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सरकारी डंडे से बचने के लिए नए क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं बड़ी चीनी टेक कंपनियां

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग Published by: Harendra Chaudhary Updated Fri, 28 May 2021 02:29 PM IST
सार

फूड डिलवरी कंपनी मेइतुआन ने पिछले दिनों ऑटोनोमस डिलिवरी वाहनों और रोबोटिक्स में निवेश का एलान किया। इसके कुछ ही दिन पहले चीन की एकाधिकार (मोनोपॉली) निगरानी एजेंसी ने इस कंपनी के खिलाफ जांच शुरू करने का एलान किया था...

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Chinese tech giants are investing in new sectors to avoid government interference
alibaba - फोटो : Agency (File Photo)
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हाई टेक कंपनियों पर चीन में जारी कार्रवाई का नतीजा यह हुआ है कि ये कंपनियां अपना बटुआ खोल कर नए क्षेत्रों में निवेश करने को मजबूर हो गई हैं। अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग्स लिमिटेड, टेन्सेंट होल्डिंग्स लिमिटेड और मेइतुआन ने हाल में अपने निवेशकों को सूचना दी है कि वे अपने वे नए क्षेत्रों में निवेश करेंगी। इन क्षेत्रों में क्लाउड कंप्यूटिंग, ऑटोनोमस ड्राइविंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस शामिल हैं। विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि इस नए घटनाक्रम के कारण चीन के इंटरनेट क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। लेकिन इसका फौरी असर चीन की बड़ी टेक कंपनियों का मुनाफा घटने के रूप से में भी सामने आ सकता है।

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फूड डिलवरी कंपनी मेइतुआन ने पिछले दिनों ऑटोनोमस डिलिवरी वाहनों और रोबोटिक्स में निवेश का एलान किया। इसके कुछ ही दिन पहले चीन की एकाधिकार (मोनोपॉली) निगरानी एजेंसी ने इस कंपनी के खिलाफ जांच शुरू करने का एलान किया था। कंपनी पर मोनोपॉली नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। मेइतुआन चीन में बाजार मूल्य के हिसाब से तीसरी सबसे बड़ी टेक कंपनी है। पिछले साल कोरोना महामारी के कारण इसकी आमदनी में गिरावट आई थी, लेकिन इस साल उसकी आमदनी बढ़ी है।
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चीन स्थित हुआताई पाइनब्रिज फंड मैनेजमेंट के फंड मैनेजर ही ची ने टोक्यो के अखबार जापान टाइम्स से कहा- ‘ये कंपनियां जिन क्षेत्रों में निवेश बढ़ा रही हैं, वह अपनी इच्छा से नहीं कर रही हैं। मोनोपॉली संबंधी कार्रवाई का मकसद इन कंपनियों को उनके क्षेत्र से बाहर निकलना है, जहां वे अपने हैसियत के कारण भारी मुनाफा कमा रही हैं।’

विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि मोनोपॉली विरोधी कार्रवाई पिछले साल शुरू हुई थी। उसके बाद से बड़ी टेक कंपनियों को सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। कार्रवाई का सबसे पहला निशाना अलीबाबा ग्रुप बना था। उस कंपनी ने आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफर) निकालने का एलान किया था, जिस पर सरकारी एजेंसी ने एन वक्त पर रोक लगा दी।

अब खबर यह भी है कि सरकारी अधिकारी बड़ी टेक कंपनियों को साझा उद्यम में लाने की योजना बना रहे हैं। मकसद यह है कि जो डाटा बड़े पैमाने पर इन कंपनियों ने एकत्र किया है, उसकी निगरानी की जा सके। जानकारों का कहना है कि इन कार्रवाइयों से इंटरनेट क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा खत्म करने के वर्षों तक चले खुले खेल पर रोक लग सकती है। बड़ी कंपनियों ने अपने क्षेत्र की नई कंपनियों को खरीद कर या प्राइस वॉर के जरिए उन्हें घाटे में धकेल मोनोपॉली कायम की। अब चीन सरकार की टेढ़ी नजर इन बड़ी कंपनियों पर पड़ी है। बीते अप्रैल में मोनोपॉली नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में अलीबाबा पर 2.8 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया था। जिसे चुनौती देने के बजाय उसने स्वीकार कर लिया।

हालिया कार्रवाइयों का नतीजा यह हुआ है कि बड़ी कंपनियां अपने मुनाफा निवेश नए क्षेत्रों में करने के लिए मजबूर हुई हैं। अलीबाबा ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वह अपना बढ़ने वाला पूरा मुनाफा टेक्नोलॉजी और सामुदायिक कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में लगाएगी। टेन्सेंट ने अपने मुनाफे का बड़ा हिस्सा क्लाउट कंप्यूटिंग और शॉर्ट वीडियो उद्योग में लगाने का एलान किया है। बीजिंग स्थित इन्वेस्टमैंट बैंक चेनसन एंड कंपनी के निदेशक शेन मेंग का कहना है- ‘चीन सरकार घरेलू इंटरनेट कंपनियों से अपेक्षा रख रही है कि वह देश को तकनीक क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनाने में ज्यादा बड़ी भूमिका निभाएं। मूलभूत तकनीकों के विकास के लिए बड़े पैमाने पर पूंजी और मानव शक्ति की जरूरत होती है। धनी बड़ी कंपनियां ऐसा निवेश करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।’

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