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What was found in the bag of the servant who murdered the mother and son?
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मां-बेटे की हत्या करने वाले नौकर के बैग ने क्या-क्या मिला?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 05 Jul 2025 02:42 PM IST
पटना का गांधी मैदान… राजधानी का दिल… और उसी दिल में 4 जुलाई की रात गूंजीं गोलियों की आवाजें। बिहार के नामी व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। मगर जो सबसे ज्यादा डराने वाला पहलू रहा, वो था पुलिस का खामोश और सुस्त रवैया।
घटना के वक्त नजदीकी थाना महज 250 मीटर की दूरी पर था, लेकिन मौके पर पहुंचने में पुलिस को डेढ़ घंटे लग गए। परिजनों के मुताबिक, पटना के एसएसपी का मोबाइल तक बंद मिला। सिटी एसपी दो घंटे बाद पहुंचीं। सवाल अब सिर्फ अपराधियों पर नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की निष्क्रियता पर उठ रहे हैं।
महज 20 दिन पहले, 14 जून को ही पटना पुलिस में बड़ा फेरबदल हुआ था। एसएसपी अवकाश कुमार का तबादला कर दिया गया और पूर्णिया के एसपी कार्तिकेय शर्मा को पटना की जिम्मेदारी सौंपी गई। तब इसका कारण बताया गया था – क्राइम कंट्रोल।
लेकिन 4 जुलाई की रात हुई हत्या ने इस दावे की सच्चाई पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। पुलिस तब भी मौन थी, सिस्टम तब भी सुस्त।
गोपाल खेमका के छोटे भाई संतोष खेमका का कहना है: “हमने थाने, डीएसपी और एसएसपी को कॉल किया। किसी का भी फोन नहीं उठा। अंत में जब जिलाधिकारी को कॉल किया गया, तब उन्होंने फोन उठाया। लेकिन इसके बावजूद तीन घंटे तक कोई पुलिस नहीं आई।”
घटनास्थल पर खून, गोलियों के खोखे और बिखरा सामान – मगर उसे घेरने के लिए पुलिस के पास सिर्फ ईंटें और बांस-बल्ले थे। क्या यह राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था है?
मौके पर पहुंचे जन अधिकार पार्टी के सांसद पप्पू यादव ने तीखा हमला बोला: “बीते 20 दिसंबर 2018 को खेमका के बेटे की हत्या हुई थी। अब पिता की भी। क्या ये परिवार हर बार बलिदान देगा? पुलिस, प्रशासन और सरकार – तीनों फेल हैं।” “जहां आला अफसरों के बंगले हैं, वहां अपराधी आराम से घुसकर गोली मारकर चले जाते हैं। ये महाजंगलराज नहीं तो क्या है?”
राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा: “थाना से चंद कदम दूर व्यापारी की हत्या! हर महीने सैकड़ों व्यापारियों की हत्या हो रही है। लेकिन जंगलराज नहीं कह सकते, क्योंकि अब इसे ‘मीडिया प्रबंधन’ और ‘छवि निर्माण’ कहा जाता है।”
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पटना प्रशासन को निशाने पर लिया: “घटना के बाद परिजनों ने एसएसपी, डीएसपी और थाना को कॉल किया, किसी ने नहीं उठाया। जब डीएम ने फोन उठाया तब भी पुलिस तीन घंटे बाद पहुंची।” उन्होंने कहा कि “नीतीश कुमार और NDA गठबंधन को इस्तीफा दे देना चाहिए। पीड़ित परिवार को तुरंत सुरक्षा दी जानी चाहिए।”
विवादों के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित ‘संकल्प’ भवन में कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा: “कानून-व्यवस्था सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। अपराधी कोई भी हो, उसे किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। अनुसंधान कार्यों में तेजी लाएं और दोषियों पर त्वरित कार्रवाई हो।” लेकिन सवाल ये है कि क्या बातें और बयान ही जनता की सुरक्षा देंगे?
बिहार के पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने भी मामले पर त्वरित संज्ञान लिया। उन्होंने बताया कि इस हत्याकांड की जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) बनाई गई है, जिसका नेतृत्व सिटी एसपी सेंट्रल करेंगे। “पुलिस पूरी गंभीरता से मामले की जांच कर रही है और जल्द ही अपराधियों को गिरफ्तार किया जाएगा।”
राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा: “राजधानी पटना में पुलिस मुख्यालय के पास व्यापारी की हत्या हो जाती है। ये राक्षस राज, महाजंगलराज, अपराधी राज नहीं तो क्या है?” “नीतीश कुमार को अब मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है।”
पटना, जो कभी बिहार की सबसे सुरक्षित जगह मानी जाती थी, अब अपराधियों का आरामगाह बनती जा रही है। गोपाल खेमका की हत्या कोई साधारण वारदात नहीं, बल्कि सिस्टम के पतन का प्रतीक है।
एक थाने से 250 मीटर की दूरी पर एक व्यापारी की सरेआम हत्या हो जाती है, और पुलिस तीन घंटे तक मौन रहती है। सरकार बयान देती है, विपक्ष हमले करता है — मगर जवाबदेही कोई नहीं लेता।
अगर राजधानी में ये हाल है, तो सोचिए गांव और कस्बों का क्या हाल होगा?
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