{"_id":"68c131745206a5cd0a029482","slug":"is-trump-preparing-to-impose-100-tariff-on-india-and-china-2025-09-10","type":"video","status":"publish","title_hn":"भारत-चीन पर 100% टैरिफ लगाने की तैयारी में है ट्रंप?","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
भारत-चीन पर 100% टैरिफ लगाने की तैयारी में है ट्रंप?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 10 Sep 2025 01:36 PM IST
Link Copied
क्या अमेरिका भारत पर 100% टैरिफ लगाने वाला है? 50% शुल्क लगाने के बाद अब क्या ट्रंप प्रशासन भारत और चीन को घेरने की नई रणनीति बना रहा है? क्या ये कदम रूस पर दबाव बनाने की आड़ में भारत-अमेरिका रिश्तों में और खटास और बढ़ाएगा? आखिर ट्रंप कौन सा चक्रव्यु रचने की स्ट्रेटेजी बना रहे? इस वीडियो में इन सभी सवालों के आपको हम जवाब देंगे।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव गहराने के बाद अब हालात कुछ बदलते नजर आ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो हाल ही में भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाकर कठोर रुख अपनाए हुए थे, अब नरम होते दिख रहे हैं। ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के लिए उत्सुक हैं और दोनों देशों के बीच जारी व्यापारिक बाधाओं को दूर करने की दिशा में सकारात्मक माहौल है।
लेकिन इसी बीच एक और बड़ी खबर सामने आई है। एक अमेरिकी अधिकारी और यूरोपीय संघ (EU) के राजनयिक ने खुलासा किया कि ट्रंप ने यूरोपीय संघ से अपील की है कि रूस पर दबाव बनाने के लिए भारत और चीन पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाए।
जानकारी के मुताबिक, ट्रंप ने हाल ही में कॉन्फ्रेंस कॉल के जरिए यूरोपीय संघ के शीर्ष दूत डेविड ओ’सुलविन से बातचीत की। इसमें उन्होंने कहा कि अगर रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करना है तो भारत और चीन पर 100 फीसदी टैरिफ लगाना चाहिए। ट्रंप का तर्क था कि रूस के साथ व्यापारिक रिश्तों में भारत और चीन बड़ी भूमिका निभाते हैं, ऐसे में उन पर दबाव डालना ही रूस को अलग-थलग करने का सबसे कारगर तरीका होगा।
यूरोपीय संघ के राजनयिक ने बताया कि अमेरिका चाहता है कि यूरोपीय संघ इस कदम में उसका साथ दे। यदि ईयू अमेरिका के अनुरोध पर गौर करता है तो उसे अपनी मौजूदा नीति बदलनी पड़ेगी, क्योंकि अब तक उसने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों के जरिए दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है, टैरिफ नहीं।
27 अगस्त से अमेरिका ने भारत पर 25 फीसदी सामान्य टैरिफ और रूस से कच्चा तेल खरीदने पर अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क लगाया है। इस तरह कुल मिलाकर 50 फीसदी टैरिफ भारत पर लागू हो चुका है। इसके बाद भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास आना स्वाभाविक था। अमेरिकी मीडिया और कई सांसदों ने भी ट्रंप प्रशासन की आलोचना की कि इस फैसले से अमेरिका अपने रणनीतिक साझेदार भारत को खो सकता है।
इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। यहां उनकी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से गर्मजोशी भरी मुलाकात चर्चा में रही। इस तस्वीर ने अमेरिका में हलचल मचा दी और ट्रंप पर सवाल उठने लगे कि कहीं उनकी नीतियों की वजह से भारत रूस और चीन के और करीब तो नहीं जा रहा।
इन हालात में ट्रंप ने नरम रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “भारत और अमेरिका व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जल्द ही बात करने को लेकर उत्सुक हूं। हमारे दोनों महान देशों के लिए सकारात्मक नतीजा निकालना मुश्किल नहीं होगा।”
ट्रंप की इस टिप्पणी को भारतीय और अमेरिकी मीडिया ने टैरिफ वार में ‘संभावित ठंडक’ के तौर पर देखा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पेशकश का सकारात्मक जवाब दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “भारत और अमेरिका घनिष्ठ मित्र और स्वाभाविक साझेदार हैं। हमारी व्यापार वार्ताएं साझेदारी की असीम संभावनाओं को उजागर करेंगी। हमारी टीमें इसे जल्द से जल्द पूरा करने पर काम कर रही हैं। मैं भी राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत को उत्सुक हूं। हम दोनों देशों के लोगों के लिए एक उज्जवल और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करेंगे।”
मोदी का यह बयान संकेत देता है कि भारत भी रिश्तों में आई तल्खी को कम करने के मूड में है, लेकिन ट्रंप की यूरोपीय संघ से की गई अपील ने नई चुनौती खड़ी कर दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप रूस के खिलाफ भारत और चीन को एक ही खेमे में रखकर टैरिफ बढ़ाने की रणनीति बना रहे हैं। लेकिन भारत और चीन की स्थिति बिल्कुल अलग है। जहां चीन अमेरिका का सीधा व्यापारिक प्रतिद्वंदी है, वहीं भारत एक रणनीतिक साझेदार है, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका के लिए अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में भारत पर टैरिफ का दबाव बढ़ाना, वॉशिंगटन की खुद की नीति के लिए उल्टा पड़ सकता है।
भारत की ओर से अब तक कोई सीधा जवाब नहीं आया है कि अगर यूरोपीय संघ भी ट्रंप के साथ टैरिफ बढ़ाने पर सहमत हो जाता है, तो उसका रुख क्या होगा। लेकिन पीएम मोदी के बयानों से साफ है कि भारत तनाव को बातचीत से सुलझाना चाहता है। इसके अलावा, रूस और चीन के साथ बढ़ती नजदीकियों ने भारत के पास एक वैकल्पिक रणनीति भी तैयार कर दी है।
भारत और अमेरिका के रिश्ते आज एक अहम मोड़ पर खड़े हैं। एक ओर टैरिफ वार ने रिश्तों में खटास पैदा की है, तो दूसरी ओर दोनों शीर्ष नेता बातचीत के जरिए रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं। यूरोपीय संघ से ट्रंप की 100 फीसदी टैरिफ की अपील इस जटिलता को और बढ़ाती है। आने वाले हफ्ते तय करेंगे कि क्या मोदी-ट्रंप की बातचीत वास्तव में व्यापारिक बाधाओं को दूर कर रिश्तों को नई दिशा दे पाएगी या फिर यह टकराव किसी बड़े भू-राजनीतिक बदलाव का कारण बनेगा।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।