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दिल्ली में किन चीजों पर लगा बैन?
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 10 Dec 2025 04:37 AM IST
दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। पर्यावरण विभाग और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने राजधानी में खुले में कचरा, पत्ते, प्लास्टिक, रबर या किसी भी प्रकार के कूड़े को जलाने पर तत्काल प्रभाव से 5,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान लागू कर दिया है। यह आदेश राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के कई पुराने निर्देशों को और कड़ाई से लागू करने के उद्देश्य से जारी किया गया है।
सरकार का मानना है कि खुला कचरा जलाना दिल्ली की हवा को जहरीला बनाने वाले प्रमुख कारकों में से एक है। सर्दियों में हवा की गति कम होने के कारण धुआं नीचे ही रुक जाता है और प्रदूषण तेजी से बढ़ता है। इन परिस्थितियों में छोटे-छोटे स्रोत भी प्रदूषण के बड़े कारण बन जाते हैं।
पर्यावरण विभाग के नए आदेश के तहत कोई भी व्यक्ति यदि खुले में कचरा जलाता पकड़ा गया, या किसी भी तरह ऐसा कराने में मदद करता पाया गया, तो उसे मौके पर ही 5,000 रुपये का निश्चित जुर्माना देना होगा। यह जुर्माना एनजीटी अधिनियम, 2010 की धारा 15 के तहत वसूला जाएगा।
दिल्ली सरकार ने जुर्माना लगाने और कार्रवाई करने का अधिकार उप-तहसीलदार स्तर से ऊपर के जिला प्रशासनिक अधिकारियों को दिया है। इसके अलावा दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) के स्वच्छता निरीक्षक और वरिष्ठ अधिकारी भी यह कार्रवाई कर सकेंगे।
आदेश में यह भी कहा गया है कि एनजीटी के निर्देशों को सिविल कोर्ट के आदेश के रूप में लिया जाए और किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जानी चाहिए। वसूला गया सारा जुर्माना डीपीसीसी के बैंक खाते में जमा होगा और अधिकारी प्रतिमाह कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
दिल्ली के होटल, रेस्टोरेंट, ढाबों और कैटरिंग यूनिट्स में अब तंदूर में कोयला और लकड़ी जलाना सख्ती से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
डीपीसीसी ने वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 31ए के तहत आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब तंदूर सिर्फ बिजली, गैस या स्वच्छ ईंधन से ही चलाए जा सकेंगे। कोयले से चलने वाले तंदूरों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।
डिपार्टमेंट के मुताबिक राजधानी का AQI लगातार खराब श्रेणी में बना हुआ है और कोयला-आधारित तंदूर स्थानीय स्तर पर प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं। यह कदम ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण-1 के तहत पहले से लागू निर्देशों को और कठोर बनाने के तहत लिया गया है।
सभी नगर निगम आयुक्तों, मुख्य अभियंताओं और क्षेत्रीय अधिकारियों को अपने-अपने इलाकों में सघन जांच अभियान चलाने और सभी कोयला-लकड़ी आधारित तंदूरों को तुरंत बंद कराने के आदेश जारी किए गए हैं।
डीपीसीसी ने सड़क किनारे अनधिकृत तरीके से भवन निर्माण सामग्री बेचने वाले और इसे खुले में रखने वालों पर भी कार्रवाई की तैयारी कर ली है।
आदेश में कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर रेत, बजरी, ईंट, सीमेंट, टाइल और पत्थरों को बिना ढके रखने से भारी मात्रा में धूल उड़ती है, जो वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। इसलिए अब ऐसी सामग्री सार्वजनिक ही नहीं, निजी भूमि पर भी अगर बिना उचित आवरण के पाई गई, तो संबंधित अधिकारी उसे जब्त कर सकेंगे।
इसके साथ ही दिल्ली नगर निगम के नियमों के अनुसार जुर्माना भी लगाया जाएगा। यह कदम भवन निर्माण से जुड़े प्रदूषण को रोकने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
दिल्ली-NCR में हर साल सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन जाता है। हालांकि सरकार और एजेंसियां कई उपाय लागू करती हैं, लेकिन प्रदूषण के स्थानीय स्रोत कोयला तंदूर, खुले में कचरा जलाना, धूल लगातार स्थिति को बदतर करते हैं।
दिल्ली सरकार के नए निर्देश इस बात का संकेत हैं कि प्रदूषण के हर छोटे-बड़े कारण पर सख्ती से रोक लगानी अब आवश्यक हो गई है। अधिकारी आशा कर रहे हैं कि इन कदमों से दिल्ली की हवा में कुछ राहत मिलेगी, हालांकि जागरूकता और सख्त निगरानी इसके प्रभावी क्रियान्वयन की कुंजी होगी।
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