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ASPI research: टेक्नोलॉजी के महत्त्वूपूर्ण क्षेत्रों में चीन की बढ़त बनी ‘लोकतांत्रिक’ देशों के लिए चुनौती

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, हांग कांग Published by: Harendra Chaudhary Updated Mon, 06 Mar 2023 03:20 PM IST
सार

ASPI research: पर्यवेक्षकों के मुताबिक एएसपीआई की रिपोर्ट उन तमाम देशों के लिए एक चेतावनी है, जो अपने को लोकतांत्रिक कहते हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि अब इन देशों के पास यही रास्ता है कि रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण तकनीक को विकसित करने में वे अपनी पूरी ताकत झोंक दें...

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ASPI research shows China lead in important areas of technology poses a challenge to united states
यूएस और चीन का झंडा - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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बीते सप्ताहांत आई एक रिपोर्ट ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के सहयोगी देशों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आधुनिक 44 टेक्नोलॉजी में से 37 में चीन दुनिया में सबसे आगे निकल गया है। इन तकनीकों में हाइपरसोनिक मिसाइल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन्स और इलेट्रिक बैटरी शामिल हैं।

यह रिपोर्ट ऑस्ट्रेलिया के मशहूर थिंक टैंक- ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एएसपीआई) ने तैयार की है। इसमें दिए गए इंडेक्स में चीन को अंतरिक्ष और रक्षा उद्योग से संबंधित तकनीक के क्षेत्र में दुनिया में पहले नंबर पर रखा गया है। एएसपीआई कैनबरा स्थित थिंक टैंक है, जिसकी स्थापना ऑस्ट्रेलिया सरकार ने की थी। अब यह संस्था दुनिया के कई देशों की सरकारों और रक्षा एवं टेक कंपनियों से मिलने चंदे से चलती है।

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रिपोर्ट में बताया गया कि चीन नैनोस्केल मैटेरियल्स, मैनुफैक्चरिंग, कोटिंग, 5जी और 6जी तकनीक, हाइड्रोजन एवं अमोनिया शक्ति, सुपर कैपिसिटॉर्स, इलेक्ट्रिक बैटरी, सिंथेटिक बायोलॉजी एवं फोटोनिक्स सेंसर आदि में सबसे आगे निकल चुका है। बल्कि अब यह संभावना बन गई है कि इन तकनीकों के मामलों में वह दुनिया में अपनी मोनोपॉली (एकाधिकार) बना सकता है।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक एएसपीआई की रिपोर्ट उन तमाम देशों के लिए एक चेतावनी है, जो अपने को लोकतांत्रिक कहते हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि अब इन देशों के पास यही रास्ता है कि रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण तकनीक को विकसित करने में वे अपनी पूरी ताकत झोंक दें। खुद रिपोर्ट में कहा गया है- ‘चीन की बराबरी करने के लिए दुनिया भर की सरकारों को मिल कर और अलग-अलग भी प्रयास करने चाहिए। उन्हें तकनीकी आविष्कार और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के नए केंद्र यानी इंडो-पैसिफिक पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’ रिपोर्ट के लेखकों ने खास तौर पर अमेरिकी नेतृत्व वाले समूह- ऑकुस (ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका), क्वैड और यूरोपियान यूनियन से आपस में सहयोग बढ़ाने को कहा है।

अमेरिका अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। लेकिन एएसपीआई ने जिन 44 तकनीकों पर अपनी रिपोर्ट बनाई है, उनमें से सिर्फ सात में उसे बढ़त हासिल है। इनमें उन्नत सेमीकंडक्टर की डिजाइन और विकास, उन्नत इंटीग्रेटेड सर्किट का डिजाइन और फैब्रिकेशन और उच्च क्षमता की कंप्यूटिंग में अऩुसंधान शामिल हैं। क्वांटम कंप्यूटिंग, वैक्सीन विकास और मेडिकल क्षेत्र में भी उसे बढ़त मिली हुई है। छोटे उपग्रह संबंधित शोध, अंतरिक्ष प्रक्षेपण सिस्टम आदि के क्षेत्र में अमेरिका अपनी मोनोपॉली बनाने की स्थिति में है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की बढ़त का आधार वहां हो रहे अनुसंधान और असीमित संसाधनों की उपलब्धता है। एएसपीआई ने कहा है कि इऩकी बदौलत चीन विमान इंजन और रोबोटिक्स के विकास में भी काफी आगे निकल गया है। रिपोर्ट में चीन के इस दावे की तरफ भी ध्यान खींचा गया है कि दुनिया के सबसे उन्नत दस अनुसंधान संस्थानों में से सात उसके यहां हैँ।

एएसपीआई के मुताबिक चीन ‘लोकतांत्रिक’ देशों के 21.6 फीसदी शोधकर्ताओं को अपने यहां आकर्षित करने में सफल हो रहा है। अमेरिका के 9.8 फीसदी और ब्रिटेन के 7.8 फीसदी शोधकर्ता इस समय चीन में काम कर रहे हैं। इनमें वे चीन नागरिक भी शामिल हैं, जिन्होंने पश्चिमी देशों में जाकर पढ़ाई की थी।

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