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Pashupati Paras left NDA, what kind of deal was made with Tejashwi?
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पशुपति पारस ने छोड़ा एनडीए का साथ, तेजस्वी संग हुई कैसी डील?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Thu, 03 Jul 2025 07:43 PM IST
बिहार की राजनीति में एक और बड़ा मोड़ आ गया है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के संरक्षक और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने सोमवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह साफ कर दिया कि वे एनडीए से पूरी तरह नाता तोड़ चुके हैं और जल्द ही महागठबंधन का हिस्सा बनने जा रहे हैं।
अपने तल्ख बयानों और बेबाक अंदाज़ के लिए पहचाने जाने वाले पारस ने इस बार राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि बिहार में कानून व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है और केंद्र सिर्फ जुमलेबाज़ी में लगी हुई है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पारस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि अब वे मानसिक रूप से अस्वस्थ हो चुके हैं। “सत्ता कुछ खास लोगों के हाथ में केंद्रित हो गई है। मुख्यमंत्री को खुद कुछ नहीं पता। प्रशासन की हालत बदतर है, अपराधी बेलगाम हैं और आम आदमी दहशत में जी रहा है।” उनके इस बयान को नीतीश कुमार के राजनीतिक भविष्य पर एक बड़ा सवाल माना जा रहा है।
पारस ने साफ शब्दों में कहा कि अब वे महागठबंधन के साथ अपनी नई राजनीतिक यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। “अब एनडीए से मेरा कोई रिश्ता नहीं रहा। हम तेजस्वी यादव से जल्द मिलेंगे और सीटों की बात बाद में करेंगे। हमारा मकसद है – बिहार को बचाना।”
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने बिहार के 25 जिलों का दौरा किया है और जनता की भावनाएं अब पूरी तरह एनडीए के खिलाफ हैं।
पशुपति पारस ने केंद्र की मोदी सरकार पर भी सीधा हमला बोला और कहा: “देश में बेरोजगारी चरम पर है, महंगाई बढ़ रही है, युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा। भ्रष्टाचार भी तेजी से बढ़ा है और केंद्र सरकार उसे रोकने में पूरी तरह नाकाम रही है।”
यह बयान एक ऐसे नेता की तरफ से आया है जो एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। इससे यह स्पष्ट है कि पारस अब मोदी सरकार की नीतियों से भी पूरी तरह असहमत हो चुके हैं।
बिहार की स्थिति पर चिंता जताते हुए पारस ने कहा कि “यहां अपराधियों को सरकार का संरक्षण है। प्रशासन चाहकर भी कार्रवाई नहीं कर पा रहा। महिलाओं पर अत्याचार बढ़ गए हैं, कानून का कोई डर नहीं बचा।” उनका कहना है कि आम जनता अब डर के साए में जी रही है और बिहार में सुशासन की बात करना अब मजाक बन चुका है।
पारस ने चुनाव आयोग को भी निशाने पर लिया और कहा कि आयोग निष्पक्ष भूमिका नहीं निभा रहा है। “चुनाव आयोग एक विशेष राजनीतिक दल के पक्ष में काम कर रहा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में मतदाताओं को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, और इसके पीछे एक सुनियोजित साजिश है।
उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति को लेकर पारस ने कहा कि “जब लोग अपनी जान बचाने में लगे हैं, तब सरकार दस्तावेज़ मांग रही है। उन्हें पता है कि जनता एनडीए के खिलाफ वोट करेगी, इसलिए वे ऐसी साजिशें कर रहे हैं।” उन्होंने संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि मौलिक अधिकारों को खत्म किया जा रहा है और यह लोकतंत्र के खिलाफ है।
यह स्पष्ट है कि पशुपति पारस ने अब एनडीए से दूरी बनाकर एक नई राजनीतिक राह चुन ली है। वह राह महागठबंधन की ओर जाती है, जिसमें उन्हें तेजस्वी यादव जैसे युवा नेता से उम्मीदें हैं। पारस ने कहा कि सीटों को लेकर कोई ज़िद नहीं है, बल्कि उनका मुख्य उद्देश्य है – “बिहार की जनता को भय और भ्रष्टाचार से मुक्त करना।”
बिहार की राजनीति में इस समय हर किसी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि पशुपति पारस और तेजस्वी यादव की मुलाकात कब और कहां होती है।
यह मुलाकात सिर्फ एक दल बदल नहीं होगी, बल्कि यह बिहार के राजनीतिक समीकरणों को हिलाने वाली घटना हो सकती है। लोकसभा चुनावों के बाद अब बिहार विधानसभा चुनावों की आहट तेज़ हो रही है, और ऐसे में पारस का यह कदम निश्चित रूप से बड़ा असर डाल सकता है।
पशुपति कुमार पारस अब एनडीए में अकेले पड़ चुके हैं। उनके भतीजे चिराग पासवान पहले ही एनडीए के साथ मजबूती से खड़े हैं। लेकिन पारस ने एक बार फिर खुद को एक नई भूमिका में ढालने का फैसला कर लिया है – तेजस्वी यादव के साथ खड़े होकर। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह गठजोड़ वाकई बिहार की राजनीति में बदलाव लाएगा या यह भी एक और असफल प्रयोग बनकर रह जाएगा।
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