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Umaria News: रेस्क्यू किए गए बाघ शावकों को सुरक्षित बाड़े में छोड़ा गया, लगातार रखी जाएगी उनकी सेहत पर नजर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उमरिया Published by: उमरिया ब्यूरो Updated Tue, 14 Oct 2025 03:58 PM IST
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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा बफर क्षेत्र में कुछ दिन पहले रेस्क्यू किए गए दोनों बाघ शावकों को सोमवार को ताला वन परिक्षेत्र के एक सुरक्षित बाड़े में छोड़ा गया। यह कार्रवाई पूरी तरह वन विभाग की निर्धारित गाइडलाइंस के तहत की गई। क्षेत्र संचालक अनुपम सहाय ने बताया कि दोनों शावकों को सहायक संचालक ताला, परिक्षेत्र अधिकारी ताला एवं अन्य वन अधिकारियों की उपस्थिति में सुरक्षित रूप से बाड़े में छोड़ा गया।
उन्होंने बताया कि बाड़े में शावकों की हर गतिविधि पर लगातार नजर रखी जाएगी और वन अमला चौबीसों घंटे निगरानी करेगा। दोनों शावकों के स्वास्थ्य की नियमित जांच भी पशु चिकित्सक टीम द्वारा की जाएगी ताकि उनकी स्थिति सामान्य बनी रहे।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले परिक्षेत्र पनपथा बफर की सलखनिया बीट के कक्ष क्रमांक पीएफ-610 में गश्ती दल को दो बाघ शावक एक गिरे हुए पेड़ की खोह में छिपे मिले थे। उस समय आसपास किसी मादा बाघिन की मौजूदगी नहीं देखी गई थी। शावकों की उम्र लगभग दो महीने बताई जा रही है। वन विभाग ने स्थिति का आकलन करने के बाद विशेषज्ञों की सलाह पर दोनों शावकों को सुरक्षित रेस्क्यू किया था। रेस्क्यू दल में बाघ संरक्षण दल, स्थानीय वनकर्मी, डॉक्टर और हाथी दल शामिल था। शावकों को रेस्क्यू करने के बाद उनकी प्राथमिक जांच की गई जिसमें दोनों स्वस्थ पाए गए। उन्हें कुछ समय तक क्वारंटीन में रखा गया ताकि उनकी सेहत और व्यवहार का सही आकलन किया जा सके।
क्षेत्र संचालक अनुपम सहाय ने बताया कि फिलहाल दोनों शावकों को प्राकृतिक माहौल में धीरे-धीरे ढालने की प्रक्रिया शुरू की गई है। बाड़े में उनके लिए आवश्यक जंगल जैसा वातावरण तैयार किया गया है, ताकि वे अपने स्वभाविक व्यवहार को बनाए रख सकें। आगे की स्थिति के अनुसार विशेषज्ञ समिति यह तय करेगी कि भविष्य में इन शावकों को कब और कैसे जंगल में पुनः छोड़ा जा सकता है।
वन विभाग के इस प्रयास की स्थानीय लोगों और वन्यजीव प्रेमियों ने सराहना की है। उनका कहना है कि विभाग ने जिस संवेदनशीलता से इन शावकों को बचाया और अब उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान किया है, वह बाघ संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व देश के प्रमुख बाघ अभयारण्यों में से एक है, जहां हर वर्ष बाघों की संख्या में स्थिर वृद्धि देखी जा रही है।
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