ग्वालियर में बिरला नगर आरओबी के पास स्थित आईटीआई कॉलेज के बाहर अमोनिया गैस से भरा टैंकर स्कूल बस से टकरा गया, जिससे गैस का रिसाव शुरू हो गया। सेना, बीएसएफ, पुलिस, होमगार्ड और स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने तत्परता से गैस का रिसाव रोका और घायलों का इलाज शुरू किया। इसमें बमुश्किल 40 मिनट लगे। यह सब कुछ एक मॉक ड्रिल का हिस्सा था।
बताते चलें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को मॉक ड्रिल करने के निर्देश दिए हैं। ग्वालियर में रासायनिक औद्योगिक दुर्घटना और सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल की गई। जिसमें अमोनिया गैस से भरे टैंकर के स्कूल बस से टकराते ही सेना, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीमें बचाव कार्य में जुट गईं। तुरंत ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, होमगार्ड, प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने 40 मिनट के ऑपरेशन में क्षेत्र को अमोनिया गैस से मुक्त कराया और बच्चों को अस्पताल पहुंचाया, जहां स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इलाज शुरू किया।
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मॉक ड्रिल के माध्यम से प्रशासन ने आपात स्थिति के लिए अपनी तैयारी की परख की। इसमें यह भी देखा गया कि यदि ऐसी घटना होती है तो उसके लिए हम कितने तैयार हैं, और ऐसे हादसे में बच्चों को कैसे सुरक्षित निकाला जाए। एसपी धर्मवीर सिंह यादव ने बताया कि केमिकल इमरजेंसी की मॉक ड्रिल की गई है। ऐसी इमरजेंसी से निपटने के लिए हमें मल्टी-डिपार्टमेंट कोऑर्डिनेशन की आवश्यकता पड़ती है। पूरी प्रक्रिया में प्रशासनिक मशीनरी ने भाग लिया है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, होमगार्ड, प्रशासन, पुलिस, हेल्थ सर्विसेज की टीमें शामिल रहीं। 40 मिनट के ऑपरेशन में क्षेत्र को अमोनिया गैस से मुक्त कराया गया और बच्चों को अस्पताल पहुंचाया गया। ऐसी मॉक ड्रिल न केवल प्रशासनिक दक्षता को मजबूत करती है, बल्कि अंतर-विभागीय समन्वय को भी सुदृढ़ बनाती है। साथ ही, आम नागरिकों को यह भी जागरूक करती है कि इस प्रकार की परिस्थितियों में क्या करना चाहिए।
शाम 4 बजे से सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल
शाम 4 बजे से सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल शुरू होगी, जिसमें चार स्थानों पर अलग-अलग ऑपरेशन चलाए जाएंगे। इनमें से एक ऑपरेशन होगा किसी टूटी हुई इमारत में फंसे लोगों को रेस्क्यू करना, दूसरा- कहीं आगजनी में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालना, तीसरा- छिपे हुए अपराधियों का सर्च ऑपरेशन और चौथा-अस्थायी अस्पताल बनाकर तत्काल इलाज और ऑपरेशन करना।
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शाम को ब्लैक आउट ऑपरेशन
शाम 7:40 बजे से ब्लैक आउट ऑपरेशन शुरू होगा। इसके लिए पूरे जिले में पहले करीब 2 मिनट का सायरन बजाया जाएगा, जिसके बाद लोगों को अपने घर, प्रतिष्ठान, फैक्टरी आदि की लाइटें बंद करनी होंगी। यदि वे अंदर हल्की रोशनी करते हैं तो बाहर की ओर ऐसा आवरण करना होगा जिससे रोशनी बाहर न दिखे। इसके अलावा, सड़कों पर वाहन चालकों को सायरन बजने पर अपनी गाड़ियां बंद करके लाइटें बुझाकर खड़े रहना होगा। इस दौरान मोबाइल की रोशनी भी नहीं दिखनी चाहिए। अगले सायरन के बाद सामान्य तरीके से लाइट का उपयोग फिर से किया जा सकेगा।