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Putin India Visit 2025: The world is watching the Putin-Modi meeting, many deals will be sealed before the vis
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Putin India Visit 2025: पुतिन-मोदी की मुलाकात पर दुनिया की नजर, दौरे से पहले कई डील पर लगेगी मुहर।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Sat, 29 Nov 2025 12:11 PM IST
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत आने की तारीख पूरी तरह से तय हो गई है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पुतिन चार और पांच दिसंबर को भारत के औपचारिक दौरे पर होंगे। ऐसे में इस दौरे से पहले रूस ने एक बड़ा कदम उठाा है। इसके तहत रूस की निचली संसद (स्टेट डूमा) भारत के साथ हुए एक अहम सैन्य समझौते लॉजिस्टिक्स समझौते का पारस्परिक आदान-प्रदान (RELOS) को मंजूरी देने वाली है। पुतिन अपने भारत दौरा के दौरान मुख्यतः 23वें भारत-रूस सालाना सम्मेलन में हिस्सा भी लेंने वाले हैं। क्या है RELOS समझौता?
बता दें कि यह समझौता 18 फरवरी 2025 को मॉस्को में भारत के राजदूत विनय कुमार और रूस के तत्कालीन उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने साइन किया था। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच लॉजिस्टिक सपोर्ट आसान बनाना संयुक्त सैन्य अभ्यास, आपदा राहत और अन्य सैन्य अभियानों के दौरान सहयोग को आसान और तेज करना है। इसको लेकर रूसी सरकार का कहना है कि इस समझौते को मंजूरी देने से दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और मजबूत होगा।
अब समझिए क्या है समझौते का महत्व?
वहीं भारत रूस के बीच होने वाले इस समझौते के महत्व की बात करें तो स्थानीय रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इस समझौते से संयुक्त सैन्य गतिविधियों की प्रक्रिया सरल होगी। दोनों देश एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों और संसाधनों का शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए उपयोग कर सकेंगे। यह समझौता भविष्य में आर्कटिक क्षेत्र में होने वाले संयुक्त अभ्यासों तक लागू हो सकता है, क्योंकि भारत की LNG आपूर्ति यमाल प्रायद्वीप से होती है।
कैसे मदद करेगा दोनों की नौसेनाओं को?
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के तलवार-श्रेणी के युद्धपोत और आईएनएस विक्रमादित्य जैसे जहाज जो बर्फीले आर्कटिक मौसम में चलने में सक्षम हैं, वे रूस के नौसैनिक अड्डों का उपयोग कर सकेंगे। वहीं, रूसी नौसेना भी भारतीय समुद्री ठिकानों का उपयोग कर सकेगी, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और अन्य बाहरी देशों की मौजूदगी का संतुलन बना रहेगा। अमेरिकी टैरिफ विवाद के बीच पुतिन की भारत यात्रा पर दुनियाभर की निगाहें टिकी हैं। यह दौरा भारत और रूस के नेतृत्व को द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा करने, विशेष रणनीतिक साझेदार को मजबूत करने और परस्पर हितों से जुड़े क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगा। रूस की कोशिश भारत को पहले की तेल निर्यात करने की है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि पुतिन के तेल आयात पर अतिरिक्त छूट के प्रस्ताव पर भारत का रुख क्या रहता है।
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