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Neeraj Bawana had filed this petition, the court did not accept it!
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नीरज बवाना ने लगाई थी ये अर्जी, कोर्ट ने नहीं मानी बात!
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 02 Jul 2025 02:09 PM IST
जिस गैंगस्टर का नाम सुनते ही दिल्ली-एनसीआर की गलियों में दहशत दौड़ जाती थी, वह मंगलवार को पूरी तरह बेबस नजर आया। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर एक दिन की कस्टडी पैरोल पर अपनी बीमार पत्नी से मिलने निकला कुख्यात गैंगस्टर नीरज बवाना, लेकिन इस बार न कोई डर था, न गुरूर… था तो सिर्फ एक असहाय पति, जो ICU में भर्ती अपनी पत्नी को देखने के लिए अदालत की दया पर निर्भर था।
नीरज बवाना की पत्नी आरती दिल्ली के शादीपुर स्थित अस्पताल के ICU में भर्ती है। उनकी हालत गंभीर बताई गई है। लंबे समय से पत्नी की तबीयत बिगड़ने के बाद नीरज ने कोर्ट से छह सप्ताह की अंतरिम जमानत मांगी थी ताकि वह उसकी देखरेख कर सके। लेकिन कोर्ट ने हालात की गंभीरता को देखते हुए उसे पूरी जमानत नहीं दी, बल्कि 1 जुलाई को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक पत्नी और डॉक्टरों से मुलाकात की सीमित अनुमति दी।
यही एक दिन, वही कुछ घंटे — और इन्हीं में सिमटी थी उस गैंगस्टर की पूरी उम्मीद, जो कभी दिल्ली की सड़कों पर खौफ बनकर चलता था।
नीरज बवाना को तिहाड़ जेल से शादीपुर अस्पताल तक लाने में दिल्ली पुलिस ने कोई कोताही नहीं बरती। उसकी कस्टडी पैरोल के दौरान पूरे रूट पर पुलिस को अलर्ट पर रखा गया। पुलिस को अंदेशा था कि या तो उसका कोई दुश्मन गैंग हमला कर सकता है, या फिर उसी का गैंग उसे छुड़ाने की कोशिश कर सकता है। इन दोनों ही संभावनाओं को देखते हुए सुरक्षा का कड़ा बंदोबस्त किया गया।
तिहाड़ जेल से निकलने के बाद नीरज को बुलेटप्रूफ गाड़ी में कड़ी सुरक्षा में अस्पताल लाया गया। उसके साथ आधुनिक हथियारों से लैस पुलिसकर्मी, दिल्ली पुलिस की स्पेशल यूनिट्स और कमांडो दस्ते तैनात थे। अस्पताल में भी सुरक्षा का आलम यह था कि जिस वार्ड में आरती भर्ती थीं, वह छावनी में तब्दील कर दिया गया। वहां आम मरीजों और उनके तीमारदारों की आवाजाही भी पूरी तरह बंद थी।
जब नीरज बवाना अस्पताल के उस वार्ड में दाखिल हुआ, तो उसका चेहरा बिल्कुल बदला हुआ था। कहीं भी वह वही शख्स नहीं दिखा जिसने वर्षों तक राजधानी के अपराध जगत में खून-खराबा, फिरौती, और गैंगवार का साम्राज्य खड़ा किया। इस बार वह एक पति था, जिसकी आंखों में डर नहीं, चिंता और बेबसी थी।
अस्पताल के ICU के बाहर खड़े लोगों ने बताया कि नीरज करीब आधे घंटे तक अपनी पत्नी के पास रहा। उसने डॉक्टरों से पत्नी की हालत पूछी, दवाओं और इलाज की रिपोर्ट देखी और फिर वापस तिहाड़ लौट गया।
नीरज बवाना की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया था कि वह अपनी बीमार पत्नी की देखभाल करना चाहता है, इसलिए उसे छह हफ्ते की अंतरिम जमानत दी जाए। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी का रिकॉर्ड गंभीर है और वह 2015 में जेल वैन में ही गैंगवार की वारदात में शामिल रहा है। कोर्ट ने साफ किया कि इस बार उसे सिर्फ मानवीय आधार पर पत्नी से मिलने की अनुमति दी जा रही है, न कि देखभाल के नाम पर जेल से बाहर घूमने की आजादी।
इससे स्पष्ट हो गया कि कोर्ट अपराधियों की भावनात्मक अपीलों के झांसे में नहीं आता, लेकिन जब बात इंसानियत की आती है तो सीमित दायरे में राहत जरूर देता है।
नीरज बवाना दिल्ली-एनसीआर का सबसे कुख्यात गैंगस्टर माना जाता है। उस पर हत्या, फिरौती, रंगदारी, सुपारी किलिंग, और अवैध हथियारों की तस्करी जैसे कई संगीन आरोप हैं। फिलहाल वह 2015 की उस घटना में जेल में बंद है, जिसमें तिहाड़ जेल वैन में उसके गैंग ने विरोधी गैंग के सदस्य की हत्या कर दी थी।
उसके नेटवर्क को तोड़ने के लिए दिल्ली पुलिस और एनआईए ने कई बार अभियान चलाए, लेकिन उसका असर आज भी एनसीआर के अपराध जगत में दिखाई देता है। ताजा उदाहरण यह है कि उसे अस्पताल लाते वक्त दिल्ली पुलिस को यह अंदेशा था कि या तो दुश्मन गैंग हमला कर सकता है या उसका गैंग उसे छुड़ाने की कोशिश कर सकता है।
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