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Why EC Declares Bihar Voter List Revision Necessary before bihar election 2025
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Bihar Voter List Revision: बिहार चुनाव से पहले क्या वोटर लिस्ट से हट जाएंगे इन वोटरों के नाम?
वीडियो डेस्क/ अमर उजाला डॉट कॉम Published by: पल्लवी कश्यप Updated Sun, 06 Jul 2025 02:55 PM IST
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तेजस्वी यादव की नहीं बल्कि इंडिया ब्लॉक की हर पार्टी बिहार में वोटर लिस्ट रिविजन को लेकर सवाल उठा रही है। तो क्या ये वैसा ही जैसा दिख रहा है। आखिरकार बिहार में वोटर लिस्ट रिविजन कराकर चुनाव आयोग क्या साबित करना चाहता है और इससे ऐसा क्या फायदा होना है जिसके लिए चुनाव आयोग एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आने को तैयार है। बिहार में चुनाव आयोग की Special Intensive Revision (SIR) को लेकर मतदाताओं में अफरातफरी की स्थिति है. बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम ने कहा, "चुनाव आयोग के अधिकारियों का रवैया देखकर ऐसा लगता था कि उन्होंने ठान लिया है कि बिहार के 20 फ़ीसदी वोटरों से उनका अधिकार छीन लेना है." विपक्षी नेताओं का आरोप है कि ये बीस फ़ीसदी वोटर ग़रीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय के हैं, जिसका एक बड़ा हिस्सा उनका समर्थक मतदाता है. बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. वहीं साल 2026 में असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार में तेजस्वी यादव ने भी कहा है, "चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है और बैकडोर से एनआरसी लागू करने की कोशिश कर रहा है." 24 जून को एसआईआर पर नोटिफ़िकेशन जारी करने के बाद चुनाव आयोग तीन बार अधिक जानकारियों को लेकर अलग-अलग 'नोटिफ़िकेशन' निकाल चुका है जिनमें दस्तावेज़ों के संबंध में बार-बार सुधार किया जा रहा है. चुनाव आयोग ने जन्म तिथि/जन्म स्थान से संबंधित जिन 11 मान्य दस्तावेज़ों की सूची दी है उनमें आधार कार्ड, राशन कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस मान्य नहीं हैं. कुछ लोग इन दस्तावेजों को प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं, लेकिन तय कम समय सीमा उनके लिए बाधा बन सकती है। यह भी कहा गया है कि बिहार ऐसा राज्य है जहां गरीबी और पलायन का उच्च स्तर है, यहां एक बड़ी आबादी है जिसके पास जन्म प्रमाणपत्र या अपने माता-पिता के रिकार्ड जैसे आवश्यक दस्तावेजों तक पहुंच नहीं है।
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