Hindi News
›
Video
›
India News
›
Questions raised on the working style of AI camera that detects overage vehicles
{"_id":"6864bede95836a28f8052413","slug":"questions-raised-on-the-working-style-of-ai-camera-that-detects-overage-vehicles-2025-07-02","type":"video","status":"publish","title_hn":"ओवरएज गाड़ियों को पहचानने वाले AI कैमरे की कार्यशैली पर उठे सवाल","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
ओवरएज गाड़ियों को पहचानने वाले AI कैमरे की कार्यशैली पर उठे सवाल
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 02 Jul 2025 10:38 AM IST
Link Copied
दिल्ली में वायु प्रदूषण से लड़ाई को लेकर सरकार ने एक बड़ा और कड़ा कदम उठाया है। राजधानी में 1 जुलाई 2025 से 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों को पेट्रोल-डीजल देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन इस फैसले को लेकर जहां एक ओर पर्यावरणविद इसे साहसिक और जरूरी कदम मान रहे हैं, वहीं आम जनता और पेट्रोल पंप संचालक इससे जुड़ी तकनीकी खामियों और अव्यवस्था को लेकर असंतुष्ट नजर आ रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने नियम लागू करने से पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित कैमरों और स्पीकर सिस्टम को राजधानी के करीब 400 पेट्रोल पंपों पर स्थापित किया था। इन कैमरों को दिल्ली परिवहन विभाग के डेटाबेस से लिंक किया गया है। जैसे ही कोई ओवरएज (नियत समय सीमा पार कर चुका) वाहन पेट्रोल पंप पर प्रवेश करता है, कैमरा उसकी नंबर प्लेट को स्कैन करता है और स्पीकर से अलार्म बजने लगता है। स्पीकर पर यह घोषणा होती है कि वाहन की उम्र पूरी हो चुकी है और उसे ईंधन नहीं मिलेगा।
लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (DPDA) के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया ने बताया कि राजधानी के कई पेट्रोल पंपों पर स्पीकर सिस्टम अब तक नहीं लग पाए हैं, जिससे अलार्म की व्यवस्था ठीक से काम नहीं कर रही। उन्होंने यह भी बताया कि तकनीकी खामियों के कारण कुछ वैध वाहन भी गलती से ‘ओवरएज’ घोषित हो गए और वाहन चालकों को बेवजह परेशानी का सामना करना पड़ा।
कुछ वाहन चालकों ने शिकायत की कि सरकार ने बिना किसी पायलट प्रोजेक्ट या ट्रायल के अचानक यह नियम लागू कर दिया। कई जगह कैमरा वाहन की नंबर प्लेट को पहचान ही नहीं पाया तो कुछ जगह साउंड सिस्टम काम नहीं कर रहा था। एक वाहन चालक अजीत कुमार कहते हैं, “मेरी कार अभी 14 साल 9 महीने पुरानी है, लेकिन सिस्टम ने इसे 15 साल पार दिखा दिया। पेट्रोल नहीं मिला और मुझे काफी अपमानजनक अनुभव हुआ।”
नियम लागू होते ही दिल्ली ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने एक्शन में आकर पुराने वाहनों की धरपकड़ शुरू कर दी। मंगलवार को राजधानी में करीब 20-25 पुराने पेट्रोल और डीजल वाहन जब्त किए गए। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यदि कोई वाहन पहली बार जब्त किया गया है, तो उसे छुड़ाने का एक मौका मिलेगा, लेकिन शर्तों के साथ।
बाइक मालिक को 5000 रुपये और कार मालिक को 10000 रुपये का जुर्माना भरना होगा। साथ ही एक शपथ पत्र भी देना होगा जिसमें वे यह वचन देंगे कि दोबारा यह गलती नहीं होगी। लेकिन यदि वही वाहन दूसरी बार पकड़ा गया, तो उसे स्क्रैप कर दिया जाएगा — यानी दोबारा सड़क पर लौटने की कोई संभावना नहीं।
दिल्ली में प्रतिबंध लागू होते ही गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद के पेट्रोल पंपों पर वाहनों की भीड़ बढ़ गई। पेट्रोल डीलर्स का कहना है कि ओवरएज वाहन अब दिल्ली के बाहर पेट्रोल-डीजल भरवा रहे हैं। इससे न सिर्फ दिल्ली के सीमाई इलाकों में ट्रैफिक बढ़ा है, बल्कि सुरक्षा और निगरानी की नई चुनौती भी पैदा हो गई है।
हालांकि राहत की बात यह है कि दिल्ली सरकार के इस फैसले का असर आसपास के राज्यों पर भी दिखने लगा है। हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने संकेत दिया है कि 1 नवंबर 2025 से गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी ऐसे ही प्रतिबंध लागू कर दिए जाएंगे। यानी कुछ महीनों बाद दिल्ली के बाहर भी ओवरएज वाहनों को ईंधन नहीं मिलेगा।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला लंबे समय तक प्रदूषण पर लगाम लगाने में मदद करेगा। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की निदेशक सुनीता नारायण कहती हैं, “दिल्ली जैसे महानगर में सबसे ज्यादा प्रदूषण पुराने वाहनों से ही होता है। इस फैसले से न सिर्फ हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि लोग इलेक्ट्रिक या कम प्रदूषण वाले वाहनों की ओर प्रेरित होंगे।”
हालांकि, इस नियम को सफल बनाने के लिए तकनीकी अवसंरचना को मजबूत करना होगा। कई पेट्रोल पंपों पर कैमरे काम नहीं कर रहे, साउंड सिस्टम नहीं लगे, और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के डेटाबेस में त्रुटियां पाई गई हैं। जब तक ये खामियां दूर नहीं की जातीं, तब तक आम नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
वाहन मालिकों का कहना है कि सरकार को इस फैसले को लागू करने से पहले जन जागरूकता और तकनीकी परीक्षण पर जोर देना चाहिए था। इसके साथ ही जो लोग अब भी पुराने वाहन चला रहे हैं, उन्हें स्क्रैपिंग पॉलिसी या रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल की पारदर्शी व्यवस्था दी जानी चाहिए।
दिल्ली सरकार का यह कदम प्रदूषण पर चोट करने वाला है, लेकिन यदि इसके साथ तकनीकी दक्षता और प्रशासनिक ईमानदारी नहीं जोड़ी गई, तो यह फैसला असुविधा और नाराजगी का कारण बन सकता है। आने वाले दिनों में इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे कितनी प्रभावशीलता और सहानुभूति से लागू किया जाता है।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।