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The secret of murder of mother and son in Lajpat Nagar is revealed
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लाजपत नगर में मां-बेटे की हत्या का खुला राज
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 04 Jul 2025 11:16 AM IST
दिल्ली का लाजपत नगर, जो आमतौर पर अपने फैशन, भीड़-भाड़ और चकाचौंध के लिए जाना जाता है, आज एक दिल को चीर देने वाली घटना का गवाह बन गया। एक शांत-से लगने वाले घर में ऐसा खूनी खेल हुआ जिसने न सिर्फ एक परिवार को तबाह कर दिया, बल्कि पूरे इलाके को दहला कर रख दिया।
यह कहानी है कपड़ों के कारोबारी कुलदीप सेवानी की, जिसकी दुनिया सिर्फ इसलिए उजड़ गई क्योंकि उसके नौकर को 43 हजार रुपये लौटाने थे। कुलदीप की पत्नी रुचिका और मासूम बेटे कृष की जो निर्मम हत्या हुई, वो इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली है।
पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी नौकर मुकेश ने कुछ महीने पहले रुचिका से 43 हजार रुपये उधार लिए थे। साथ में दो मोबाइल फोन भी लिए। यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका कि फोन उसने चुराए थे या रुचिका ने दिए थे।
बीते कुछ दिनों से वह काम पर नहीं आ रहा था। जब मालकिन रुचिका ने उसे फोन कर डांटा और पैसे लौटाने की बात कही, तो वह अंदर से भड़क उठा। यह गुस्सा इस हद तक पहुंच गया कि उसने रुचिका और उसके बेटे की हत्या की साजिश रच डाली।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक मुकेश ने अमर कॉलोनी से आरी में लगने वाला धारदार ब्लेड खरीदा और साजिश के तहत बुधवार शाम करीब 7 बजे कुलदीप के घर पहुंचा। रुचिका ने उसे देखकर फिर डांटा, लेकिन इस बार वह चुप नहीं रहा। उसने आव देखा न ताव, सीधे ब्लेड निकाला और रुचिका की गर्दन पर वार कर दिया।
उसने इतनी निर्दयता से वार किया कि रुचिका की गर्दन 80 फीसदी कट गई थी, केवल हड्डी बची थी। इसके बाद जब उसका बेटा कृष आया और विरोध करने की कोशिश की, तो उसकी भी गर्दन करीब 50 फीसदी तक काट दी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह दृश्य इतना भयावह था कि कुलदीप खुद शवों के पास नहीं जा पाया।
हत्या के बाद मुकेश को कोई जल्दी नहीं थी। वह घर में आराम से रुका, बाथरूम में गया, हाथ-पैर धोए, खून से सने कपड़े धोए और फिर सामान्य तरीके से बाहर निकला। वह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन गया और वहां से बिहार भागने की कोशिश की।
हालांकि सीसीटीवी कैमरों में वह पकड़ में आ गया। परिवार ने आस-पास के फुटेज खंगाले तो उसमें मुकेश कुछ हाथ में लेकर घर से निकलता दिखा। शुरुआत में लगा कि वह नकदी लेकर भागा है, लेकिन बाद में साफ हुआ कि उसके हाथ में केवल रूमाल था — जिससे शायद वह खून साफ कर रहा था।
जैसे ही पुलिस को शक हुआ कि हत्यारा नौकर मुकेश है, तुरंत अमर कॉलोनी स्थित उसके घर पर दबिश दी गई। पता चला कि वह पहले ही भाग चुका है। उसका फोन बंद था। मगर तकनीकी सर्विलांस की मदद से पुलिस को जानकारी मिली कि वह बिहार की ट्रेन में है।
नई दिल्ली, आनंद विहार और निजामुद्दीन रेलवे स्टेशनों पर पुलिस टीमों को तैनात किया गया। आखिरी बार वह नई दिल्ली स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे में देखा गया। इसके बाद जीआरपी और आरपीएफ को सतर्क किया गया। अंततः उसे पं. दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया।
जब कुलदीप घर पहुंचे तो चारों ओर खून ही खून था। उन्होंने जैसे ही शवों की ओर देखा, वह वहीं गिर पड़े। पत्नी और बेटे की हालत ऐसी थी कि किसी की भी रूह कांप जाए। पुलिस ने उन्हें किसी तरह बाहर निकाला। इसके बाद कुलदीप का कोई भी परिजन अंदर नहीं जा पाया।
पूरे मोहल्ले में मातम पसरा है। जो लोग रोज़ कुलदीप और उनके परिवार को हंसते-बोलते देखते थे, उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा कि ऐसा कुछ भी हो सकता है।
दिल्ली में अपराध की ये कहानी सिर्फ हत्या नहीं, भरोसे की पीठ में खंजर घोंपने जैसी है। एक नौकर, जिसे घर का हिस्सा समझा गया, उसने उसी घर के दो जिंदगियों को मिटा डाला।
सवाल सिर्फ इतना नहीं है कि मुकेश ने हत्या क्यों की… सवाल यह है कि क्या अब किसी पर भरोसा करना भी जोखिम हो गया है?
इस वारदात ने फिर से दिल्ली को झकझोर दिया है — और हर परिवार को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कहीं उनके घर में भी कोई ‘मुकेश’ तो नहीं पल रहा…
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