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DHHS: लिंग विविधता पर शिक्षा फंडिंग रोकने की धमकी, ट्रंप प्रशासन के खिलाफ 16 राज्यों ने दायर किया मुकदमा
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, पोर्टलैंड
Published by: पवन पांडेय
Updated Sat, 27 Sep 2025 07:40 AM IST
सार
एचएचएस ने अगस्त में राज्यों को चेतावनी दी थी कि अगर वे 60 दिनों के भीतर पाठ्यक्रम में बदलाव नहीं करते, तो उनकी पीआरईपी ग्रांट्स रद्द कर दी जाएंगी। कैलिफोर्निया का 12 मिलियन डॉलर (करीब 100 करोड़ रुपये) का फंड पहले ही 21 अगस्त को रोक दिया गया।
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Donald Trump
- फोटो : PTI
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विस्तार
अमेरिका के 16 राज्यों और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया है। इन राज्यों का आरोप है कि स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग (एचएचएस) ने यौन शिक्षा कार्यक्रमों से जेंडर विविधता से जुड़े विषयों को हटाने का दबाव डाला और ऐसा न करने पर फंडिंग रोकने की धमकी दी, जो संघीय कानून का उल्लंघन है। शुक्रवार को ओरेगन की संघीय अदालत में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि विभाग का यह कदम पूरी तरह से जेंडर डाइवर्स और ट्रांसजेंडर युवाओं को शिक्षा से बाहर करने की कोशिश है। जनवरी में ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी सरकार लोगों को केवल पुरुष या महिला के रूप में मान्यता देने की दिशा में कदम उठा रही है।
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क्या है पूरा मामला?
एचएचएस चाहता है कि पर्सनल रिस्पॉन्सिबिलिटी एजुकेशन प्रोग्राम (पीआरईपी) और टाइटल वी सेक्सुअल रिस्क अवॉइडेंस एजुकेशन (एसआरएई) जैसे कार्यक्रमों में लिंग विचारधारा से जुड़े विषय न पढ़ाए जाएं। ये फंड मुख्य रूप से किशोरों को गर्भधारण रोकने और यौन संचारित रोगों (एसटीआई) की रोकथाम के लिए संयम और गर्भनिरोधक से संबंधित शिक्षा देने में उपयोग होते हैं।
क्या है राज्यों का तर्क?
इस मामले में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि एचएचएस की यह शर्तें संघीय कानून, शक्तियों के विभाजन और कांग्रेस के अधिकारों का उल्लंघन हैं। अगर यह फंडिंग रोक दी गई तो 16 राज्यों को कम से कम 35 मिलियन डॉलर (करीब 290 करोड़ रुपये) का नुकसान होगा।
वाशिंगटन के अटॉर्नी जनरल निक ब्राउन ने बताया कि उनके राज्य को यह कहकर धमकाया गया कि हाई स्कूल के पाठ्यक्रम से यह लाइन हटाई जाए। 'सभी यौन रुझानों और जेंडर पहचान वाले लोगों को गर्भधारण और एसटीआई रोकने के तरीकों की जानकारी होनी चाहिए, चाहे अपने लिए या किसी दोस्त की मदद के लिए।' वहीं मिनेसोटा के अटॉर्नी जनरल कीथ एलिसन ने कहा, 'यौन स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रमों से फंडिंग हटाने और ट्रांसजेंडर समुदाय को बाहर करने के बीच चुनाव करना बिल्कुल अस्वीकार्य है।'
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इन राज्यों ने दायर किया मुकदमा
ओरेगन, वाशिंगटन और मिनेसोटा इस मुकदमे का नेतृत्व कर रहे हैं। इसमें बाकी कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, इलिनॉय, मैसाचुसेट्स, मैरीलैंड, मेन, मिशिगन, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, रोड आइलैंड और विस्कॉन्सिन, साथ ही डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया राज्य शामिल हैं। फिलहाल, एचएचएस की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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क्या है पूरा मामला?
एचएचएस चाहता है कि पर्सनल रिस्पॉन्सिबिलिटी एजुकेशन प्रोग्राम (पीआरईपी) और टाइटल वी सेक्सुअल रिस्क अवॉइडेंस एजुकेशन (एसआरएई) जैसे कार्यक्रमों में लिंग विचारधारा से जुड़े विषय न पढ़ाए जाएं। ये फंड मुख्य रूप से किशोरों को गर्भधारण रोकने और यौन संचारित रोगों (एसटीआई) की रोकथाम के लिए संयम और गर्भनिरोधक से संबंधित शिक्षा देने में उपयोग होते हैं।
क्या है राज्यों का तर्क?
इस मामले में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि एचएचएस की यह शर्तें संघीय कानून, शक्तियों के विभाजन और कांग्रेस के अधिकारों का उल्लंघन हैं। अगर यह फंडिंग रोक दी गई तो 16 राज्यों को कम से कम 35 मिलियन डॉलर (करीब 290 करोड़ रुपये) का नुकसान होगा।
वाशिंगटन के अटॉर्नी जनरल निक ब्राउन ने बताया कि उनके राज्य को यह कहकर धमकाया गया कि हाई स्कूल के पाठ्यक्रम से यह लाइन हटाई जाए। 'सभी यौन रुझानों और जेंडर पहचान वाले लोगों को गर्भधारण और एसटीआई रोकने के तरीकों की जानकारी होनी चाहिए, चाहे अपने लिए या किसी दोस्त की मदद के लिए।' वहीं मिनेसोटा के अटॉर्नी जनरल कीथ एलिसन ने कहा, 'यौन स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रमों से फंडिंग हटाने और ट्रांसजेंडर समुदाय को बाहर करने के बीच चुनाव करना बिल्कुल अस्वीकार्य है।'
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इन राज्यों ने दायर किया मुकदमा
ओरेगन, वाशिंगटन और मिनेसोटा इस मुकदमे का नेतृत्व कर रहे हैं। इसमें बाकी कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, इलिनॉय, मैसाचुसेट्स, मैरीलैंड, मेन, मिशिगन, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, रोड आइलैंड और विस्कॉन्सिन, साथ ही डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया राज्य शामिल हैं। फिलहाल, एचएचएस की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।