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China bans US chipmaker Micron: चीन ने ठुकरा दी है कि पश्चिम की ‘डी-रिस्किंग’ की रणनीति

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग Published by: Harendra Chaudhary Updated Wed, 24 May 2023 04:59 PM IST
सार

चीन के ताजा फैसले के मुताबिक चीन में राष्ट्रीय इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनियों पर माइक्रोन के उत्पाद खरीदने पर रोक लग जाएगी। इस फैसले के पहले चीन के साइबर रिव्यू ऑफिस ने एक रिपोर्ट में कहा था कि माइक्रोन के उत्पाद चीन की नेटवर्क सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं...

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China bans US chipmaker Micron from key infrastructure projects
China bans US chipmaker Micron - फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
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अमेरिकी चिप निर्माता कंपनी माइक्रोन टेक्नोलोजी पर प्रतिबंध लगा कर चीन ने अपने रुख में आई नई आक्रामकता का परिचय दिया है। माइक्रोन ऐसी पहली बड़ी पश्चिमी कंपनी बनी है, जिस पर चीन ने प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। चीन ने यह फैसला पिछले सप्ताहांत जापान के हिरोशिमा में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन के तुंरत बाद लिया, जहां पश्चिमी देशों ने चीन के साथ अपने कारोबार में ‘जोखिम घटाने’ (डी-रिस्किंग) की रणनीति घोषित की थी। इसका मतलब यह था कि हाई टेक्नोलॉजी के मामले में पश्चिमी देश अब चीन से सहयोग नहीं करेंगे, लेकिन बाकी क्षेत्रों में व्यापार जारी रखेंगे।

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चीन के ताजा फैसले के मुताबिक चीन में राष्ट्रीय इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनियों पर माइक्रोन के उत्पाद खरीदने पर रोक लग जाएगी। इस फैसले के पहले चीन के साइबर रिव्यू ऑफिस ने एक रिपोर्ट में कहा था कि माइक्रोन के उत्पाद चीन की नेटवर्क सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने सोमवार को इस फैसले का एलान करते हुए कहा था कि यह फैसला लेने के पहले माइक्रोन के उत्पादों की जांच कराई गई। उस दौरान पाया गया कि ये उत्पाद चीन के टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए खतरा हैं। उन्होंने कहा कि चीन में साइबर हमले को रोकने के लिए इन उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है।

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अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालय ने माइक्रोन कंपनी के खिलाफ चीन के आरोपों को निराधार बताया है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा- ‘चीन ने मेमरी चिप बाजार के बाजार में जो अव्यवस्था पैदा की है, उसका हल हम अपने सहयोगियों से निकट तालमेल बना कर ढूढेंगे।’ अमेरिका ने दक्षिण कोरिया से कह चुका है कि वह अपनी कंपनियों को चीन में माइक्रोन उत्पादों के बाजार जगह लेने से रोके। लेकिन दक्षिण कोरिया ने इस बारे में अमेरिका से कोई वादा नहीं किया है। दक्षिण कोरिया के व्यापार उप मंत्री जांग यंग-जिन ने कहा है कि इस मामले में अमेरिकी अनुरोध को मानें या ना मानें, सैमसंग और एसके हाइनिक्स कंपनियां ही यह फैसला करेंगी। ये दोनों कंपनियां मेमरी चिप बाजार में माइक्रोन की प्रतिस्पर्धी हैँ।

विश्लेषकों ने कहा है कि चीन ने माइक्रोन के खिलाफ कदम पश्चिमी देशों को दो टूक संदेश देने के लिए उठाया है। इस सिलसिले में उन्होंने चीन में इंटरनेट पर वायरल हुए एक लेख का जिक्र किया है, जिसमें चीन की कार्रवाई का मकसद साफ किया गया है। इसमें कहा गया है- ‘जनवरी 2022 में अमेरिकी सरकार ने चीन से संबंध विच्छेद की दिशा में कदम आगे बढ़ाया, तो माइक्रोन ने कहा कि वह चीन से सहयोग रोक देगी, चीन स्थित अपने कर्मचारियों को उसने बर्खास्त कर दिया, और शंघाई स्थित अपने डीआरएएम डिजिन सेंटर को बंद कर दिया। वह अपने कारोबार को चीन से भारत और अमेरिका ले गई।’ लेख में कहा गया है कि इन स्थितियों को देखते हुए चीन के लिए जरूरी था कि वह जवाबी कदम उठाए।

विश्लेषकों के मुताबिक इस मामले ने चीन अपने यहां प्रचलित एक पुरानी कहावत पर अमल किया है। कहावत है कि बंदरों को डराने का तरीका यह है कि उनके सामने मुर्गे को मार डाला जाए। इस मामले में चीन ने माइक्रोन को मुर्गा बनाया है, ताकि चीन से कारोबार सीमित करने के बारे में सोच रही कंपनियों को संदेश दिया जा सके। चीन ने इसके जरिए यह कहा है कि उसे पश्चिम की डी-रिस्किंग की रणनीति मंजूर नहीं है। इस रणनीति के तहत पश्चिमी देश उन्नत तकनीक से चीन को वंचित करते हुए उसके साथ सिर्फ उन क्षेत्रों में संबंध रखना चाहते हैं, जिनमें उन्हें के बाजार की जरूरत है।

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