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NSA Doval: ब्रिक्स के एनएसए सम्मेलन में शामिल हुए अजीत डोभाल, बोले- आतंकवाद का मिलकर मुकाबला करें सभी देश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: बशु जैन
Updated Wed, 11 Sep 2024 10:20 PM IST
सार
डोभाल ने सम्मेलन में बहुपक्षवाद में सुधार का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थितियां आधुनिक खतरों और साझा चिंताओं के संवेदनशील मुद्दों से निपटने में सक्षम नहीं हैं।
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ब्रिक्स एनएसए सम्मेलन में भाग लेते भारत के एनएसए अजीत डोभाल।
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रूस में ब्रिक्स के एनएसए सम्मेलन में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने सभी देशों से डिजिटलीकरण के जरिये उत्पन्न चुनौतियों और आतंकवाद से निपटने के लिए ब्रिक्स देशों से मिलकर काम करने की बात कही।
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डोभाल ने सम्मेलन में बहुपक्षवाद में सुधार का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थितियां आधुनिक खतरों और साझा चिंताओं के संवेदनशील मुद्दों से निपटने में सक्षम नहीं हैं। इस दौरान उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बात भी की। बृहस्पतिवार को डोभाल चीन के विदेश मंत्री के साथ ब्रिक्स सम्मेलन से अलग द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।
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सम्मेलन में एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि यदि हमको अपनी विश्वसनीयता बढ़ानी है तो बहुपक्षवाद में सुधार करना होगा। डोभाल ने आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) से संबंधित मुद्दों और आतंकवाद, आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों पर बात की। साथ ही संयुक्त प्रयासों के जरिये चुनौती का मुकाबला करने की जरूरत बताई।
सम्मेलन में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने विश्व की सुरक्षा चुनौतियों की भी समीक्षा की। तीन दिवसीय सम्मेलन ब्रिक्स के वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत ब्रिक्स देशों के नेता मॉस्को में अगले महीने 22 से 24 अक्तूबर तक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अमेरिका शामिल हैं। इसमें 2023 में नए सदस्य देश मिस्र, ईरान, यूएई, इथोपिया शामिल होंगे। बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध समेत तमाम मुद्दों पर सदस्य देशों के बीच चर्चा होगी।
पीएम मोदी ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद 8 और 9 जुलाई को अपना पहला मॉस्को दौरा किया था। पुतिन के साथ शिखर वार्ता में मोदी ने स्पष्ट संदेश देते हुए कहा था कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में संभव नहीं है और बम, बंदूक और गोलियों के बीच शांति वार्ता सफल नहीं हो सकती।
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