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What did PM Modi remind us by talking about Bihar-Banaras and Ganga?
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बिहार-बनारस और गंगा की बात कर पीएम मोदी ने त्रिनिदाद में लोगों को क्या याद दिलाया?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 04 Jul 2025 10:17 AM IST
त्रिनिदाद एंड टोबैगो की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में उस वक्त ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिला, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया। 26 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की त्रिनिदाद यात्रा ने इस कैरेबियाई देश में बसे भारतीय मूल के लोगों को भावुक कर दिया।
इस सामुदायिक कार्यक्रम में मोदी ने भारत और त्रिनिदाद के रिश्तों की गहराई को रेखांकित करते हुए कहा, “हम सिर्फ दो देश नहीं, एक ही परिवार हैं।” उन्होंने गिरमिटिया मजदूरों के संघर्ष को याद किया, जिनकी संतानों ने आज इस देश में न सिर्फ पहचान बनाई है, बल्कि इसे आर्थिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिनिदाद की धरती पर खड़े होकर जिस आत्मीयता से भारतीय मूल के लोगों से संवाद किया, वह इतिहास में दर्ज हो गया। उन्होंने कहा,
“आपके पूर्वजों ने गंगा-यमुना छोड़ दी, लेकिन रामायण को अपने दिलों में सहेज लिया। वे केवल प्रवासी नहीं थे, वे एक शाश्वत सभ्यता के संदेशवाहक थे। उन्होंने मिट्टी छोड़ी थी, पर अपने नमक, अपने संस्कार, अपनी जड़ों को नहीं।”
मोदी के इस बयान पर पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। उन्होंने कहा कि वे केवल ‘गिरमिटिया मजदूरों की संतानें’ नहीं हैं, बल्कि उनके संघर्ष की विरासत आज सेवा, सफलता और मूल्यों के रूप में पहचानी जाती है।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में भारत की बदली हुई तस्वीर भी दुनिया के सामने रखी। उन्होंने कहा कि आज का भारत अवसरों की भूमि बन चुका है।
“जिस भारत से आपके पूर्वज कठिनाइयों के बीच निकले थे, वो भारत आज दुनिया को नेतृत्व दे रहा है। अब भारत सेवा, स्टार्टअप, टेक्नोलॉजी और विज्ञान में नई ऊंचाइयों को छू रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह नया भारत अब किसी पर निर्भर नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनकर दुनिया को समाधान दे रहा है।
एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का स्वागत त्रिनिदाद एंड टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने किया, जो खुद भी भारतीय मूल से हैं। साथ में उनके कैबिनेट मंत्री भी मौजूद रहे। एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक हर जगह मोदी-मोदी के नारे गूंजते रहे।
इस मौके पर प्रवासी भारतीयों ने पारंपरिक चौताल, भिटक गान, ढोलक, और भोजपुरी गीतों से स्वागत किया। महिलाएं पारंपरिक साड़ी और बिंदी में थीं, तो पुरुष कुर्ता-पाजामा में। यह नज़ारा मानो लखनऊ, पटना या बनारस के किसी मेले जैसा था।
त्रिनिदाद एंड टोबैगो की कुल आबादी करीब 13 लाख है, जिसमें से लगभग 45 प्रतिशत भारतीय मूल के हैं। इन लोगों के पूर्वज मुख्यतः उत्तर प्रदेश और बिहार के जिलों जैसे – छपरा, आरा, सीवान, बलिया, गोपालगंज, बनारस, और आजमगढ़ से यहां आए थे।
यहां की सड़कों के नाम भारतीय शहरों के नाम पर हैं, और त्योहारों जैसे नवरात्रि, महाशिवरात्रि, और जन्माष्टमी को पूरे गर्व और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यही नहीं, हिंदी, भोजपुरी और अवधी अब भी यहां की सामाजिक-सांस्कृतिक धारा का हिस्सा हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने याद किया कि वे 25 साल पहले भी त्रिनिदाद आए थे, लेकिन इस बार की यात्रा अलग है। “तब और अब में बहुत फर्क है। तब मैं यहां एक कार्यकर्ता के रूप में आया था। अब भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आया हूं, लेकिन मेरे रिश्ते, मेरी आत्मीयता और मेरा भावनात्मक जुड़ाव तब भी उतना ही गहरा था।”
उन्होंने कहा कि यहां की युवा पीढ़ी की आंखों में जो चमक और उत्सुकता है, वह बताती है कि भारत और त्रिनिदाद के रिश्ते आने वाले समय में और भी मजबूत होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद यात्रा सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि एक भावनात्मक पुल थी – अतीत से वर्तमान तक, भारत से प्रवासी भारत तक। गिरमिटिया इतिहास की पीड़ा से लेकर आज की सफलता की कहानी तक, यह दौरा बताता है कि भारतीयता मिटती नहीं, वह कहीं भी जाकर और अधिक फलती-फूलती है।
यह यात्रा न केवल भारत की विदेश नीति को नया आयाम देती है, बल्कि भाषा, संस्कृति, संघर्ष और आत्मबल की उस यात्रा को भी सम्मान देती है, जो कभी गंगा किनारे से शुरू होकर, अटलांटिक पार त्रिनिदाद की धरती तक पहुंची थी।
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