राजस्थान में स्क्रब टाइफस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और राजधानी जयपुर इसका केंद्र बनता दिखाई दे रहा है। मानसून के मौसम में फैलने वाली इस बीमारी से निपटने के लिए एसएमएस अस्पताल प्रशासन ने विशेष कदम उठाते हुए मौसमी बीमारियों के लिए अलग ओपीडी शुरू करने का निर्णय लिया है। यह ओपीडी इमरजेंसी वार्ड के सामने स्थापित की जाएगी और सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक मरीजों के लिए खुली रहेगी।
रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची मरीजों की संख्या
पिछले एक माह में एसएमएस अस्पताल में स्क्रब टाइफस के 247 मरीज दर्ज किए गए हैं, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यह बीमारी माइट और पिस्सू के काटने से फैलती है और खासकर बरसात के मौसम में तेजी से फैलती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश के चलते इन कीटों की संख्या में बढ़ोतरी होती है, जिससे संक्रमण का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है।
मौसमी बीमारियों की चुनौती
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी ने बताया कि वर्तमान में अस्पताल में सबसे अधिक मरीज स्क्रब टाइफस के हैं। उन्होंने आशंका जताई कि आने वाले दिनों में बारिश थमने के बाद मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों में भी इजाफा हो सकता है। इसी को देखते हुए मौसमी बीमारियों के त्वरित और प्रभावी इलाज के लिए यह अलग ओपीडी शुरू की गई है।
मरीजों को मिलेगा त्वरित और सुचारु इलाज
डॉ. माहेश्वरी ने कहा कि अलग ओपीडी से दो बड़े फायदे होंगे। पहला, मौसमी बीमारियों के मरीजों को तुरंत और बेहतर इलाज मिल सकेगा। दूसरा, अस्पताल की अन्य सेवाओं पर दबाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि मरीजों की संख्या और परिस्थितियों के अनुसार ओपीडी के समय और कार्यप्रणाली में बदलाव किया जा सकता है।
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स्क्रब टाइफस के लक्षण और सावधानियां
चिकित्सकों के अनुसार स्क्रब टाइफस एक संक्रामक रोग है, जिसमें मरीज को तेज बुखार, त्वचा पर दाने, सिरदर्द और अत्यधिक कमजोरी की शिकायत होती है। समय पर इलाज न मिलने पर यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। विशेषज्ञों ने लोगों से बरसात के मौसम में साफ-सफाई बनाए रखने और कीट नियंत्रण पर विशेष ध्यान देने की अपील की है।
अस्पताल की तैयारी और निगरानी
अस्पताल प्रशासन का मानना है कि अलग ओपीडी शुरू होने से भीड़ का दबाव कम होगा और मरीजों को समय पर जांच और उपचार मिल सकेगा। इसके लिए विशेष रजिस्ट्रेशन काउंटर भी बनाया गया है। साथ ही अस्पताल मौसमी बीमारियों की स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है और मरीजों की संख्या बढ़ने पर ओपीडी की व्यवस्था को और मजबूत करने की तैयारी की जा रही है।
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