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How and why did he fabricate the rape story, Manojit reveals all the secrets!
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कैसे और क्यों रची दुष्कर्म की कहानी, मनोजीत ने उगले सारे राज!
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Thu, 03 Jul 2025 05:27 PM IST
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता एक बार फिर शर्मसार है। शहर के प्रतिष्ठित साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में एक 24 वर्षीय विधि छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म ने न केवल कानून व्यवस्था बल्कि संस्थागत नैतिकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस मामले में मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा ने पुलिस पूछताछ में जो खुलासे किए हैं, वो स्तब्ध कर देने वाले हैं। उसने न केवल वारदात की योजना बनाई, बल्कि दुष्कर्म के बाद वीडियो बनवाकर पीड़िता को डराने और पुलिस से बचने की सोची-समझी रणनीति भी रची।
आरोपी मनोजीत मिश्रा कभी तृणमूल कांग्रेस की युवा इकाई का सक्रिय सदस्य रहा था और फिलहाल कॉलेज में संविदा कर्मचारी के तौर पर नियुक्त था। इसी रसूख के दम पर वह कैंपस में छात्र नेताओं जैसा बर्ताव करता था।
पुलिस जांच में सामने आया कि पीड़िता पर वह लंबे समय से नजर बनाए हुए था। उसने पहले उसे ‘कॉलेज यूनियन महासचिव’ का पद देने की पेशकश की। चौंकाने वाली बात यह है कि कॉलेज में वर्षों से कोई आधिकारिक छात्र संगठन मौजूद नहीं था। यह सिर्फ एक बहाना था।
पीड़िता की शिकायत के मुताबिक, 25 जून को वह परीक्षा फॉर्म भरने कॉलेज आई थी। तभी आरोपी trio—मनोजीत मिश्रा, प्रमित मुखोपाध्याय और जैब अहमद—ने उसे कैंपस के एक कमरे में बुलाया। वहां उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया।
पुलिस का कहना है कि मनोजीत ने पूरी वारदात को वीडियो में रिकॉर्ड करवाया ताकि बाद में पीड़िता को ब्लैकमेल किया जा सके। उन्होंने उसे धमकी दी कि अगर उसने मुंह खोला तो वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा।
मनोजीत को यकीन था कि वीडियो के डर से पीड़िता चुप रहेगी। उसने अपनी गिरफ़्तारी से बचने के लिए पुलिस की हर हरकत पर नजर रखने की तैयारी भी कर ली थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, मनोजीत ने अपने कुछ जानकारों को साउथ कोलकाता के कस्बा थाने के आसपास निगरानी करने को कहा था ताकि अगर कोई पुलिस की हलचल दिखे तो उसे पहले से खबर मिल जाए।
लेकिन 26 जून को जब पीड़िता ने अपने पिता की मदद से हिम्मत जुटाकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, तो कहानी बदल गई।
पुलिस ने सबसे पहले आरोपी प्रमित को उसके घर से गिरफ्तार किया। फिर लोकेशन ट्रैकिंग के आधार पर मनोजीत और जैब को फर्न रोड, बल्लीगंज रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तारी के समय मनोजीत अपने कॉलेज के वकील और वरिष्ठ छात्रों से मदद की गुहार लगा रहा था, लेकिन किसी ने भी उसकी मदद नहीं की।
जांच में जो बात सबसे खतरनाक सामने आई, वह यह थी कि मनोजीत इस पूरी वारदात को ‘सबक सिखाने’ के नजरिए से अंजाम दे रहा था।
जैब और प्रमित ने बताया कि पीड़िता ने मनोजीत के प्रस्तावों को पहले ठुकरा दिया था, जिससे वह चिढ़ा हुआ था।
इसलिए 2 दिन पहले ही उसने पूरी प्लानिंग कर ली थी—कि जब पीड़िता परीक्षा फॉर्म भरने आएगी, तब उसे रोककर इस वारदात को अंजाम देना है।
वारदात के बाद कॉलेज प्रशासन ने तुरंत एक्शन लेते हुए मनोजीत की संविदा नियुक्ति रद्द कर दी। साथ ही, उसे मिले वेतन को वापस लेने की भी घोषणा की गई।
दोनों अन्य आरोपी—प्रमित और जैब—को कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया है।
हालांकि, यह सवाल अब और तेज हो गया है कि आखिर एक राजनीतिक पृष्ठभूमि वाला युवक कॉलेज परिसर में संविदा कर्मचारी कैसे बना? विपक्षी दलों ने कॉलेज प्रशासन और शिक्षा विभाग पर मिलीभगत का आरोप लगाया है और जांच की मांग की है।
सवाल जो अब हर छात्र-छात्रा के जेहन में हैं
• क्या कैंपस में सुरक्षित माहौल अब सिर्फ एक भ्रम है?
• क्या राजनीतिक रसूख रखने वाला कोई भी व्यक्ति कॉलेज में बेरोकटोक घूम सकता है?
• पीड़िता की हिम्मत तारीफ के काबिल है, लेकिन कितनी लड़कियां ऐसा साहस कर पाती हैं?
कोलकाता लॉ कॉलेज की यह घटना सिर्फ एक छात्रा पर हमला नहीं, बल्कि पूरे शैक्षणिक माहौल पर धब्बा है।
इस मामले ने यह दिखा दिया है कि जब सत्ता, राजनीति और पुरुषवादी सोच एक साथ मिलती है, तो शिक्षा के मंदिर भी हैवानियत की गूंज से गूंज सकते हैं।
अब जरूरत है कठोर कानूनी कार्रवाई की, ताकि कैंपस में बैठा हर मोनोजीत, हर जैब और हर प्रमित जान ले कि कानून से बड़ा कोई नहीं।
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