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Donald Trump: 157 साल पुराने कानून से ट्रम्प को लगा बड़ा झटका, क्या चुनाव नहीं लड़ पाएंगे पूर्व राष्ट्रपति?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलोराडो (अमेरिका) Published by: ज्योति भास्कर Updated Wed, 20 Dec 2023 10:11 PM IST
सार

रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप 2024 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव लड़ सकेंगे या नहीं? इस सवाल का जवाब पेचीदा है। कोलोराडो की कोर्ट ने ट्रंप को अयोग्य करार दिया है। ट्रंप के पास देश की सुप्रीम कोर्ट में अपील का सीमित समय बचा है। जानिए उनके पास बचे विकल्प

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Donald Trump 14th US Constitution Amendment Section 3 know What Happens Next
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल) - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। हालांकि, कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें बड़ा झटका लगा है। कोलोराडो की अदालत भारतीय संदर्भ में हाईकोर्ट की तरह है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश के इतिहास में पहली बार संविधान के 14वें संशोधन की धारा-3 का इस्तेमाल किया गया है। इसके तहत राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को अयोग्य करार दिया जाता है। 
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खबरों के मुताबिक 2024 के चुनाव में प्रमुख रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप के खिलाफ जिस अदालत ने फैसला सुनाया है, उसके सभी न्यायाधीश डेमोक्रेटिक पार्टी के गवर्नर की तरफ से नियुक्त किए गए हैं। कोलोराडो को पारंपरिक रूप से डेमोक्रेट समर्थक माना जाता है। ऐसे में कोलोराडो कोर्ट के फैसले का देश की राजनीति पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है। ट्रंप के पास अभी राष्ट्रीय सुप्रीम कोर्ट का विकल्प बाकी है। कोलोराडो कोर्ट  के फैसले के बावजूद ट्रंप चुनाव लड़ सकें, इसे संभव बनाने को लेकर ट्रंप के पास कौन से विकल्प हैं? आइए समझते हैं 
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कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप को बगावत / राजद्रोह का दोषी माना

Donald Trump 14th US Constitution Amendment Section 3 know What Happens Next
US Court - फोटो : Social Media
दरअसल, ट्रंप को कोलोराडो की सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य करार देने के बावजूद देश की सर्वोच्च अदालत में अपील करने की आजादी दी है। कोलोराडो की कोर्ट ने कहा है कि चार जनवरी तक या अपील या ट्रंप की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोलोराडो कोर्ट का आदेश प्रभावी नहीं होगा। हालांकि, कोर्ट ने माना कि ट्रंप संविधान के तहत परिभाषित बगावत / राजद्रोह (insurrection) के दोषी हैं। अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को प्राइमरी रिपब्लिकन बैलट से ट्रंप का नाम हटाने का निर्देश भी दिया है। 

ऐसे में साफ है कि अब राजनीति में ट्रंप का भविष्य अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के हाथ में है। अब देश की सबसे बड़ी अदालत के फैसले से ही साफ होगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 में ट्रंप उम्मीदवार बनेंगे या नहीं। चार जनवरी की तारीख इसलिए अहम है क्योंकि पांच जनवरी उम्मीदवारों का एलान करने की अंतिम तारीख है। कोलोराडो में बढ़त पाने के लिए चार जनवरी से पहले रिपब्लिकन पार्टी को अपने उम्मीदवारों का एलान करना ही होगा। भले ही इसका असर केवल कोलोराडो की रिपब्लिकन प्राइमरी पर होना है, लेकिन इससे अगले साल नवंबर में होने वाले चुनाव भी प्रभावित हो सकते हैं। 

अलग-अलग राज्यों में अदालतों की राय?

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विवेक रामास्वामी और डोनाल्ड ट्रंप - फोटो : सोशल मीडिया
ट्रंप की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि कोलोराडे के फैसले के बाद देश की सबसे बड़ी अदालत में अपील का विकल्प खुला है। उन्होंने संविधान की धारा-3 के तहत दाखिल याचिका को गलत और दुर्भावनापूर्ण करार दिया। इससे पहले ट्रंप के खिलाफ ऐसे ही मुकदमे मिनीसोटा और मिशिगन की अदालतों में भी ट्रंप को अयोग्य ठहराने की अपील दाखिल हुई थी। हालांकि, दोनों अदालतों में याचिका खारिज होने के बाद ट्रंप को राहत मिली थी। मिशिगन की अदालत ने 3-0 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि चुनाव में प्रत्याशी कौन बनेगा? यह तय करना अदालतों का काम नहीं है।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर ट्रंप के खिलाफ कोरोराडो कोर्ट के फैसले का राजनीतिक असर दिखना भी शुरू हो गया है। भारतीय मूल के रिपब्लिकन नेता विवेक रामास्वामी ने ट्रंप की उम्मीदवारी बहाल करने की मांग की है। उन्होंने कहा, अगर उन्हें अयोग्य ठहराने का फैसला वापस नहीं होता है तो वे खुद भी कोलोराडो में चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने बाकी उम्मीदवारों से भी चुनाव बहिष्कार की मांग की।

