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Bangladesh: पीएम हसीना ने कर्फ्यू के आदेश पर दी सफाई, कहा- जनता की सुरक्षा के लिए उठाया था कदम
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला
Published by: मेघा झा
Updated Wed, 24 Jul 2024 04:23 AM IST
सार
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा विभिन्न गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने लोगों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा जीवन को सामान्य स्थिति में लाने के लिए अस्थायी रूप से कर्फ्यू लगाया।
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शेख हसीना
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
बांग्लादेश में पुलिस और प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच झड़प हुई। जिसके बाद प्रधानमंत्री ने कर्फ्यू लागू करने के निर्देश दिए। साथ ही हिंसा करने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश भी दिए। अब प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने इस आदेश की सफाई देनी पड़ रही है। उन्होंने अपनी सफाई में कहा है कि उस दौरान उठाए गए कदम लोगों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए थे।
बांग्लादेश में पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं थी। छात्र विवादास्पद नौकरी कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे, जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने भूतपूर्व सैनिकों के लिए कोटा घटाकर मात्र 5 प्रतिशत कर दिया। इस प्रकार, सिविल सेवा की 93 प्रतिशत नौकरियां अब योग्यता आधारित होंगी। जबकि शेष 2 प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडर और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए आरक्षित रहेंगी।
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि पुलिस और छात्रों के बीच हुई हिंसक झड़प में 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर सरकार अब तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं दे सकी है। बता दें कि इस हिंसा के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कर्फ्यू लागू करने और देखते ही गोली मारने के आदेश दिए थे। अदालत का फैसला आने के बाद अब प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सफाई देनी शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि पूर्ण बंद कार्यक्रम के लागू होने और आरक्षण आंदोलन से संबंधित हाल की घटनाओं के कारण पूरे देश के आम लोगों का जीवन और आजीविका प्रभावित हो गई है। हसीना ने कहा कि इन परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने लोगों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा जीवन को सामान्य स्थिति में लाने के लिए अस्थायी रूप से कर्फ्यू लगाया। देशव्यापी हिंसा के बाद इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गईं।
उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, निम्न आय वर्ग और कामकाजी लोगों, विशेषकर रिक्शा और वैन चालकों, फेरीवालों, विक्रेताओं, दिहाड़ी मजदूरों और परिवहन श्रमिकों जैसे दैनिक वेतन भोगियों की सामान्य आय-सृजन गतिविधियां बाधित हुई हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अकल्पनीय पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि पीएत हसीना, जो सत्तारूढ़ अवामी लीग की अध्यक्ष भी हैं, ने अपनी पार्टी और उसके सहयोगी संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं, समाज के संपन्न वर्ग और शुभचिंतकों से देश के निम्न आय, गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों की ओर सहयोग का हाथ बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने अपनी पार्टी और केंद्र से लेकर जमीनी स्तर तक के सहयोगी संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं से इस संकट की घड़ी में प्रभावित लोगों के साथ खड़े होने का आग्रह किया, जैसा कि उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान किया था।
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बांग्लादेश में पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं थी। छात्र विवादास्पद नौकरी कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे, जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने भूतपूर्व सैनिकों के लिए कोटा घटाकर मात्र 5 प्रतिशत कर दिया। इस प्रकार, सिविल सेवा की 93 प्रतिशत नौकरियां अब योग्यता आधारित होंगी। जबकि शेष 2 प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडर और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए आरक्षित रहेंगी।
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मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि पुलिस और छात्रों के बीच हुई हिंसक झड़प में 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर सरकार अब तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं दे सकी है। बता दें कि इस हिंसा के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कर्फ्यू लागू करने और देखते ही गोली मारने के आदेश दिए थे। अदालत का फैसला आने के बाद अब प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सफाई देनी शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि पूर्ण बंद कार्यक्रम के लागू होने और आरक्षण आंदोलन से संबंधित हाल की घटनाओं के कारण पूरे देश के आम लोगों का जीवन और आजीविका प्रभावित हो गई है। हसीना ने कहा कि इन परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने लोगों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा जीवन को सामान्य स्थिति में लाने के लिए अस्थायी रूप से कर्फ्यू लगाया। देशव्यापी हिंसा के बाद इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गईं।
उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, निम्न आय वर्ग और कामकाजी लोगों, विशेषकर रिक्शा और वैन चालकों, फेरीवालों, विक्रेताओं, दिहाड़ी मजदूरों और परिवहन श्रमिकों जैसे दैनिक वेतन भोगियों की सामान्य आय-सृजन गतिविधियां बाधित हुई हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अकल्पनीय पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि पीएत हसीना, जो सत्तारूढ़ अवामी लीग की अध्यक्ष भी हैं, ने अपनी पार्टी और उसके सहयोगी संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं, समाज के संपन्न वर्ग और शुभचिंतकों से देश के निम्न आय, गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों की ओर सहयोग का हाथ बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने अपनी पार्टी और केंद्र से लेकर जमीनी स्तर तक के सहयोगी संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं से इस संकट की घड़ी में प्रभावित लोगों के साथ खड़े होने का आग्रह किया, जैसा कि उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान किया था।