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ट्रंप के टैरिफ के बीच पीएम मोदी का जापान दौरा क्यों है अहम?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 29 Aug 2025 09:54 AM IST
अमेरिका की तरफ से भारत पर लगाए गए 50 फीसदी आयात शुल्क को लेकर जहां देशभर में बहस जारी है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले विदेश दौरे पर जापान रवाना हो चुके हैं। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत को अमेरिकी टैरिफ के असर को संतुलित करने के लिए नए साझेदारों और आर्थिक विकल्पों की ज़रूरत है। दो दिवसीय यह यात्रा (28-29 अगस्त) न सिर्फ भारत-जापान संबंधों को नई ऊंचाई देने का मौका होगी बल्कि एशियाई कूटनीति में भारत की भूमिका को और मज़बूत करेगी।
भारत और जापान के रिश्तों की नींव कोई आज की नहीं है। 8वीं शताब्दी में बोधिसेना नामक भारतीय साधु ने नारा के तोदाईजी मंदिर में भगवान बुद्ध की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की थी। यह पहला ऐतिहासिक संपर्क माना जाता है। आगे चलकर स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और जस्टिस राधा बिनोद पाल जैसी हस्तियों ने दोनों देशों के रिश्तों को गहरा किया।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत ने जापान के साथ अलग शांति संधि की, जिससे दोनों देशों के बीच आधिकारिक रिश्तों की शुरुआत हुई। आज भारत-जापान साझेदारी में रक्षा, विज्ञान, शिक्षा, संस्कृति और रणनीतिक सुरक्षा जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं।
पिछले एक दशक में भारत और जापान की दोस्ती में रणनीतिक सहयोग बेहद अहम हो गया है। भारत की ‘एक्ट-ईस्ट पॉलिसी’ और SAGAR (Security And Growth for All in the Region) पहल जापान की हिंद-प्रशांत दृष्टि से मेल खाती है। दोनों देश क्वाड के ज़रिए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और आपदा प्रतिरोधी ढांचे (CDRI) जैसे मंचों पर भी साझेदारी मज़बूत हुई है।
प्रधानमंत्री मोदी और जापानी पीएम शिगेरु इशिबा के बीच बातचीत में सबसे अहम विषय क्वाड गठबंधन रहेगा। अमेरिका से रिश्तों में तनाव के बीच भारत अब जापान के साथ मिलकर हिंद-प्रशांत में अपनी भूमिका मज़बूत करना चाहता है। क्वाड में अब सिर्फ सुरक्षा नहीं बल्कि स्वास्थ्य, उभरती तकनीक और सप्लाई चेन की मजबूती भी अहम मुद्दे हैं। यही वजह है कि मोदी-इशिबा मुलाकात में क्वाड को और प्रभावी बनाने की चर्चा होगी।
ट्रंप प्रशासन के फैसलों ने भारत को यह सोचने पर मजबूर किया है कि रक्षा क्षेत्र में विकल्प बढ़ाने ज़रूरी हैं। जापान इस क्षेत्र में अहम साझेदार साबित हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों देश UNICORN प्रोजेक्ट पर पहले ही सहमति जता चुके हैं। अब संयुक्त रूप से रक्षा उपकरण बनाने और नौसेना सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है।
खास बात यह है कि जापान ने भारत को फाइटर जेट इंजन तकनीक साझा करने का न्योता दिया है। अगर इस दिशा में समझौता होता है तो भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को बड़ी मज़बूती मिलेगी।
अमेरिका से टैरिफ विवाद के बीच भारत और जापान आर्थिक मोर्चे पर नए रास्ते तलाश रहे हैं। जापानी पीएम ने हाल ही में कहा था कि वे भारत में अगले दस साल में 10 ट्रिलियन येन (करीब 5.95 लाख करोड़ रुपये) का निवेश करेंगे।
यह निवेश सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटो सेक्टर जैसे क्षेत्रों में होगा। जापानी कंपनियां भारत में सेटअप लगाकर भारतीय युवाओं को रोजगार देंगी। मोदी अपने दौरे के दौरान टोक्यो स्थित इलेक्ट्रॉन कंपनी भी जाएंगे, जो चिप मैन्युफैक्चरिंग उपकरण बनाती है। इसका मकसद भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग को मज़बूत करना है।
मोदी दौरे का एक आकर्षण सेंडाई स्थित तोहोकु शिंकानसेन प्लांट का दौरा होगा। यहां जापान की हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन के कोच बनाए जाते हैं। भारत के मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए भारत ई10 ट्रेन मॉडल पर विचार कर रहा है। यह ट्रेन 320 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है और इसमें भूकंपरोधी तकनीक भी है। माना जा रहा है कि मोदी-इशिबा मुलाकात में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर अहम चर्चा होगी।
भारत और जापान दोनों दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। ऐसे में अमेरिकी टैरिफ से पैदा हुई मुश्किलों का मुकाबला करने के लिए दोनों देश नए व्यापारिक समझौते कर सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि जापान के साथ समझौते से भारत को एक वैकल्पिक सप्लाई चेन तैयार करने में मदद मिलेगी। यह भारत के निर्यातकों और उद्योगों को बड़ी राहत देगा।
जापान दौरे के बाद मोदी चीन जाएंगे, जहां वे एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। वहां शी जिनपिंग और पुतिन से मुलाकात की संभावना है। यानी मोदी का यह एशियाई दौरा न सिर्फ भारत-जापान रिश्तों बल्कि पूरी एशियाई कूटनीति के लिए अहम साबित हो सकता है।
ट्रंप प्रशासन के टैरिफ फैसले ने भारत को नए विकल्प तलाशने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे वक्त में मोदी का जापान दौरा आर्थिक, रणनीतिक और तकनीकी साझेदारी को नई दिशा देगा। बुलेट ट्रेन से लेकर रक्षा समझौते और सेमीकंडक्टर उद्योग तक—इस यात्रा से भारत-जापान संबंधों का नया अध्याय शुरू होने वाला है।
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