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PIL in SC against ECI: PIL was filed demanding SIT probe into the allegations made by Rahul Gandhi.
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PIL in SC against ECI: राहुल गांधी के आरोपों की SIT जांच की मांग को लेकर PIL दाखिल की गई।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Thu, 21 Aug 2025 03:25 PM IST
सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों को लेकर एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई. इस याचिका में 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान बेंगलुरु मध्य निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता सूची में हेरफेर के संबंध में राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए पूर्व जज की अध्यक्षता में एक SIT के गठन की मांग की गई है. वकील रोहित पांडे की तरफ से दायर की गई याचिका में राहुल गांधी की 7 अगस्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने वोट चोरी को लेकर चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाए थे.याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई कि वह निर्देश दे कि मतदाता सूचियों का स्वतंत्र ऑडिट पूरा होने तक मतदाता सूचियों में कोई और संशोधन या अंतिम रूप देने का कार्य न किया जाए.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि चुनाव आयोग के लिए कुछ ऐसे स्पष्ट नियम बनाए जाएं जिससे मतदाता सूचियों की तैयारी, रखरखाव और प्रकाशन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके. उन्होंने मांग की कि इसमें डुप्लिकेट या फर्जी नाम का पता लगाने और उनके रोकथाम की व्यवस्था हो. साथ ही यह भी मांग की गई कि वह मतदाता सूचियों को सुलभ, मशीन-पठनीय और ओसीआर के अनुरूप प्रकाशित करें, ताकि सही तरीके से सत्यापन और सार्वजनिक जांच संभव हो सके. चीफ जस्टिस के पास भेजी गई याचिका में राहुल गांधी की 7 अगस्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने वोट चोरी को लेकर चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाए थे. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों की स्वतंत्र रूप से जांच की है और उन्होंने कई ऐसे सबूत पाए हैं जो यह यह साबित करते हैं कि वैध वोटों की अहमियत को कम करने और उनमें हेरा-फेरी करने का प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि जनता के हित को ध्यान में रख कर सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप करना जरूरी है.मतदाता सूची में हेरफेर के कई उदाहरण हैं।
याचिकाकर्ता के अनुसार, निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 40 हजार अवैध मतदाता और 10 से अधिक डुप्लिकेट नाम थे. उन्होंने बताया कि एक ही व्यक्ति के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग EPIC नंबर होने के कई उदाहरण हैं, जबकि किसी भी व्यक्ति का केवल एक ही EPIC नंबर होता है. इसके अलावा, कई मतदाताओं के घर के पते और पिता के नाम एक जैसे थे. एक मतदान केंद्र पर लगभग 80 मतदाताओं ने एक छोटे से घर का पता दिया था. उन्होंने कहा कि ऐसे उदाहरण मतदाता सूचियों की प्रामाणिकता पर गंभीर संदेह पैदा करते हैं और इसी को देखते हुए फर्जी मतदान होने से इनकार नहीं किया जा सकता.
याचिकाकर्ता ने तर्क देते हुए कहा कि अगर मतदाता सूची में इतने बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की बात साबित हो जाती है, तो यह अनुच्छेद 325 और 326 के तहत एक व्यक्ति, एक वोट के संवैधानिक अधिकार की नींव पर प्रहार करता है, वैध वोटों के मूल्य को कमजोर करता है और समानता और उचित प्रक्रिया के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.
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