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मायावती ने SIR पर EC से कर दी ये बड़ी मांग!
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 10 Dec 2025 03:56 AM IST
लखनऊ से बड़ी राजनीतिक प्रतिक्रिया सामने आई है, जहां बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मतदाता सूची के सघन पुनरीक्षण अभियान (SIR) पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने साफ कहा कि बसपा इस अभियान का विरोध नहीं करती, लेकिन इसकी समय-सीमा बेहद कम होने के कारण काम कर रहे बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) पर भारी दबाव है। मायावती ने दावा किया कि इस दबाव की वजह से कई बीएलओ अपनी जान तक गंवा चुके हैं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि जब उत्तर प्रदेश में लगभग 15.40 करोड़ मतदाता हैं, तो इतनी विशाल आबादी वाले राज्य में SIR जैसे महत्वपूर्ण कार्य को जल्दबाजी में करने का निर्णय उचित नहीं है। खासकर, जब राज्य में निकट भविष्य में कोई बड़ा चुनाव प्रस्तावित नहीं है। ऐसे में बीएलओ को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए, ताकि वे निष्पक्ष, सटीक और त्रुटिरहित मतदाता सूची तैयार कर सकें।
मायावती ने चेतावनी देते हुए कहा कि इतनी कम समय-सीमा में अभियान पूरा करने के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में वैध मतदाताओं, खासकर गरीबों और काम की तलाश में दूसरे राज्यों या शहरों में रहने वालों के नाम voter list से गायब रह जाने की आशंका है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति इन लोगों को उनके संवैधानिक मतदान अधिकार से वंचित कर देगी, जो बिल्कुल अनुचित और अस्वीकार्य है। इसलिए बसपा की मांग है कि पुनरीक्षण अभियान की समय-सीमा को बढ़ाया जाए, ताकि किसी भी मतदाता के साथ अन्याय न हो।
इसी के साथ मायावती ने चुनावी पारदर्शिता पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी नए निर्देशों का भी जिक्र किया। कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों को अपने आपराधिक इतिहास की पूरी जानकारी हलफनामे में देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही इन्हें स्थानीय तथा राष्ट्रीय अखबारों में प्रकाशित करना भी अनिवार्य किया गया है।
मायावती का कहना है कि कई बार उम्मीदवार अपना आपराधिक इतिहास पार्टी तक छिपा लेते हैं। ऐसे मामलों में सारी जिम्मेदारी राजनीतिक दलों पर डालना उचित नहीं है। उन्होंने मांग की कि यदि कोई प्रत्याशी गलत जानकारी देता है, तो उसकी जवाबदेही सीधे उसी प्रत्याशी पर तय की जाए, न कि उस राजनीतिक दल पर जिसने उसे टिकट दिया।
चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर मायावती ने एक बार फिर से ईवीएम पर सवाल उठाए और बैलेट पेपर से मतदान की मांग दोहराई। उन्होंने दावा किया कि बैलेट पेपर से मतदान कराने में अधिक समय लगने का चुनाव आयोग का तर्क कमजोर है। अगर वोटों की गिनती में कुछ घंटे अतिरिक्त लगते भी हैं, तो इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अगर तत्काल बैलेट पेपर प्रणाली लागू नहीं की जा सकती, तो कम से कम VVPAT की सभी पर्चियों की हर बूथ पर गिनती कर उन्हें EVM के आंकड़ों से मिलान किया जाए। इससे चुनावी प्रक्रिया पर जनता का विश्वास मजबूत होगा और किसी भी तरह की शंका की गुंजाइश नहीं बचेगी।
मायावती के इन बयानों ने चुनावी तैयारी और मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर नई बहस छेड़ दी है, जिसे लेकर आने वाले दिनों में राजनीतिक हलचल तेज होना तय माना जा रहा है।
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