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80th UNGA: जेलेंस्की बोले- यूरोप मोल्दोवा खोने का खतरा नहीं उठा सकता; पेजेश्कियन ने बताई ईरान की परमाणु नीति

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, न्यूयॉर्क Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Thu, 25 Sep 2025 02:11 AM IST
सार

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने यूएनजीए को संबोधित करते हुए कहा कि यूरोप मोल्दोवा को बी रूसी प्रभाव के कारण खोने का जोखिम नहीं उठा सकता। इसलिए यूरोपीय संघ को अब मोल्दोवा को वित्तीय और ऊर्जा सहायता देनी चाहिए। वहीं, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने ईरान की परमाणु नीति के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि ईरान ने कभी परमाणु बम बनाने की कोशिश नहीं की और भविष्य में भी नहीं करेगा। 

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80th UNGA Session Hindi Update Zelensky Europe cannot afford to lose Moldova Pezeshkian on Iran nuclear policy
यूएनजीए के 80वें सत्र में यूक्रेन और ईरान के राष्ट्रपति समेत कई देशों ने अपनी नीतियां बताईं - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने बुधवार (स्थानीय समयानुसार) को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, 'यूरोप मोल्दोवा को भी रूसी प्रभाव के कारण खोने का जोखिम नहीं उठा सकता।' वहीं, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने ईरान की परमाणु नीति के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि ईरान ने कभी परमाणु बम बनाने की कोशिश नहीं की और भविष्य में भी नहीं करेगा। उन्होंने सभा के सामने दोहराया, 'मैं एक बार फिर घोषित करता हूं कि ईरान ने कभी परमाणु बम बनाने की कोशिश नहीं की और न ही करेगा।'

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जेलेंस्की की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब मोल्दोवा की राष्ट्रपति मैया सैंडू ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि रूस उनके देश की स्वतंत्रता को कमजोर करने के लिए देश में अशांति फैलाने की साजिश कर रहा है। 23 लाख की आबादी वाला देश मोल्दोवा रूस के कब्जे वाले ट्रांसनिस्ट्रिया क्षेत्र के कारण दबाव में है, जिससे संभावित आक्रमण का डर बढ़ रहा है। 
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ईयू को मोल्दोवा को वित्तीय और ऊर्जा सहायता देनी चाहिए
जेलेंस्की ने कहा, 'यूरोप के लिए मोल्दोवा की स्थिरता का समर्थन करना महंगा नहीं है, लेकिन इसे न करने की कीमत बहुत अधिक होगी। इसलिए यूरोपीय संघ को अब मोल्दोवा को वित्तीय और ऊर्जा सहायता देनी चाहिए, केवल शब्दों या राजनीतिक संकेतों से नहीं।' उन्होंने आगे कहा, रूस मोल्दोवा के साथ वही कर रहा है जो उसने पहले लेबनान के साथ किया था, और दुनिया की प्रतिक्रिया फिर भी पर्याप्त नहीं है। जेलेंस्की ने कहा कि हम पहले ही जॉर्जिया को यूरोप में खो चुके हैं, और कई वर्षों से बेलारूस भी रूस पर निर्भर हो रहा है। उन्होंने कहा, 'यूरोप मोल्दोवा को भी खोने का जोखिम नहीं उठा सकता।'

पेजेश्कियन ने इस्राइल की नीतियों की कड़ी आलोचना की
इसके अलावा, ईरान के राष्ट्रपति पेजेश्कियन ने महासभा को संबोधित करते हुए इस्राइल की नीतियों की भी कड़ी आलोचना की, खासकर फलस्तीनी क्षेत्रों पर कब्जा करने और इस्राइल की विस्तारवादी नीति को लेकर। उन्होंने कहा, 'लगभग दो साल तक नरसंहार, बड़े पैमाने पर कुपोषण, कब्जे वाले क्षेत्रों में अलगाव और पड़ोसी देशों पर आक्रमण के बाद, इस शासन के उच्च अधिकारियों द्वारा इस्राइल की विस्तारवादी नीति को बेधड़क होकर प्रचारित किया जा रहा है।'

