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शी जिनपिंग का प्रोपेगेंडा: डंडे के जोर पर कंपनियों से समाज की भलाई करवा रही है चीन सरकार

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, हांग कांग Published by: Harendra Chaudhary Updated Sat, 28 Aug 2021 03:32 PM IST
सार

शी जिनपिंग की ‘साझा समृद्धि’ योजना के तहत धनी लोगों की आमदनी को नियंत्रित करने और धन के समाज में पुनर्वितरण का इरादा जताया गया है। मकसद समाज में बढ़ी आर्थिक गैर-बराबरी को कम करना है। चीन में बड़ी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई पिछले साल से आखिरी महीनों में ही शुरू हो गई थी....

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Chinese government forced to tech companies to do charity work for society to fulfill xi jinping dream
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो) - फोटो : PTI
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विस्तार
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चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ‘साझा समृद्धि’ लाने का एलान करने के बाद से वहां की बड़ी टेक कंपनियां और कंपनियों के अधिकारी इस मकसद के लिए अरबों डॉलर का अनुदान देने की घोषणा कर चुके हैं। चीन सरकार ने पिछले हफ्ते कंपनियों और धनी लोगों से कहा था कि उन्होंने जो धन कमाया है, अब वक्त आ गया है कि उसका एक हिस्सा वे समाज को लौटाएं।

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वेबसाइट निक्कई एशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन सरकार की इस मंशा के मुताबिक कई बड़ी कंपनियों ने परोपकारी कार्यों में खर्च और निवेश की अपनी नई योजनाएं घोषित की हैं। इनमें टेंसेंट होल्डिंग्स से लेकर ऑनलाइन रिटेलर कंपनी पिनडुओडुओ शामिल हैं। फूड डिलिवरी कंपनी मेइतुआन के सीईओ वांग शिंग और स्मार्टफोन निर्माता कंपनी शाओमी के टॉप अधिकारी लेई जुन ने निजी तौर पर बड़ा अनुदान देने की घोषणा की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक इन अनुदानों से प्राप्त धन को अनुसंधान, कृषि, और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में खर्च किया जाएगा।
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शी जिनपिंग की ‘साझा समृद्धि’ योजना के तहत धनी लोगों की आमदनी को नियंत्रित करने और धन के समाज में पुनर्वितरण का इरादा जताया गया है। मकसद समाज में बढ़ी आर्थिक गैर-बराबरी को कम करना है। चीन में बड़ी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई पिछले साल से आखिरी महीनों में ही शुरू हो गई थी। उसके बाद चीनी अधिकारियों ने टेक कंपनियों को कहा था कि वे समाज के लिए अधिक लाभदायक क्षेत्रों में निवेश करें।

एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल में अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग्स और ऑनलाइन रिटेलर कंपनी जेडी.कॉम ने मुनाफे के मकसद से हट कर सामाजिक मूल्य निर्मित करने वाले कार्यों में निवेश की घोषणा की है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि चीन सरकार की कार्रवाई से कंपनियों में भय का माहौल है। इसलिए वे बिना इस बात की चिंता किए कि उनके निवेश के अनुपात में उन्हें मुनाफा होगा या नहीं, उन क्षेत्रों में निवेश की घोषणा कर रहे हैं, जो परंपरागत रूप से उनका कार्यक्षेत्र नहीं रहा है।

निक्कई एशिया के मुताबिक रिसर्च कंपनी गावेकल ड्रैगोनोमिक्स के विश्लेषक एरनन कुई ने इस गुरुवार को अपनी कंपनी के ग्राहकों को भेजे एक मेल में लिखा- ‘देश में नियमों का एक नया माहौल बनाया जा रहा है। इससे इंटरनेट कंपनियों के विकास और मुनाफा कमाने की क्षमता पर नई सीमाएं लग जाएंगी। साथ ही सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा। चीनी अधिकारी अब इन कंपनियों को आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदाता के रूप में अधिक देख रहे हैं। उनकी राय है कि इन कंपनियों की सख्ती से निगरानी की जानी चाहिए।’

पिछले हफ्ते टेन्सेंट ने 100 अरब युवान का निवेश सामाजिक जिम्मेदारी की परियोजनाओं में करने का एलान किया। पिनडुओडुओ ने 10 अरब युवान का निवेश कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में करने की घोषणा की है। पिनडुओडुओ के चेयरमैन चेन लेई स्वीकार किया कि ये निवेश मुनाफे के लिए नहीं है। अलीबाबा ग्रुप के सीईओ डैनियल झांग ने पिछले तीन अगस्त को कहा था कि उनकी कंपनी ‘एक ऐसी अच्छी कंपनी बनने के लिए वचनबद्ध है, जो चीन और दुनिया के लिए दीर्घकालिक मूल्य निर्मित करेगी।’

पिकिंग यूनिवर्सिटी में डिजिटल सेक्टर के प्रोफेसर रह चुके जेफरी टॉवसन ने कहा है कि ऐसे निवेश से बाजार मूल्य का क्षरण होता है। इससे वह निवेश कहीं और चला जाता है, जिसे कंपनी के विकास में लगाया गया होता। उन्होंने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- ‘हर शेयरहोल्डर की निगाह इस बात पर टिकी है कि ये निवेश सिर्फ एक बार के लिए है या यह एक नियमित परिघटना बनने जा रहा है।’

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