संविधान का 14वां संशोधन और धारा-3 क्या है?

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अमेरिकी संसद - फोटो : iStock
अमेरिकी गृह युद्ध के बाद संविधान में संशोधन की पहल की गई। इस धारा के अनुसार, अमेरिकी संविधान की शपथ लेने के बावजूद सरकार के खिलाफ बगावत या राजद्रोह में शामिल कोई भी शख्स, अमेरिकी संसद में सीनेटर या प्रतिनिधि नहीं बन सकेगा। इस कानून के मुताबिक अमेरिका के दुश्मनों की मदद या उन्हें किसी तरह की सुविधा मुहैया कराने वाले शख्स को भी राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं होगा।

इस कानून के तहत परिभाषित ऐसे किसी भी मामले में दोषी शख्स को अमेरिका या देश के किसी भी राज्य में असैन्य या सैन्य कार्यालयों के लिए भी अयोग्य माना जाएगा। इस दायरे में उन सभी लोगों को शामिल किया गया है, जिन्होंने अमेरिका में कभी संसद सदस्य, अमेरिका के एक अधिकारी, राज्य विधायिका के सदस्य, राज्य के कार्यकारी या न्यायिक अधिकारी के रूप में शपथ ली हो। हालांकि, इसी कानून में यह प्रावधान भी किया गया है कि देश की संसद के प्रत्येक सदन में दो-तिहाई वोट के बाद ऐसी अयोग्यता का ठप्पा हटाया जा सकता है।

157 साल पुराने कानून से झटका लगा; अब ट्रंप के पास आगे का रास्ता क्या?

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डोनाल्ड ट्रंप - फोटो : AMAR UJALA
अमेरिकी संसद से इस 14वें संशोधन को 1866 में पारित किया गया। राज्यों ने इसे करीब दो साल के बाद 1868 में अंगीकार किया या मंजूरी / (ratify) दी। संविधान के प्रावधानों की जानकार और इंडियाना यूनिवर्सिटी में कानून की प्रोफेसर गेरार्ड मैग्लिओका ने बताया कि 14वें संशोधन की धारा-3 के तहत पारित फैसले का दो भाग है। एक ऐतिहासिक पहलू है, जबकि दूसरा इसका व्यावहारिक पक्ष, यानी इसे कैसे लागू किया जाएगा। इससे यह बहस भी शुरू हो सकती है कि ऐसे अदालती फैसलों के बाद अमेरिका का राजनीतिक भविष्य क्या और कैसा होगा?

कानूनी फैसले के खिलाफ क्या अमेरिका में जनमत की लड़ाई लड़ी जा सकती है? इसका ठोस जवाब कठिन है। दरअसल, 157 साल पहले बनाए गए जिस कानून के प्रावधान के तहत ट्रंप को पहला बड़ा झटका लगा है। ऐसे में इस कानून में संशोधन की मांग भी जोर पकड़ सकती है। सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक कानूनी जानकार डेविड बेकर ने बताया, देश की सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी, यह अनिवार्य शर्त नहीं, लेकिन चुनाव प्रक्रिया की डेडलाइन नजदीक देखते हुए ऐसा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। 

रिपब्लिकन चुनाव का बहिष्कार कर सकते हैं; सर्वे के नतीजों से ट्रंप का खेमा उत्साहित

2024 के राष्ट्रपति चुनाव के प्रारंभिक चरण (रिपब्लिकन प्राइमरी) से चंद हफ्ते पहले ट्रंप के खिलाफ आए फैसले का विरोध दूसरे रिपब्लिकन उम्मीदवारों ने एकजुट होकर किया है। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि अदालत के फैसले को सियासी रंग दिया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि रिपब्लिकन धड़े ने कहा है कि अदालतों को देश की चुनावी प्रक्रिया से दूर रहना चाहिए। भारतीय मूल के रिपब्लिकन विवेक रामास्वामी ने अन्य रिपब्लिकन नेताओं- रॉन डेसेंटिस, क्रिस क्रिस्टी, और निक्की हेली से भी कोलोराडो कोर्ट के फैसले का विरोध करने का आह्वान किया है। ऐसे में चुनावी प्रक्रिया का बहिष्कार का खतरा भी पैदा होने की आशंका है।