परमाणु समझौते को लेकर यूरोप की ओर भी इशारा किया
पेजेश्कियन ने कहा कि इस्राइल ने कूटनीति छोड़कर बल प्रयोग का सहारा लिया है। उन्होंने कहा, 'इस्राइल और उसके समर्थक अब सामान्य राजनीतिक तरीकों से संतुष्ट नहीं हैं। वे अपने प्रभुत्व को सीधे बल से थोपते हैं और इसे शक्ति के माध्यम से शांति का नाम देते हैं।' यूरोप की ओर इशारा करते हुए, उन्होंने ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी द्वारा ईरान पर फिर से संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध लगाने के प्रयासों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि ये देश ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते, जिसे संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) के रूप में जाना जाता है, के तहत अपनी कानूनी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज कर रहे हैं।

पनामा के लिए भारत बहुत महत्वपूर्ण देश: राष्ट्रपति मुलिनो
पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने एक विशेष साक्षात्कार में भारत-पनामा संबंधों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने भारत को एक रणनीतिक साझेदार बताया और दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं को उजागर किया। राष्ट्रपति मुलिनो ने कहा, 'पनामा के लिए भारत बहुत महत्वपूर्ण देश है। इस समय भारत और पनामा के संबंध बहुत अच्छे हैं। भारत हमारे लिए एक रणनीतिक देश है। हम तकनीक, चिकित्सा, उत्पादन और कई क्षेत्रों में भारत के निवेश बढ़ाने की संभावना पर जानकारी साझा कर रहे हैं।'

थेरेसा पी. लाजारो ने भारत-फिलीपीन संबंधों में मजबूती को सराहा
फिलीपीन की विदेश सचिव मा. थेरेसा पी. लाजारो ने बुधवार को भारत-फिलीपीन संबंधों में मजबूती पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की, खासकर रक्षा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों में लगातार बढ़ोतरी पर जोर दिया और इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग जारी रखने की आवश्यकता बताई। लाजारो ने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे रक्षा सहयोग को रेखांकित किया और कहा कि यह रिश्ता समय के साथ और मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा, 'रक्षा के क्षेत्र में सहयोग काफी पहले से मौजूद है। हालांकि, मुझे लगता है कि यह जारी है और हमारे रक्षा क्षेत्र के साथ कई समझौते हुए हैं। और मुझे लगता है कि यह हमारे संबंधों के मजबूत और व्यापक होने का एक अच्छा संकेत है।'

इंडो-पैसिफिक सुरक्षा ढांचे में महत्वपूर्ण योगदान देती है साझेदारी
भारत-फिलीपीन के बीच बढ़ती हुई साझेदारी क्षेत्रीय उद्देश्यों के साथ भी मेल खाती है। लाजारो ने कहा कि यह सहयोग इंडो-पैसिफिक सुरक्षा ढांचे में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उन्होंने कहा, 'फिलीपीन-भारत के रिश्ते, उन सिद्धांतों को मजबूत करेंगे, जिनका हम इंडो-पैसिफिक में पालन कर रहे हैं। यह क्षेत्रीय सुरक्षा और इसके कई अन्य पहलुओं को मजबूत करेगा।'

UNGA के मंच पर दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति रामफोसा, एकतरफा व्यापार प्रथाओं पर जमकर बरसे
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि एकतरफा व्यापार नीतियां और आर्थिक दबाव कई देशों के लिए हानिकारक हैं। यह टिप्पणी उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए शुल्कों के संदर्भ में की। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक झटके और व्यापार नीतियों की अस्थिरता वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर रहे हैं तथा विकास के लिए जरूरी संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं। रामाफोसा ने अफ्रीकी महाद्वीप को अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (AfCFTA) के जरिये सहयोग और सतत विकास का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल महाद्वीप की आर्थिक एकता और सहयोग की धुरी बन सकती है। इसके साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अक्षम और अप्रभावी बताते हुए सुधार की मांग की। उन्होंने कहा कि परिषद को अधिक जवाबदेह, प्रतिनिधिक और लोकतांत्रिक बनाना होगा ताकि अंतरराष्ट्रीय शांति और कानून की रक्षा हो सके।

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