China Chip Ban: चिप प्रतिबंधों का चीन में दिखने लगा है असर, लेकिन लंबी अवधि में बदल सकती है सूरत
China Chip Ban: सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के कई विशेषज्ञ यह राय जता चुके हैं कि चीन पहले ही उन्नत चिप बनाने की तकनीकी क्षमता हासिल कर चुका है। लेकिन अभी उसके पास इन चिप का व्यापारिक पैमाने पर उत्पादन करने की क्षमता नहीं है। कुछ वर्षों में वह इन्हें जरूर हासिल कर सकता है...
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उन्नत चिप का चीन को निर्यात करने पर लगी अमेरिकी रोक का असर चीन के अंदर देखा जा रहा है। अब यहां ये अहसास होने लगा है कि इस अमेरिकी प्रतिबंध से चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और क्लाउड कंप्यूटिंग के क्षेत्रों में चीन के लिए फिलहाल तेजी से आगे बढ़ना मुश्किल हो जाएगा। इन प्रतिबंधों के कारण चीन की सबसे बड़ी चिप निर्माता कंपनी- सेमीकंडक्टर मैनुफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉरपोरेशन (एसएमआईसी) के लिए भी दिक्कतें खड़ी हो रही हैँ। उसे मशीन रखरखाव और उपकरण बदलने की सेवाओं से वंचित होना पड़ रहा है।
अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन ने बीते अक्तूबर में चीन के साथ उन्नत चिप के किसी कारोबार पर रोक लगा दी थी। इस प्रतिबंध के कारण अमेरिका की लैम रिसर्च, एप्लाइड मैटेरियल, केएलए कॉरपोरेशन जैसी कंपनियों ने चीन में अपनी बिक्री और सेवाएं देने पर रोक लगा दी है। नीदरलैंड्स की कंपनी एसएसएमएल होल्डिंग ने अपने अमेरिकी कर्मचारियों से कहा है कि वे अगले नोटिस तक चीनी ग्राहकों को अपनी कोई सेवा ना दें।
अमेरिकी थिंक टैंक पीटरसन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स से जुड़े विशेषज्ञों गैरी क्लाइड हौफबाउर और मेगन होगन ने एक विश्लेषण में लिखा है कि बाइडेन प्रशासन ने अपने इस कदम से चीनी सेना के आधुनिकीकरण को रोकने का सबसे गंभीर प्रयास किया है। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में स्थित ईस्ट एशिया फोरम की तरफ से प्रकाशित इस विश्लेषण में कहा गया है कि उन्नत सेमीकंडक्टर पर ही हाइपरसोनिक अस्त्र निर्भर करते हैँ। ताजा कदम के साथ बाइडेन प्रशासन ने प्रयास किया है कि सेमीकंडक्टर क्षेत्र में चीन 2022 में जहां तक पहुंचा, वह उसके आगे ना जा पाए।
दोनों विशेषज्ञों के मुताबिक चिप उत्पादन क्षेत्र में चीन में प्रतिभा और अनुसंधान के अभाव का फायदा अमेरिका उठाना चाहता है। इसमें उसे फिलहाल कामयाबी भी मिल सकती है। लेकिन दोनों विशेषज्ञों के मुताबिक यह मानना गलत होगा कि लंबी अवधि में भी चीन की प्रगति ठहरी रहेगी। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि प्रतिबंध लगने के बाद चीन ने अपनी पूरी ताकत और संसाधन चिप अनुसंधान और विकास में झोंकने की तैयारी की है। इसके लिए उसने ‘हॉल ऑफ द नेशन’ (संपूर्ण राष्ट्र) नजरिया अपनाया है, जिसके तहत इस उद्योग में राष्ट्रीय संसाधनों का निवेश किया जा रहा है।
अमेरिकी थिंक टैंक रैंड कॉरपोरेशन ने राय जताई है कि हालिया प्रतिबंधों से चीन की सेना को पंगु बनाना संभव नहीं होगा। इसी वर्ष जारी अपनी एक रिपोर्ट में इस संस्था ने कहा था कि चीन की सैनिक प्रणालियां पुराने और कम जहीन चिप पर निर्भर हैं। इन चिप की उपलब्धता पर अमेरिकी प्रतिबंधों का कोई असर नहीं होगा। अगर चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित हथियार प्रणालियां बनाना चाहेगा, तो उन्हें वह बना सकेगा, हालांकि उसकी लागत बढ़ जाएगी।
सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के कई विशेषज्ञ यह राय जता चुके हैं कि चीन पहले ही उन्नत चिप बनाने की तकनीकी क्षमता हासिल कर चुका है। लेकिन अभी उसके पास इन चिप का व्यापारिक पैमाने पर उत्पादन करने की क्षमता नहीं है। कुछ वर्षों में वह इन्हें जरूर हासिल कर सकता है। जानकारों का कहना है कि तब तक चीन की इस क्षेत्र में प्रगति निश्चत रूप से बाधित रहेगी।