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Shashi Tharoor showed tough stance on relations with Pakistan and Indus Water Treaty.
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पाक से संबंध और सिंधु जल संधि पर शशि थरूर ने दिखाए सख्त तेवर।
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 20 Aug 2025 12:10 PM IST
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भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्ते एक बार फिर सुर्खियों में हैं। कारण वही पुराना – आतंकवाद और पाकिस्तान का दोहरा रवैया। सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान की धमकियों के बीच कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने करारा जवाब दिया है। थरूर ने साफ कहा कि भारत अब रिश्तों की पहल करने के मूड में नहीं है। “जब भरोसे के बदले हमेशा धोखा ही मिलता है, तो फिर नई शुरुआत का क्या औचित्य बचता है?”- थरूर ने यह तीखा सवाल खड़ा किया।
शशि थरूर नई दिल्ली में पूर्व राजनयिक सुरेंद्र कुमार द्वारा संपादित किताब ‘Whither India-Pakistan Relations Today?’ के विमोचन समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम में पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल, पाकिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत टीसीए राघवन, पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर और विद्वान अमिताभ मट्टू जैसे वरिष्ठ चेहरे मौजूद थे। मंच पर हुई चर्चा का मुख्य बिंदु था भारत-पाकिस्तान रिश्तों का भविष्य।
थरूर ने कहा कि आज़ादी के बाद से लेकर अब तक हर भारतीय प्रधानमंत्री चाहे वह पंडित नेहरू हों, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी या वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी सबने पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की। लेकिन, नतीजा हर बार एक जैसा रहा शत्रुता और आतंक।
कार्यक्रम में बोलते हुए थरूर ने पाकिस्तान की दोहरी नीति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा,
“जब पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में आतंकी अड्डे कहां हैं, संयुक्त राष्ट्र की सूची में उनके नाम दर्ज हैं, तो फिर उन्हें बंद क्यों नहीं किया जाता? आखिरकार कार्रवाई कब होगी?”
थरूर का साफ संदेश था कि भारत अब सिर्फ बयानबाज़ी से संतुष्ट नहीं होगा। पाकिस्तान को यदि वास्तव में रिश्ते सुधारने हैं, तो उसे पहले ठोस कदम उठाने होंगे आतंकी नेटवर्क खत्म करने होंगे, आतंकियों को गिरफ्तार करना होगा और कैंप बंद करने होंगे।
थरूर ने 26/11 मुंबई हमलों का जिक्र करते हुए पाकिस्तान की जवाबदेही पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को सबूतों का पूरा ढेर सौंपा था। “लेकिन आज तक किसी भी मास्टरमाइंड को सज़ा नहीं मिली। यह दिखाता है कि पाकिस्तान आतंकवाद पर कड़ी कार्रवाई करने के बजाय ढिलाई बरतता है।”
इसी ढिलाई की वजह से भारत को कई बार कड़े कदम उठाने पड़े। 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक और उसके बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ थरूर के मुताबिक, पाकिस्तान की उकसाने वाली हरकतों का नतीजा थे।
हालांकि, थरूर ने बातचीत की संभावना को पूरी तरह नकारा नहीं। उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति भारत के राष्ट्रीय हित में है। उन्होंने फ्रांस-जर्मनी और अमेरिका-वियतनाम जैसे उदाहरण देते हुए कहा कि दुश्मनी झेल चुके पड़ोसी भी दोस्त बन सकते हैं। लेकिन इसके लिए पाकिस्तान की नीयत साफ होनी चाहिए।
रिश्ते ठीक करने के लिए पहले इरादा दिखाना होगा। सिर्फ बयानबाज़ी से नहीं, ठोस कदमों से- थरूर
हालिया दिनों में पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को लेकर भारत को चेतावनी दी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गीदड़भभकी महज़ राजनीतिक हथकंडा है। थरूर ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत किसी भी तरह के दबाव में आने वाला नहीं है।
थरूर की यह सख्त प्रतिक्रिया भारत की मौजूदा रणनीति को ही प्रतिबिंबित करती है, “आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते।” जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकियों को पनाह देना बंद नहीं करता, तब तक रिश्तों की नई शुरुआत की कोई गुंजाइश नहीं है।
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