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दिल्ली-एनसीआर को मिली राहत, महाराष्ट्र में 8 की मौत!
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Mon, 16 Jun 2025 12:02 PM IST
लंबे इंतजार के बाद रविवार तड़के दिल्ली-एनसीआर में बारिश हुई और गर्मी से हल्की राहत मिली, लेकिन देश के अन्य हिस्सों में यही बारिश आफत बनकर बरसी। महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और मध्य भारत के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। कहीं जलभराव ने यातायात रोक दिया तो कहीं बिजली गिरने से जानें चली गईं। पहाड़ों में भूस्खलन ने तीर्थ यात्रियों को रोक दिया है तो दक्षिणी तटों पर स्कूल-कॉलेज तक बंद करने पड़े हैं।
महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में वर्षा जनित घटनाओं ने डरावना रूप ले लिया है। मुंबई, सिंधुदुर्ग, धुले, नासिक, संभाजीनगर, नंदुरबार और अमरावती जिलों में बिजली गिरने की अलग-अलग घटनाओं में 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि 10 लोग घायल हैं। रत्नागिरी, रायगढ़, पालघर, ठाणे, पुणे के घाट क्षेत्र और सतारा व कोल्हापुर में भारी बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने पहले ही रत्नागिरी और रायगढ़ के लिए रेड अलर्ट जारी किया था।
बारिश के मद्देनज़र एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पहले ही संवेदनशील इलाकों में तैनात थीं। कोंकण और गोवा क्षेत्र में समुद्र साढ़े चार मीटर ऊंची लहरों से उफान पर है। मुंबई की सड़कों पर जलभराव से यातायात पूरी तरह बाधित हो गया है।
दिल्ली-NCR के लोगों को रविवार तड़के गर्मी से राहत तो मिली, लेकिन इस बारिश के साथ आई तेज़ हवाओं ने परेशान कर दिया। सुबह 2:30 से 4:30 बजे के बीच आंधी-तूफान के साथ बारिश दर्ज की गई। पालम हवाई अड्डे पर हवाओं की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई, जिससे दृश्यता घटकर 1500 मीटर रह गई। बिजली की आपूर्ति बाधित हुई और कई इलाकों में रातभर अंधेरा छाया रहा।
सफदरजंग में 33.5 मिमी, लोधी रोड में 32 मिमी और पूसा में 27.5 मिमी बारिश दर्ज की गई। वायु गुणवत्ता में भी सुधार दर्ज हुआ और AQI गिरकर 142 पर आ गया, जो ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है।
बारिश का कहर पहाड़ों में भी देखने को मिला। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में जंगलचट्टी के पास केदारनाथ पैदल मार्ग पर भूस्खलन से एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो लोग घायल हुए हैं। भारी मलबा और पत्थरों के गिरने से मार्ग अवरुद्ध हो गया है, जिस कारण प्रशासन ने सोनप्रयाग से आगे की यात्रा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी है।
प्रशासन ने तीर्थयात्रियों से आग्रह किया है कि वे नजदीकी होटलों या सुरक्षित स्थानों पर ही ठहरें। मौसम विभाग ने उत्तराखंड में इस हफ्ते के लिए यलो अलर्ट जारी किया है।
दक्षिण भारत में हालात और भी गंभीर हैं। कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़, उडुपी और कोडागु जिलों में भारी बारिश के चलते जलभराव और भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। 24 घंटे के भीतर इन इलाकों में 110 से 210 मिमी तक बारिश रिकॉर्ड की गई। रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है और उडुपी व दक्षिण कन्नड़ में सोमवार को सभी स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया है।
इसी तरह, केरल में लगातार बारिश और रेड अलर्ट के चलते आठ जिलों में सभी शैक्षणिक संस्थानों को सोमवार को बंद रखने का निर्णय लिया गया है। इनमें कोझीकोड, वायनाड, मलप्पुरम, कन्नूर, कासरगोड, एर्नाकुलम, इडुक्की और त्रिशूर शामिल हैं। स्थानीय प्रशासन ने लोगों को अनावश्यक यात्रा से बचने और सतर्क रहने की अपील की है।
मध्य प्रदेश में मानसून ने अभी दस्तक नहीं दी है, लेकिन प्री-मानसून की बारिश ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। प्रदेश के कई जिलों में रविवार को तेज़ बारिश हुई। राजधानी भोपाल में आकाशीय बिजली गिरने से एक बच्चे की मौत हो गई। तापमान में 7 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई और अधिकतम तापमान 41.4 डिग्री से गिरकर लगभग 34 डिग्री पर आ गया।
मौसम विभाग का कहना है कि अगले 1-2 दिनों में मानसून प्रदेश में प्रवेश कर सकता है। आमतौर पर 15 जून तक मध्य प्रदेश में मानसून पहुंच जाता है और 19 जून तक पूरे राज्य को कवर कर लेता है।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, दक्षिण पश्चिम मानसून अगले 24 घंटे में गुजरात, विदर्भ, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के कुछ और हिस्सों में आगे बढ़ने के लिए तैयार है। अगले तीन दिन के भीतर पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक भी पहुंच सकता है।
देश भर में मानसून की चाल को लेकर निगरानी तेज़ कर दी गई है, क्योंकि जहां एक ओर इससे गर्मी से राहत मिलती है, वहीं दूसरी ओर जन-धन की हानि भी होती है। भारी बारिश की चेतावनी को देखते हुए सभी राज्य सरकारों ने आपदा प्रबंधन को सतर्क कर दिया है।
देश के विभिन्न हिस्सों में बारिश ने दो तस्वीरें पेश की हैं – एक, जहां गर्मी से राहत मिली और वायु की गुणवत्ता सुधरी, वहीं दूसरी ओर, कई जगहों पर यह बारिश तबाही बनकर बरसी, जिसमें लोगों की जान तक चली गई। अब सभी की निगाहें मानसून की चाल पर टिकी हैं, जो आने वाले दिनों में और कहर ला सकता है या राहत की बारिश साबित हो सकता है।
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