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BRICS: ब्रिक्स ने की पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा, आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंड को किया खारिज

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, रियो डी जेनेरियो Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Sun, 06 Jul 2025 11:21 PM IST
सार

भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है। ब्रिक्स देशों ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की। उन्होंने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की आलोचना करते हुए आतंक के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता जताई। 
 

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BRICS Summit Joint Declaration strongly condemn Pahalgam terror attack reject double standards
बिक्स समिट में पीएम मोदी और अन्य नेता - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत को एक बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है। ब्रिक्स देशों के नेताओं ने रविवार को 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। ब्रिक्स नेताओं ने साफ तौर पर कहा कि वे आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ हैं। उन्होंने यह भी दोहराया कि आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, फंडिंग और उनके सुरक्षित ठिकानों को खत्म करना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने जिन आतंकियों और आतंकी संगठनों पर बैन लगाया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। 

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी। इस जघन्य कृत्य की पूरी दुनिया में निंदा की गई। इस हमले की जिम्मेदारी 'द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)' ने ली थी। यह पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़ा हुआ आतंकी संगठन है, जिसे संयुक्त राष्ट्र पहले ही आतंकी घोषित कर चुका है। 
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आतंकवाद में शामिल लोगों को मिलनी चाहिए कड़ी सजा
ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरिया में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पहले दिन की कार्यवाही के बाद ब्रिक्स नेताओं ने 31 पेज और 126 बिंदुओं वाला एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया। इसमें ब्रिक्स नेताओं ने किसी भी आतंकवादी कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए उसे आपराधिक और अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद किसी भी धर्म, जाति या देश से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। जो भी लोग आतंकवाद में शामिल हैं या उसका समर्थन करते हैं, उन्हें सजा मिलनी चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ सभी देशों को एकजुट होकर काम करना चाहिए और इसमें कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संयुक्त राष्ट्र के नियमों के अनुसार आतंकवाद से निपटना चाहिए।

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संयुक्त घोषणापत्र के पैराग्राफ 34 लिखा, 'हम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं, जिसमें कम से कम 26 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। हम आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, आतंकवाद के वित्तपोषण और सुरक्षित ठिकानों सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद का मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।' 

आतंकवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानदंडों को किया अस्वीकार
संयुक्त घोषणापत्र में ब्रिक्स नेताओं ने यह भी कहा कि हम आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता सुनिश्चित करने और आतंकवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानदंडों को अस्वीकार करने की अपील करते हैं। उन्होंने आतंकवाद का मुकाबला करने में देशों की प्राथमिक जिम्मेदारी पर भी जोर दिया। संयुक्त घोषणापत्र में कहा गया, 'आतंकवादी खतरों को रोकने, उनका मुकाबला करने के वैश्विक प्रयासों को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर, विशेष रूप से इसके उद्देश्यों और सिद्धांतों, और प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और प्रोटोकॉल, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून, जहां भी लागू हो सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।' 

आतंकी और उनसे जुड़ी संस्थाओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई की अपील
ब्रिक्स नेताओं ने ब्रिक्स आतंकवाद निरोधी कार्य समूह (CTWG) और इसके पांच उपसमूहों की गतिविधियों का भी स्वागत किया, जो ब्रिक्स आतंकवाद निरोधी रणनीति, ब्रिक्स आतंकवाद निरोधी कार्य योजना और CTWG स्थिति पत्र पर आधारित हैं। घोषणापत्र में कहा गया, 'हम आतंकवाद निरोधी सहयोग को और गहरा करने के लिए तत्पर हैं। हम संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को शीघ्र अंतिम रूप देने और अपनाने का आह्वान करते हैं। हम संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित सभी आतंकवादियों और आतंकवादी संस्थाओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान करते हैं।'

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एकतरफा दबावपूर्ण उपायों को लागू करने की भी निंदा की
ब्रिक्स देशों के नेताओं ने उन एकतरफा और दबावपूर्ण प्रतिबंधों की भी निंदा की, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ हैं। घोषणापत्र में ब्रिक्स नेताओं ने कहा कि ऐसे प्रतिबंध (जैसे आर्थिक या दूसरे देश पर लगाए गए द्वितीयक प्रतिबंध) आम लोगों की तरक्की, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के अधिकारों को नुकसान पहुंचाते हैं। ये खासतौर से गरीब और कमजोर लोगों को प्रभावित करते हैं, डिजिटल अंतर को बढ़ाते हैं और पर्यावरण की समस्याएं भी बढ़ाते हैं। ब्रिक्स देशों ने मांग की कि ऐसे अवैध प्रतिबंध खत्म किए जाएं। उन्होंने कहा कि हम ऐसे किसी भी प्रतिबंध को लागू या समर्थन नहीं करते जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से मंजूरी नहीं लिए गए हों। 

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