बड़ी टेक कंपनियों पर कैसे लगे लगाम: पश्चिम में ‘चीन के मॉडल’ का अध्ययन
पर्यवेक्षकों ने कहा है कि चीन ने पश्चिमी देशों की तुलना में काफी पहले इस खतरे को समझ लिया। उसने अपने यहां डिजिटल कंपनियों की जांच-पड़ताल का एक सिस्टम बना लिया है। एक समय चीन के ऑनलाइन भुगतान के 94 फीसदी हिस्से पर अलीबाबा कंपनी के अली-पे और टेंसेंट कंपनी के वीचैट का कब्जा था...
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पश्चिमी देशों में बड़ी टेक कंपनियों पर लगाम कसने के लिए ‘चीन के मॉडल’ का गंभीरता से अध्ययन किया जा रहा है। वेबसाइट पॉलिटिको.ईयू ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है- ‘ऐसा अक्सर नहीं होता, जब नीति संबंधी समाधानों के लिए पश्चिम चीन की तरफ देखे। खास कर उस हाल में जब चीन के उइगुर मुसलमानों के मानवाधिकारों के हनन को लेकर राजनयिक संबंध खट्टे हो गए हों। लेकिन बड़ी टेक कंपनियों की तरफ से पैदा किए जा रहे मौद्रिक संकट की वजह यह विचित्र स्थिति पैदा हुई है कि पश्चिम चीन की तरफ देख रहा है।’
जानकारों का कहना है कि फेसबुक के अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की घोषणा के समय से ही पश्चिमी राजधानियों में काफी चिंता है। फेसबुक ने दो साल पहले कहा था कि वह 25 दूसरी कंपनियों के साथ मिल कर डिएम नाम से अपनी डिजिटल मुद्रा लॉन्च करेगी। यूरोपीय राजधानियों में इस घोषणा को गंभीरता से लिया गया। फेसबुक के दुनिया में तीन अरब से अधिक यूजर हैं। डिएम मुद्रा उन सबको उपलब्ध होगी। आशंका है कि अगर बड़ी संख्या में लोगों ने उसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, तो मुद्रा कारोबार पर विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों की पकड़ कमजोर पड़ सकती है।
बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के प्रमुख ऑगस्टीन कारस्टेन्स ने पिछले हफ्ते वाशिंगटन में एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा- ‘बड़ी टेक कंपनियों के बड़े नेटवर्क की वजह से उनकी मुद्राओं को तेजी से बड़ी संख्या में लोग अपना सकते हैं। उससे बाजार की शक्तियों का कुछ ही हाथों में और अधिक केंद्रीकरण हो जाएगा। उससे वित्तीय स्थिरता, उचित प्रतिस्पर्धा, और डाटा की निगरानी खतरे में पड़ जाएगी।’
पर्यवेक्षकों ने कहा है कि चीन ने पश्चिमी देशों की तुलना में काफी पहले इस खतरे को समझ लिया। उसने अपने यहां डिजिटल कंपनियों की जांच-पड़ताल का एक सिस्टम बना लिया है। एक समय चीन के ऑनलाइन भुगतान के 94 फीसदी हिस्से पर अलीबाबा कंपनी के अली-पे और टेंसेंट कंपनी के वीचैट का कब्जा था। लेकिन अब ये बीते समय की बात हो गई है। वहां डिजिटल कंपनियों के लिए यह नियम लागू किया गया है- एक जैसे कारोबार में सबके लिए एक जैसे नियम।
पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (चीन के केंद्रीय बैंक) के गवर्नर यी गांग ने पिछले हफ्ते आयोजित कांफ्रेंस में कहा- चीन में अब बड़ी कंपनियों के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे एक फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी बनाएं और वित्तीय गतिविधियों में शामिल सभी सहयोगी कंपनियों को उसी के तहत ले आएं। इससे वित्तीय कारोबार को टेक्नलॉजी सेवाओं से अलग करने में मदद मिलेगी। साथ ही कंपनी के दूसरे कारोबार से भी वित्तीय कारोबार का सीधा संबंध नहीं रह जाएगा।
दूसरी तरफ जी-7 देशों में अभी टेक कंपनियों के लिए नए नियम लागू करने पर अभी विचार-विमर्श का दौर ही चल रहा है। पिछले हफ्ते जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंकों के गवर्नरों की बैठक वाशिंगटन में हुई। उसमें इस बात पर जोर दिया गया कि जब तक विनियामक व्यवस्था तैयार नहीं हो जाती, किसी कंपनी को अपनी डिजिटल मुद्रा लॉन्च नहीं करना चाहिए।
इस बैठक में फ्रांस के सेंट्रल बैंक के गवर्नर फ्रांक्वां विलेरॉय दे गालहा ने कहा कि कई बड़ी टेक कंपनियों का वित्तीय कारोबार से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ये कंपनियां अपने अकूत धन का दुरुपयोग करते हुए छोटी कंपनियों को नुकसान में ना डाल दें। इन चर्चाओं के बीच यी गांग ने कहा- ‘मुद्रा डिजिटलाइजेशन के बारे में अंतरराष्ट्रीय नियमों को तय करने की प्रक्रिया में भागीदारी के लिए हम तैयार हैँ।’