10:48 AM IST
चुनावी नतीजों से लगता है, जैसे बिहार में लंबे समय से नेतृत्व के सूखे का संकट झेल रही मुस्लिम बिरादरी ने नया नेतृत्व चुन लिया है। इस बिरादरी ने राजद के माई (मुस्लिम-यादव) समीकरण से पल्ला झाड़कर एआईएमआईएम का दामन थाम लिया। मुस्लिम मतों में हुए जबरदस्त बंटवारे के कारण बीते चुनाव के 19 विधायकों के मुकाबले इस बार महज 11 मुस्लिम प्रत्याशी ही चुनाव जीत पाए हैं। इन 11 में से भी पांच एआईएमआईएम से हैं। विपक्षी महागठबंधन में राजद से तीन और कांग्रेस के दो मुस्लिम उम्मीदवार को ही जीत मिली। एक अन्य मुस्लिम को जदयू के टिकट पर जीत मिली है।ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने विपक्षी महागठबंधन को न सिर्फ सीमांचल, बल्कि कई अन्य मुस्लिम प्रभाव वाली सीटों पर ताकत का अहसास कराया। बीते चुनाव के बाद चार विधायकों की बगावत के बावजूद पार्टी ने पिछली बार जीती सभी सीटें बायसी, अमौर, जोकीहाट, बहादुरगंज और कोचाधामन बरकरार रखी हैं।
इसके अलावा पार्टी उम्मीदवारों ने बलरामपुर, दरभंगा ग्रामीण, गौराबौरम, प्राणपुर, कसबा, ठाकुरगंज, शेरघाटी सीटों पर दूसरे या तीसरे स्थान पर रहते हुए वोट काटकर विपक्षी महागठबंधन के उम्मीदवारों को जीत हासिल नहीं होने दी।नतीजे मुस्लिम सियासत के संदर्भ में अलग संदेश दे रहे हैं। बीते चुनाव में एआईएमआईएम भले ही पांच सीटें जीती थी, मगर इसके अलावा एक भी सीट पर उसके उम्मीदवार महागठबंधन के उम्मीदवारों की हार का कारण नहीं बने थे। तब उसके अन्य उम्मीदवारों को औसतन दो से तीन हजार वोट मिले थे। इस बार पार्टी ने जिन 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, उनमें से 16 सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों को 10 हजार से लेकर एक लाख से भी अधिक वोट मिले। राज्य की 18 फीसदी मुस्लिम बिरादरी नब्बे के दशक से राजद का साथ देती रही है। इस चुनाव में महागठबंधन की ओर से मुस्लिम समुदाय से किसी को डिप्टी सीएम का उम्मीदवार नहीं बनाना बड़ा मुद्दा बन गया था।21वीं सदी में हुए सात चुनावों में इस बार विधानसभा में सबसे कम मुस्लिम प्रतिनिधित्व होगा। जदयू के जमा खान एनडीए से जीतने वाले इकलौते मुस्लिम हैं। 2005 में 16, 2010 में 19, 2015 में 24 और बीते चुनाव में 19 मुस्लिम विधानसभा पहुंचे थे।बिहार चुनाव 2025 में दूसरे फेज की 122 सीटों पर रिकॉर्ड तोड़ मतदान हुआ था। मुस्लिम बहुल सीटों पर मतदान के प्रति खासा उत्साह देखने को मिला था। इस चरण में सबसे निर्णायक मुकाबला मुस्लिम बहुल सीटों पर है। कई सीटों पर मुस्लिम वोटरों की संख्या 60% से ज्यादा है। इन्हीं में से एक सीट है अमौर, जहां से औवेसी की पार्टी AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अखतरुल ईमान मैदान में हैं।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान ने अपनी सीट पर न सिर्फ जीत का परचम लहराया है, बल्कि अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को लगभग 38,983 वोटों के विशाल अंतर से हराकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। ईमान की यह जीत ऐसे समय में आई है जब प्रशासन ने अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन रुझान स्पष्ट हैं। यह परिणाम बिहार की राजनीति में AIMIM की बढ़ती धाक और महागठबंधन के पारंपरिक मुस्लिम जनाधार में बड़ी सेंधमारी का संकेत है। अख्तरूल ईमान की प्रचंड जीतअख्तरूल इमाम ने 1 लाख से अधिक वोट प्राप्त कर अपने प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ दिया है। यह जीत न केवल AIMIM के लिए, बल्कि ओवैसी की पार्टी के लिए बिहार में अपनी जड़ें और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण क्षण है।अख्तरूल इमाम 100,756 , सबा जफर जेडीयू (NDA)61, 863और जलील मस्तान कांग्रेस को 52,68 है। जीत का अंतर 38,983 है।पूर्णिया का अमौर विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल है। यहां करीब 70 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। इस सीट पर 2020 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने जीत दर्ज की थी। अमौर से विधायक और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखतरुल ईमान के सामने इस बार जेडीयू के सबा जफर और कांग्रेस के जलील मस्तान हैं। मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के कारण यहां धार्मिक धुव्रीकरण नहीं चलता है।
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