शी जिनपिंग का डंडा: एक ट्रिलियन डॉलर के नुकसान के बावजूद चीन की बड़ी टेक कंपनियां देंगी ‘साझा समृद्धि’ के लिए चंदा
वुहान सम्मेलन ने लिए राष्ट्रपति शी ने अपना लिखित संदेश भेजा था। पर्यवेक्षकों का कहना है कि चीन में विश्व इंटरनेट सम्मेलन 2014 के बाद से हर साल होता रहा है। लेकिन इस बार इसमें मीडिया और पर्यवेक्षकों की जितनी दिलचस्पी रही, उतने पहले देखने को नहीं मिली है...
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चीन के शहर वुहान में रविवार को ‘विश्व इंटरनेट कॉन्फ्रेंस’ का आयोजन हुआ। लेकिन इसमें चर्चा के एजेंडे इंटरनेट की दुनिया के घटनाक्रम प्रमुख नहीं थे। बल्कि ऐसा लगा कि इसका मकसद चीन में टेक क्षेत्र की बड़ी शख्सियतों को सरकार के नए लक्ष्य ‘साझा समृद्धि’ में सहयोग के लिए वचनबद्ध करवाना है। उन तमाम बड़े नामों ने इस बात का भी एलान किया कि वे छोटे और मझौले उद्योगों के विकास में अपना योगदान देंगे।
लगभग एक साल पहले चीन सरकार ने बडी टेक कंपनियों पर कार्रवाई शुरू की थी। पर्यवेक्षकों के मुताबिक अब उसका असर दिख रहा है। वुहान में हुए सम्मेलन में शाओमी कंपनी के सह-संस्थापक लेइ जुन और अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग्स के सीईओ डैनियल झांग यंग भी शामिल हुए। दोनों ने कहा कि समाज की मदद करने के लिए उनकी कंपनियां वचनबद्ध हैं।
गौरतलब है कि पिछले एक साल में बड़ी टेक कंपनियों के खिलाफ कई तरह की जांच शुरू की गई हैं और उन पर जुर्माने लगाए गए हैं। अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में नए नियम-कायदे लागू कर दिए गए हैं। इसका असर यह हुआ है कि शेयर बाजारों में बड़ी टेक कंपनियों को एक ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। उधर बड़े कंपनी अधिकारी अब खामोशी से अपना काम करने पर मजबूर हो गए हैं।
वुहान सम्मेलन का उद्घाटन चीन के उप प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मुख्य आर्थिक सलाहकार लिउ हे ने किया। उन्होंने कहा कि उद्यमियों में आविष्कार भावना और छोटे कारोबारियों की मदद करना बेहद अहम है। खबरों के मुताबिक उनके बाद बोलने आए उद्योग जगत के तमाम बड़ी शख्सियतों ने उनकी ही बातों को दोहराया। उनमें ये बताने की होड़ रही कि उनकी कंपनी कैसे सरकार के नए लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में योगदान कर रही है।
इस सम्मेलन ने लिए राष्ट्रपति शी ने अपना लिखित संदेश भेजा था। उसमें उन्होंने वादा किया कि चीन दूसरे देशों के साथ मिल कर डिजिटल अर्थव्यवस्था में गति लाने, डिजिटल सिक्योरिटी को मजबूत करने और डिजिटल शासन को अधिक कुशल बनाने के लिए काम करेगी। पर्यवेक्षकों का कहना है कि चीन में विश्व इंटरनेट सम्मेलन 2014 के बाद से हर साल होता रहा है। लेकिन इस बार इसमें मीडिया और पर्यवेक्षकों की जितनी दिलचस्पी रही, उतने पहले देखने को नहीं मिली है।
अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक चीन में कारोबार करने वाली कोई ऐसी बड़ी कंपनी नहीं है, जिसने इस बार अपना प्रतिनिधि इस सम्मेलन में न भेजा हो। पर्यवेक्षकों के मुताबिक ये सम्मेलन अब ऐसा मंच बन गया है, जिसके जरिए चीन सरकार विश्व इंटरनेट संचालन के बारे में अपने विचार दुनिया को बताती है। चीन सरकार ने ‘साइबर संप्रभुता’ का एक विचार प्रचारित किया है, जिसके जरिए वह देश में जारी इंटरनेट सेंसरशिप को जायज ठहराती है। सरकार के डंडे का डर कंपनियों में ऐसा समाया हुआ है कि उनके किसी अधिकारी ने सम्मेलन में इस सेंसरशिप के खिलाफ आवाज नहीं उठाई।
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल कोरोना महामारी के कारण इस सम्मेलन में ज्यादातर चर्चा ऑनलाइन हुई थी। लेकिन इस बार सरकार की मंशा को देखते हुए ज्यादातर कंपनियों के सीईओ व्यक्तिगत रूप से सम्मेलन में हाजिर हुए।