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Delhi High Court on Baba Ramdev: Courts have reprimanded Ramdev many times, yet the controversial case continu
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Delhi High Court On Baba Ramdev: अदालतों से कई बार रामदेव को फटकार, फिर भी जारी है विवादित कांड!
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Fri, 04 Jul 2025 10:26 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव को झटका दिया है. हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को निर्देश दिया है कि वो डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कोई भी भ्रामक या नकारात्मक विज्ञापन का प्रसारण नहीं करें. जस्टिस मिनी पुष्करणा की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये अंतरिम आदेश जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी.
ये याचिका डाबर इंडिया ने दायर किया है. सुनवाई के दौरान डाबर इंडिया की ओर से पेश वकील संदीप सेठी ने आरोप लगाया कि वह बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद अपने विज्ञापनों के जरिये च्यवनप्राश को गलतच तरीके से बदनाम कर रही है. पतंजलि आयुर्वेद अपने विज्ञापनों के जरिये उपभोक्ताओं को भ्रमित कर रही है.
सेठी ने कहा कि पतंजलि ने भ्रामक और गलत दावा कर यह बताने की कोशिश की है कि वही एकमात्र असली आयुर्वेदिक च्यवनप्राश बनाता है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने दिसंबर 2024 में समन जारी किया था, उसके बावजूद पतंजलि ने एक हफ्ते में 6182 भ्रामक विज्ञापन प्रसारित किए थे. डाबर की याचिका में कहा गया है कि पतंजलि आयुर्वेद डाबर के उत्पाद को साधारण बताकर उसकी छवि खराब करने की कोशिश कर रही है. याचिका में कहा गया है कि पतंजलि के विज्ञापनों में दावा किया गया है कि उसका च्यवनप्राश 51 से अधिक जड़ी-बूटियों से बना है जबकि हकीकत में इसमें सिर्फ 47 जड़ी-बूटियां हैं. डाबर ने याचिका में आरोप लगाया है कि पतंजलि के उत्पाद में पारा पाया गया जो बच्चों के लिए हानिकारक है.
बता दें कि इसके पहले भी हाईकोर्ट बाबा रामदेव को फटकार लगा चुका है. हाईकोर्ट ने रूह अफजा मामले पर बाबा रामदेव के विवादित बयान पर फटकार लगाई थी. हाईकोर्ट की फटकार के बाद बाबा रामदेव ने कहा था कि वो विवादित बयान से संबंधित सभी वीडियो हटा लेंगे. हाईकोर्ट ने कहा था कि बाबा रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं हैं और अपनी ही दुनिया में रहते हैं. डाबर इंडिया का पक्ष पेश कर रहे सीनियर एडवोकेट संदीप सेठी ने कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि पतंजलि के विज्ञापनों में झूठे दावे किए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि पतंजलि बताती है कि उसका च्यवनप्राश 51 से ज्यादा जड़ी-बूटियों से निर्मित है, जबकि असल में केवल 47 जड़ी-बूटियां ही प्रयोग की गई थीं।
सेठी ने यह भी आरोप लगाया कि पतंजलि के प्रोडक्ट में पारा है, जिससे यह बच्चों के खाने योग्य नहीं है। वहीं, अदालत के सामने पतंजलि का पक्ष रखने वाले सीनियर एडवोकेट जयंत मेहता ने सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि उनके प्रोडक्ट में सभी जड़ी-बूटियां आयुर्वेदिक मानकों के अनुसार मिलाई गई हैं। प्रोडक्ट पूरी तरह से मानव उपभोग के लिए सुरक्षित है और इसमें किसी भी प्रकार का हानिकारक तत्व नहीं पाया गया। डाबर ने यह भी कहा कि पतंजलि के विज्ञापन में यह संकेत भी दिया गया है कि दूसरे ब्रांड्स के उत्पादों से स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। डाबर ने तर्क दिया कि पतंजलि पहले भी ऐसे विवादास्पद विज्ञापनों के लिए सुप्रीम कोर्ट में अवमानना के मामलों में घिर चुका है। इससे साफ है कि वह बार-बार ऐसा करता है।
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