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Industrialist Gopal Khemka murdered in Patna, serious allegations against Bihar police
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पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या, बिहार पुलिस पर लगे गंभीर आरोप
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 05 Jul 2025 01:06 PM IST
पटना, बिहार की राजधानी और प्रशासन का दिल। लेकिन यही पटना आज एक दिल दहला देने वाली वारदात का गवाह बना है। 4 जुलाई की रात सरेआम एक नामचीन व्यवसायी की गोली मारकर हत्या कर दी गई — वो भी गांधी मैदान थाने से महज ढाई सौ मीटर की दूरी पर।
गोपाल खेमका, मगध हॉस्पिटल के मालिक और बिहार के बड़े उद्योगपतियों में से एक। अपराधियों ने उन्हें बीच शहर में गोली मारी और फरार हो गए। खून से लथपथ गोपाल खेमका वहीं गिर पड़े और कुछ ही देर में उनकी मौत हो गई। मगर जो सबसे चौंकाने वाली बात थी, वो ये कि इस जघन्य हत्याकांड के डेढ़ घंटे तक पटना पुलिस मौके पर नहीं पहुंची।
परिजनों का आरोप है कि हत्या रात करीब 10:30 बजे हुई। मगर गांधी मैदान थाने की पुलिस घटनास्थल पर 12 बजे पहुंची। जबकि घटनास्थल थाने से सिर्फ 250 मीटर की दूरी पर था। सवाल यह है कि क्या पुलिस को इस बीच कोई सूचना नहीं मिली? या फिर जानकारी होते हुए भी कार्रवाई में देरी हुई?
और इससे भी चौंकाने वाली बात यह कि पटना एसएसपी का मोबाइल बंद था। घटनास्थल पर एसएसपी अवकाश कुमार पूरी रात नहीं पहुंचे। सुबह 7 बजे के बाद किसी तरह उनका कोई बयान आया।
गोपाल खेमका कोई आम नागरिक नहीं थे। बिहार के प्रतिष्ठित व्यवसायियों में शुमार थे। मगध हॉस्पिटल के मालिक और कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे। लेकिन उनके साथ जो हुआ, वह न केवल खेमका परिवार के लिए, बल्कि पूरे बिहार के लिए एक चेतावनी है।
परिजनों का कहना है, “अगर इतने बड़े उद्योगपति को राजधानी में कोई सुरक्षा नहीं है, तो आम नागरिकों की क्या बिसात?” हत्या के बाद गुस्साए परिजनों और स्थानीय लोगों ने हंगामा किया और पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
मौके पर पहुंचे जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के प्रमुख और पूर्व सांसद पप्पू यादव ने बिहार सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा, “ये वही खेमका परिवार है, जिसका बेटा 2018 में हाजीपुर में मारा गया था। अब पिता की हत्या हो गई। आख़िर ये परिवार कब तक बलि देता रहेगा? अपराधियों का इतना हौसला कैसे बढ़ गया? क्या राजधानी में पुलिस सिर्फ तब आती है जब कोई नेता फोन करे?”
पप्पू यादव ने इस घटना को “बिहार की कानून-व्यवस्था की सबसे बड़ी विफलता” बताया।
जिस जगह गोपाल खेमका की हत्या हुई, वह पटना का सबसे सुरक्षित और पॉश इलाका माना जाता है। गांधी मैदान थाना पास, कई वरिष्ठ अधिकारियों के घर कुछ ही कदम दूर — लेकिन इन सबके बीच अपराधी न केवल पहुंचे, गोली मारी, बल्कि आराम से भाग भी निकले।
स्थानीय लोगों ने बताया कि घटना के बाद इलाके में कोई पुलिस पेट्रोलिंग नहीं दिखी। “हमने खुद PCR को कॉल किया, लेकिन वो भी 20 मिनट बाद आई। क्या यहीं है स्मार्ट पुलिसिंग?”
गौर करने वाली बात ये है कि 14 जून को ही पटना पुलिस में बड़ा फेरबदल हुआ था। कुछ ही महीनों में एसएसपी अवकाश कुमार का तबादला कर दिया गया और पूर्णिया के कप्तान कार्तिकेय शर्मा को पटना की जिम्मेदारी दी गई।
इस तबादले के पीछे कहा गया था कि “क्राइम कंट्रोल” मुख्य कारण है। लेकिन चार जुलाई को इस वीआईपी मर्डर ने सवाल खड़े कर दिए कि क्या तबादला ही अपराध रोकने का उपाय है?
बढ़ते जनदबाव और विपक्ष के तीखे सवालों के बीच बिहार के पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा, “हमने व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या की जांच के लिए एसआईटी (विशेष जांच टीम) गठित कर दी है। इसमें सिटी एसपी सेंट्रल टीम का नेतृत्व करेंगे। अपराधियों की गिरफ्तारी जल्द होगी।”
हालांकि जनता का विश्वास सिर्फ आश्वासनों से नहीं लौटेगा। परिजनों और व्यापारिक समुदाय को अब “नतीजे” चाहिए, “जिम्मेदारी तय” होनी चाहिए।
खेमका परिवार के साथ यह पहली त्रासदी नहीं है। 20 दिसंबर 2018 को उनके बेटे की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस केस में भी अभी तक स्पष्ट न्याय नहीं मिल पाया। और अब वही परिवार एक और दर्दनाक अध्याय से गुजर रहा है।
क्या ये सिर्फ एक मर्डर केस है? या यह बिहार में अपराधियों के बढ़ते मनोबल का आइना है? इस सवाल का जवाब सिर्फ कार्रवाई से मिलेगा।
गोपाल खेमका की हत्या कोई साधारण घटना नहीं है। यह राजधानी में हुई वो हत्या है, जो बताती है कि अब थाने के पास भी कोई सुरक्षित नहीं। प्रशासन, पुलिस और सरकार — सब पर सवाल खड़े हो चुके हैं।
जब राजधानी के सबसे सुरक्षित इलाकों में भी उद्योगपति मारे जा रहे हैं, तो सोचिए बिहार के छोटे शहरों और गांवों में लोग किस भय में जी रहे होंगे। DGP ने SIT बना दी, लेकिन बिहार अब ‘आश्वासन’ नहीं, एक्शन चाहता है।
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