पांच बड़े राज्यों में बाइडन से निराश है जनता

कोलोराडो की अदालत का फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि, अगले साल के राष्ट्रपति चुनाव से पहले दो अहम राज्यों- मिशिगन और जॉर्जिया में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, वर्तमान राष्ट्रपति बाइडन के मुकाबले मजबूत स्थिति में माने जा रहे हैं। दिसंबर में राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े सीएनएन के एक पोल में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। दोनों राज्यों की बहुमत आबादी, राष्ट्रपति बाइडन के काम से खुश नहीं है। एसएसआरएस की तरफ से कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक बाइडन के कार्यकाल में उनके प्रदर्शन, नीतियों और तत्काल कार्रवाई जैसे पहलुओं पर बड़ी आबादी के विचार नकारात्मक हैं। इससे पहले नवंबर में आए न्यूयॉर्क टाइम्स के सर्वे में नेवादा, एरिजोना और पेन्सिलवेनिया में भी ट्रंप को मजबूत स्थिति में बताया गया।

बाइडन की तुलना में ट्रंप के साथ हैं अधिक लोग

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पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप और वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (फाइल) - फोटो : ANI
चार साल पहले हुए चुनाव में बाइडन और ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर हुई थी। 2020 में जॉर्जिया में बाइडन बहुत ही कम अंतर से जीते थे। 2023 में पंजीकृत मतदाताओं में 44 प्रतिशत बाइडन के समर्थन में हैं, जबकि 49 फीसदी मतदाताओं की पसंद ट्रंप हैं। चार साल पहले मिशिगन में डेमोक्रेट उम्मीदवार बाइडन व्यापक अंतर से जीते थे। इस बार ट्रंप को बाइडन से 10 फीसद अधिक मतदाताओं का समर्थन मिलने का अनुमान है। सर्वे में 40 प्रतिशत लोगों ने बाइडन को अपनी पसंद बताया, जबकि 50 प्रतिशत जनता ने ट्रंप का साथ दिया। 10 फीसदी लोगों ने कहा कि वे दोनों में किसी भी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेंगे।

इन दोनों राज्यों में 2024 के चुनाव के लिहाज से ट्रंप को बड़ी लीड मिलने के संकेत हैं। बाइडन के पास ट्रंप की तुलना में 2020 से भी कम समर्थक हैं। सीएनएन के मुताबिक, ये आंकड़े दोनों उम्मीदवारों के लिए संभावित चुनौतियों का संकेत देते हैं।

कोलोराडो की कोर्ट में किस मामले में दोषी पाए गए ट्रंप

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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप - फोटो : AMAR UJALA
गौरतलब है कि कोलोराडो की सुप्रीम कोर्ट ने करीब तीन साल पुराने मामले में ट्रंप को अयोग्य माना है। 2020-21 में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बाइडन से मात खाने के बावजूद रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप ने आसानी से हार स्वीकार नहीं की थी। नतीजे आने के बाद अमेरिकी संसद में हिंसा और तोड़फोड़ की घटना हुई। इस अप्रत्याशित घटना की तस्वीरें आज भी जेहन में ताजा हैं। 

6 जनवरी, 2021 को संसद में घुसे उपद्रवियों ने शांति भंग करने का हरसंभव प्रयास किया। हिंसा के दौरान पांच लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत भी हुई। इस मामले में पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ समर्थकों को भड़काने और उकसाकर संसद (यूएस कैपिटल) का घेराव और हमले के आरोप साबित हुए हैं। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी से होता है कि वॉशिंगटन में पब्लिक इमरजेंसी लगानी पड़ी थी। ट्रंप ने चुनावी नतीजों में धांधली के आरोप लगाए थे। कोलोराडो की निचली अदालत ने भी ट्रंप को इस मामले में भीड़ को हमले के लिए उकसाने का दोषी माना था। खास बात यह भी है कि अदालतों से ट्रंप को पहली बार झटका नहीं लगा है। इससे पहले 2016 के एक मुकदमे में ट्रंप को एडल्ट फिल्म स्टार स्टार को 1.30 लाख डॉलर देने के मामले में भी दोषी पाया था।
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